बाबानाम केवलम का अर्थ (Meaning of Babanam Kevalam)



बाबानाम केवलम दो शब्द का अष्टाक्षरी मंत्र है। इसमें प्रथम शब्द बाबानाम तथा द्वितीय शब्द केवलम है। बाबानाम शब्द का परमब्रह्म तथा केवलम का अर्थ वही है। अर्थात बाबानाम केवलम का अर्थ हुआ परमब्रह्म ही है। यहाँ, वहाँ जहाँ तहाँ वही है। यत्र, तत्र एवं सर्वत्र वही है। यह दृष्टि ही बाबानाम केवलम है। अतः प्रभु के प्रेम में इतना डुब जाना कि प्रभु के अलावा कुछ भी नहीं दिखे, यही बाबानाम केवलम का अर्थ है।
सबकुछ परमब्रह्म का ही विकास है। अतः सब केवल परमपुरुष का ही नाम है। उसके अतिरिक्त कोई नाम नहीं है। भक्त के मन, तन एवं जीवन में एक मात्र परमपिता का ही नाम है। यही बाबानाम केवलम का अर्थ है। 
शब्द विकास का इतिहास कहता है कि बप्प्र से बप्प तथा बप्प से बाबा शब्द आया है। शब्द विन्यास बताता है कि बाबा शब्द का अर्थ बताता है कि 'प्रिय' अर्थात 'प्राणों से अधिक प्रिय'। भक्ति कहती है कि बाबा मेरे इष्ट का पुकारूँ नाम है। शिष्य कहता है कि बाबा मेरे गुरुदेव के लिए संबोधन है। भक्त कहता है कि यही मेरा जीवन है। इसलिए तो मैं गाता हूँ बाबानाम केवलम। यही बाबानाम केवलम का अर्थ है। 
इतिहास कहता है कि भक्त की अपने प्रियतम को मिलने की अहैतुकी भावना सभी अवरोध को दूर करने के लिए 'बाबा केवल' अथवा :केवल बाबा' की गुहार लगाता है तब प्रभु उसे अन्तरीक्ष में सुनाते हैं तो वह सुनता है बाबानाम केवलम एवं दुनिया को मिलता है - बाबानाम केवलम कीर्तन। यही बाबानाम केवलम का अर्थ है। 
दर्शन के आलोक में कीर्तन का अभ्यास कहता है कि जब भी मैं मेरे इष्ट जो कि मेरे गुरुदेव भी है, उनको पुकारता हूँ तो बाबा के नाम से पुकारता हूँ। इस अवस्था में नाम साइलेंट रहता है। लेकिन जब मैं इसको संगीतमय गाता हूँ तब नाम उच्चारण में आ जाता है। इसिलिए बाबा तथा नाम दो शब्द नहीं दोनों एक ही शब्द बाबानाम है। चूंकि यह सबद (शब्द) ही केवल हैं। इसलिए संगीतमय रुप में केवलम गाकर मेरे भावना को प्रकट करता हूँ। अतः मेरा कीर्तन बाबानाम केवलम है। यही बाबानाम केवलम का अर्थ है। 
लेखन विज्ञान कहता है कि बाबा एक नाम एक ही शब्द है तथा केवल व म एक ही शब्द है। अतः बाबा नाम केवलम नहीं बाबानाम केवलम कीर्तन का लेखन स्वरूप है। मेरा उच्चारण एवं गायन बाबानाम केवलम है तो बाबा नाम केवलम लेखन नहीं बाबानाम केवलम है। यही है बाबानाम केवलम का अर्थ। 
छंद, काव्य, गीत एवं संगीत विज्ञान कहता है कि स्वीकृत कीर्तन अष्टाक्षरी के दो शब्द में होता है। प्रथम शब्द प्रियतम का साक्षात्कार कराता है तथा द्वितीय शब्द महामिलन कराता है। यही तो कीर्तन का का सार है। अतः यही है बाबानाम केवलम का अर्थ। 
भावना एवं आध्यात्म विज्ञान कहता है कि बाबा नाम है, नाम बाबा है। अतः दो नहीं एक है। नाम क्या? - "बाबा", बाबा क्या ? - 'नाम' अत: बाबा व नाम पृथक नहीं बाबा व नाम 'बाबानाम' इसलिए मैं कहता हूँ बाबानाम केवलम। यही है बाबानाम केवलम का अर्थ।

 
बाबानाम केवलम 
के अर्थ के 
दर्शन करने वाला
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  [श्री] आनन्द किरण "देव"
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