Role of SSAC(Spiritualist Sports Adventurers club) in Society building

समाज निर्माण में SSAC (अध्यात्मवादी खेलकूद साहसी क्लब) की क्या भूमिका है?

[What is role of SSAC(Spiritualist Sports Adventurers club) in Society building?]
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✒  श्री आनन्द किरण "देव" की  कलम से
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आत्म मोक्ष जगत हित के उद्देश्य को मूर्त रुप देने के लिए वैश्विक चिंतन पर आधारित एक अखंड अविभाज्य मानव समाज का निर्माण करना आनन्द मार्ग परिवार के प्रत्येक संगठन का अन्त निहित उद्देश्य है। समाज शब्द का भावगत विश्लेषण सम+आज का अर्थ समान आगाज अथवा समाज आवाज है। किसी प्रकार के भेद की काल्पनिक दीवार जब समाज में दिखाई देती है, उस समय समाज शब्द अपने मूल अर्थ से पृथक हो जाता है। सबको साथ लेकर चलना व्यक्ति का कर्तव्य तथा सब मिलकर एक साथ चलना समाज का कर्तव्य है। इस अर्थ में समाज निर्माण की साधना में आनन्द मार्ग लगा हुआ है। SSAC का आनन्द मार्ग परिवार का सदस्य होने के नाते समाज में योगदान रहना स्वभाविक है। 

खेलकूद एवं साहसी वृत्ति मनुष्य में जन्मजात है। जब इसमें आध्यात्मिक शब्द जुड़ जाता है तब इन वृत्तायों अनन्त थाह मिल जाती है तथा व्यक्ति का संगठन एक उद्देश्य मुखी होता है। क्लब शब्द एक समाज शब्द की ओर ले चलने की कार्यशाला है। अध्यात्मवादी खेलकूद साहसी क्लब SSAC समाज निर्माण की प्रथम पाठशाला है। यहाँ टीम भावना का विकास होता है तथा यह टीम भाव अध्यात्म को लक्ष्य लेकर चलने से परिपूर्ण मानव निर्माण के कर्तव्य का निवहन करता है। परिपूर्ण मानवों से ही सच्चे अर्थ वाला समाज निर्मित होता है। अपूर्ण मानव कभी भी समाज का निर्माण नहीं कर सकता है। 

अध्यात्मवादी खेलकूद साहसी क्लब  समाज में मानव शिशु को पूर्णत्व का दर्शन की ओर ले चलता है। जहाँ अध्यात्मवाद है, वहाँ नैतिकता का निवास होता है। बिना नैतिकता के आध्यात्म  अध्यात्मवाद नहीं होता है। वहाँ एकाकी मानव का निर्माण होता है, जो अपने अन्त: निहित गुणों के कारण दैत्य अथवा देव किसी भी रुप में दिखाई दे सकता है। 

खेलकूद में नियम होते है, इन नियम पर चलकर ही मनुष्य को प्रथम आना होता है। खेलकूद हार जीत का अभिनय नहीं समकक्ष में प्रथम द्वितीय का मूल्यांकन है। आजकल विराट लक्ष्य के बिना इन पाठशाला में जीतना तथा जीतना ही सिखाया जाता है। जिसके कारण एक खिलाड़ी खेल के मैदान में स्वच्छता एवं स्वस्थ्यता का पाठ पढ़ने जाता है तथा पढ़ आता रुग्णता का अध्याय। वह किसी न किसी रुप रोग का शिकार होता है तथा अपने साथी को रोग देता है। क्लब की अध्यात्मवादी पहचान उसे बार बार एहसास दिलाती है कि हम अंदर एवं बाहर से कैसे है उसे परम पुरुष देखते है। इसलिए हमारे मन को अच्छा सौहार्दपूर्ण  एवं मानवानुकूल रखना है। ऐसा नहीं होने पर हम परम पुरुष की नजर से गिर जाएंगे। हम जानते है कि जो परम पुरुष की नजर से गिर गया वह कही का नहीं रह जाता है। 

SSAC समाज निर्माण में अपना योगदान आध्यात्मिक, नैतिकवान एवं अनुशासित खिलाड़ी ( दक्ष नागरिक) निर्माण करके देता है। इसलिए हे आनन्द मार्गियो!, हे प्राउटिस्टो!, हे सदविप्रो!, हे समाज निर्माण के कमांडरों! एवं  हे स्वयंसेवकों! मानव समाज के प्राथमिक दायित्व में अधिक से अधिक संख्या में Spiritualist Sports Adventurers clubs की स्थापना करें, उसका सफलत्तम संचालन करे तथा पुरी अकादमी खड़ी कर दीजिए।
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✒  श्री आनन्द किरण "देव" की  कलम से
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