तृतीय समाज आंदोलन (Third Socio-Economic Movement)



प्रथम समाज आंदोलन भाषा, संस्कृति, समाज एवं मनुष्य बचाने को लेकर था, द्वितीय प्रउत को व्यवहार में लाना, प्रउत के लिए काम करने को तैयार होना तथा नेतृत्व की क्षमता का विकास करने को लेकर चलता है। वही तृतीय समाज आंदोलन अव्यवस्था के खिलाफ एक लडाई है। यह लड़ाई सरकार अथवा सत्ता से नहीं समाज से है। सरकार एवं सत्ता तो तुच्छ विकल्प है, जो समाज से लड़ने के क्रम में समाज आंदोलन से टकरा जाते हैं। लेकिन वास्तविक लड़ाई समाज से है। इसलिए पूर्व ही कहा गया है कि समाज आंदोलन दुनिया का प्रथम आंदोलन है, जो सरकार एवं सत्ता से नहीं समाज से प्रश्न करता है। आओ तृतीय समाज आंदोलन की पृष्ठभूमि लिखते हैं। 

(१) स्थानीय मुद्दों को मिलती प्रचेष्ठा के माध्यम से हल करना - तृतीय समाज आंदोलन स्थानीय मुद्दों को लेकर आगे बढ़ता है। सड़क, बांध, जल, चिकित्सा, शिक्षा, बिजली, सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक न्याय एवं आर्थिक न्याय जैसे स्थानीय मुद्दों को हाथ में पकड़ता है। इसको लेकर एक प्राउटिस्ट सदविप्र आगे बढ़ता है। जबतक उसका स्थायी समाधान नहीं मिलता तब तक रुकता नहीं, थकता नहीं तथा विश्राम नहीं करता है। 

(२) स्थानीय लोगों को शतप्रतिशत रोजगार देने की लड़ाई लड़ना - समाज आंदोलन का मूल उद्देश्य स्थानीय क्षेत्र का अधिक से अधिक विकास करना है ताकि स्थानीय लोगों को स्थानीय क्षेत्र में शतप्रतिशत रोजगार उपलब्ध हो सके। इसके लिए देशना चलों की आवश्यकता पड़े तो यह पुकार करने से ही पिछे नहीं रहेगा। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। कृषि को उद्योग का दर्जा दिलाने वाली लड़ाई। 

(३) स्थानीय क्षेत्र का प्रउत की नीति के अनुसार अधिक से अधिक औद्योगिक विकास करना - रोजगार की जननी औद्योगिक विकास है। यदि औद्योगिक विकास रोजगार का गला घोंटने लग जाए तो, हमारी औद्योगिक नीति को बदल देना होगा। इसके लिए समाज को एकजुट करना ही होगा। 

(४) स्थानीय उत्पाद को प्राथमिकता देना तथा स्थानीय की आवाज बनना - सामाजिक आर्थिक इकाई क्षेत्र में जो भी उत्पाद होते हैं। उसको प्राथमिकता देना। इसके बाहरी आयातों टालने की लड़ाई लड़नी होगी। अन्य शब्दों में कहा जाए तो व्यापारी एवं बिचौलियों को बाहरी आयत नहीं करे, इसके लिए मजबूर करना होगा। 

(५) कच्चे माल के निर्यात को खत्म करना - किसी स्थिति में कच्चामाल सामाजिक आर्थिक इकाई क्षेत्र से बाहर नहीं जाए। इसके लिए नाकेबंदी करनी होगी। धूर्त व्यापारियों एवं तस्करों के विरुद्ध खुली जंग का एलान है। अतः समाज आंदोलनकारी सभी प्रकार के परिणाम के लिए अपने तैयार करना होगा।

(६)  आत्मनिर्भर सामाजिक आर्थिक इकाई के रूप में समाज को विकसित करना‌ - छंद शहरों अथवा किसी क्षेत्र विशेष का विकास सामाजिक आर्थिक सुदृढ़ीकरण नहीं है। सामाजिक आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिए छंद अमीरों का विकास भी नहीं है। इसलिए प्रउत पर आधारित अर्थव्यवस्था के साथ एक आत्मनिर्भर सामाजिक आर्थिक इकाई के रूप में समाज का निर्माण करना है। 

(७) प्रउत व्यवस्था की ओर चलना - तृतीय आंदोलन का अंतिम कदम प्रउत व्यवस्था की ओर मनुष्य एवं उसके समाज को ले चलना है। 

तृतीय समाज आंदोलन का उपसंहार कहता है कि स्थानीय मुद्दे, स्थानीय लोगों को रोजगार, स्थानीय क्षेत्र का औद्योगिक विकास, स्थानीय उत्पाद को प्राथमिकता, स्थानीय क्षेत्र से कच्चे माल के निर्यात को रोकना, आत्मनिर्भर समाज का निर्माण तथा प्रउत व्यवस्था की स्थापना के लिए तैयार होना है। 
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[श्री] आनन्द किरण "देव"
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