👉 सैनिकों की मौत राष्ट्रीय शोक का विषय है। एक सैनिक रणभूमि में लड़ते हुए, वीरगति को प्राप्त हो जाता है तब उसका जीवन राष्ट्र के काम आ जाता है। पठानकोट एवं पुलवामा में आतंकियों द्वारा अघोषित छदम युद्ध में घात लगाना अति दुखदायी बात है। इसे भर्त्सना की भाषा में कायरतापूर्ण कृत्य का जाता है। जवानों का इस भांति खो जाने पर देश का खुन खोल उठना स्वभाविक है। हम सभी करो एवं मरो के अन्तिम निर्णायक घड़ी में आ गए है। इस स्थिति में हमें युद्ध ही एक मात्र विकल्प दिखाई देता है। मेरा यह प्रश्न है कि युद्ध के बाद शांति का अध्याय लिखा जा सकता है तब तो हमारी मांग उचित है। अन्यथा शान्ति के किसी अन्य ठोस एवं निर्णायक उपाय पर विचार करना चाहिए। आप सोच रहे होंगे कि बातचीत से समस्या को सुलझाने की सलाह देने की बात कह रहा हूँ। यह बात मेरी नजर में उचित नहीं है क्योंकि बातचीत उनसे की जाती है जो बातचीत की भाषा जानते हो। जिन्होंने हथियारों की भाषा सीखी है। वे लातों के भूत बातों से नहीं मानने वाले हैं। अब आप के दिल में एक बार फिर सर्जिकल स्टाइक करने का ख्याल आ रहा होगा। मैं इसका सुझाव रखने का पक्षधर नहीं हूँ। आतंकवादियों के चश्मे से देखें तो उनके हमले उनकी ओर से हम पर किये गये सर्जिकल स्टाइक ही है। इसलिए अब तो एक सटीक निर्णय लेना ही है कि जो द्वार आतंक दुनिया में जा रहा है तथा जिस द्वार से आतंक हमारी दुनिया में आ रहा है उनको बंद कर देने होंगे तथा उस पर मजबूत एवं कठोर चौकसी रखनी होगी । मेरी बात शायद आप लोगों की समझ में नहीं आई होगी। समझ में आ गई होती तो अब तक तालिया बज चुकी होती। कदाचित तालियाँ बजाना मेरा कार्यक्षेत्र नहीं रहा है। आतंक दुनिया में व्यष्टि एवं उनके समुदाय को संकीर्ण विचारधारा ले जाती है तथा उसी द्वार से आतंक हमारी दुनिया में तबाही मचाता है। विश्व के इतिहास में जाति, सम्प्रदाय एवं नस्लों की संकीर्ण सोचने तहलका मचाया था तथा उसके समक्ष मानवता ने नंगा नृत्य किया है। यह नृत्य अगर बौद्धिक दृष्टि से अग्रणी विश्व में लिखा जाता है तो अवश्य शर्मनाक बात है। इसलिए हमें विश्व बन्धुत्व कायम करने की दिशा में ठोस, क्रांतिकारी एवं युद्ध स्तर के प्रयास करने चाहिए। इसके मार्ग में आने वाली प्रत्येक बाधाओं को ठोकर मारकर हटा देना चाहिए। इससे काम नहीं चले तो घातक प्रहार के माध्यम से भी दूर करनी चाहिए।
👉 कुछ विचारक इस आतंकी कृत्य को दोहरी नागरिकता एवं राज्य विशेष के स्वतंत्र ध्वज को मानते है तो मैं आपको संयुक्त राज्य अमेरिका ले चलता हूँ। वहाँ के प्रत्येक राज्य में यह बातें है लेकिन वह आज की दुनिया का सबसे मजबूत देश है। सांस्कृतिक विविधता विश्व की थातियाँ है। इसका संरक्षण एवं संवर्धन अवश्य ही विश्व को सुन्दरतम बनाते है। इसलिए इसे आतंक का उत्तरदायी कारण के रुप में सोचना गलत है। भारतीय संविधान की धारा 370 के बारे में मेरे विचार स्पष्ट है कि दोषपूर्ण एवं देश की एकता एवं अखंडता पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाले प्रावधान को नष्ट कर शुद्ध आर्थिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक विकास केन्द्रित बनाकर प्रत्येक सामाजिक आर्थिक भौगोलिक इकाई में स्थापित कर देनी चाहिए तथा विश्व बन्धुत्व की भावधारा से सिंचना चाहिए।
👉 पुलवामा के शहीदों को दी गई श्रद्धाजंलि यदि आपके समझ आई हो तो इस पर गौर फरमा कर कार्य करें।
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करण सिंह शिवतलाव @ मनुष्य को मनुष्य से जोड़ों
👉 पुलवामा के शहीदों को दी गई श्रद्धाजंलि यदि आपके समझ आई हो तो इस पर गौर फरमा कर कार्य करें।
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करण सिंह शिवतलाव @ मनुष्य को मनुष्य से जोड़ों