प्रथम समाज आंदोलन भाषा, संस्कृति, समाज एवं मनुष्य को बचाने के लिए, द्वितीय समाज आंदोलन प्रउत को व्यवहार में लाने, प्रउत के तैयार होना तथा समाज को नेतृत्व देने के लिए, तृतीय समाज आंदोलन सामाजिक आर्थिक इकाई के निर्माण के लिए तथा चतुर्थ समाज आंदोलन प्रउत व्यवस्था की स्थापना को लेकर चलता है।
प्रउत व्यवस्था के बिना समाज आंदोलन का कोई मूल्य नहीं इसलिए चतुर्थ समाज आंदोलन प्रउत व्यवस्था की स्थापना का संकल्प पत्र लेकर आया है। अतः हम चतुर्थ समाज आंदोलन की रुपरेखा तैयार करते हैं।
(१) सदविप्र राज की स्थापना - सदविप्र राज की स्थापना समाज आंदोलन का मुख्य संकल्प है। चतुर्थ समाज आंदोलन इसको सिद्ध करेगा।
(२) विश्व सरकार की स्थापना - सदविप्र राज की स्थापना का संकल्प पत्र की मुख्य धारा विश्व सरकार है। इसलिए सभी ओर होने वाले समाज आंदोलन विश्व सरकार में जाकर आश्रय लेंगे।
(३) प्रउत व्यवस्था की स्थापना - समाज आंदोलन का चरम लक्ष्य प्रउत व्यवस्था की स्थापना है। चतुर्थ समाज में इसकी स्थापना हो जाएंगी।
(४) एक अखंड अविभाज्य मानव समाज की स्थापना - यद्यपि एक अखंड अविभाज्य मानव समाज आनन्द मार्ग का एजेंडा है तथापि समाज आंदोलन उसका अनुषांगिक अंग होने के कारण इस तथ्य तक पहुँचने तक कार्य करता रहेगा।
(५) नव्य मानवतावाद की प्रतिष्ठा करना - यद्यपि नव्य मानवतावाद की प्रतिष्ठा आंदोलन के आरंभिक क्षणों का संकल्प है तथापि चतुर्थ समाज आंदोलन इसकी प्रतिष्ठा करेगा।
(६) महाविश्व की रचना - विश्व सरकार एक राजनीति संकल्प है, जबकि महाविश्व एक सामाजिक संकल्प है। शिव पिता गौरी माता, त्रिभुवन है स्वदेश मेरा का संकल्प पत्र महाविश्व में निहित है। अतः सामाजिक, सांस्कृतिक एवं सभी क्षेत्रों में महाविश्व की स्थापना सिद्ध हो जाएगी।
(७) आनन्द मार्ग के आदर्श की संस्थापना (धर्म की संस्थापना) - श्री श्री आनन्दमूर्ति जी पृथ्वी ग्रह पर धर्म की संस्थापना के लिए हुआ था, समाज आंदोलन आंदोलन की संस्थापना में अपना सहयोग देकर धर्म की संस्थापना में अपनी भागीदारी निभाएगा।
इस प्रकार चतुर्थ स्तर पर जाकर समाज आंदोलन प्रउत के सभी श्लोग्न का कार्य सिद्ध करेगा। उपसंहार में लिखा जाए तो सदविप्र राज की स्थापना से चलकर विश्व सरकार, प्रउत व्यवस्था, एक मानव समाज, नव्य मानवतावाद, महाविश्व की स्थापना कर धर्म की संस्थापना अर्थात आनन्द मार्ग की संस्थापना तक समाज आंदोलन काम करेगा।
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श्री आनन्द किरण "देव"
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