RSS मर्ज हो जाएगा VSS में

विषय -RSS मर्ज हो जाएगा  VSS में
-------------------------------------------
कलम श्री आनन्द किरण "देव" की उदघोष श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का
-------------------------------------------
आज चर्चा की शुरुआत आप्त वाक्य - RSS मर्ज हो जाएगा ( मिल जाएगा) VSS में से करते है। आप्त वाक्य है इसलिए उसकी यथार्थ में परिणित के संदर्भ में संदेह की कोई गुंजाइश नहीं रहती है। अब समझने वाली बात है कि ऐसा कैसे होगा? 

*RSS* -RSS का उद्देश्य अखंड भारत, हिन्दू  राष्ट्रवाद है। यह अफगानिस्तान से लेकर म्यांमार तक तथा कश्मीर से श्रीलंका तक, हिन्दू सभ्यता एवं संस्कृति पर आधारित एक राष्ट्र का निर्माण करने की अभिलाषा रखते है। मैंने यहाँ लक्ष्य शब्द इसलिए नहीं लिखा कि युग के अनुसार हिन्दू, राष्ट्र तथा राष्ट्रवाद की परिभाषा बदलती रहती है। आज इनके अनुसार भारत भूमि पर रहने वाले जन समुदाय का नाम हिन्दू है। किसी युग में यह शब्द सिन्धु अफवाह क्षेत्र के वासियों के लिए प्रयोग होता था। आज इनके राष्ट्र तथा राष्ट्रवाद में हिन्दू सभ्यता एवं संस्कृति के अतिरिक्त सभी गलत है,  शायद कल ऐसा नहीं रहेगा क्योंकि मनुष्य की समझ विकसित होने के साथ सत्य सर्वत्र विद्यमान की अवधारणा का विकास होता है। आज की इनकी अवधारणा के अनुसार इनका हिन्दू तथा राष्ट्र शब्द में वैदिक, पौराणिक, शैव, वैष्णव, शाक्त, जैन, बौद्ध, सिख , लिंगायत एवं पारसी मतालंबी हिन्दू शब्द में समा जाते है जबकि इस्लाम व ईसाई मतालंबी हिन्दू व राष्ट्र शब्द में नहीं समाते है। कल को हो सकता है हिन्दू शब्द में सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी नहीं समाएंगे अथवा   इस्लाम व ईसाई समाने लग जाएंगे। क्योंकि आज इन्हें यहूदी मत को हिन्दू विरोधी नहीं मानते है जबकि इस्लाम व ईसाई शब्द को हिन्दू विरोधी माना जाता है। 

*VSS* - अब VSS के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते है। VSS का लक्ष्य भागवत धर्म (मानव धर्म) पर आधारित नव्य मानवतावाद युक्त आध्यात्मिक नैतिकवान महाविश्व का निर्माण करना जहाँ के नागरिक साधना, सेवा एवं त्याग के रास्ते सर्वजन हित सर्वजन सुख की व्यवस्था की स्थापित कर संगच्छध्वम् को चरितार्थ करेंगे। यह सभी बातें भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में निहित है। अत: अघोषित शब्दावली की भाषा इसे विश्व भारत कहा जा सकता है। जब संपूर्ण विश्व धरा भरणपोषण एवं समग्र उन्नति के रास्ते अपने नागरिकों को ले चलेगी तब भारत शब्द का अर्थ सर्वत्र चरितार्थ हो जाएगा। 

*ऐसी होगी RSS का VSS में मर्ज होनी की राह* - RSS जहाँ एक सीमित अभिलाषा को लेकर चलता है लेकिन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को पढ़ता है। भारतीय संस्कृति का अध्याय पढ़ते पढ़ते मन उसके अनुसार गढ़ना शुरू होगा। मन का यह विकास सीमित लक्ष्य की दीवार फांदकर विशाल लक्ष्य की ओर बढ़ेगा। मन के विकास की उन्नत अवस्था में वसुधैव कुटुम्बकम व सर्व भवन्तु सुखिनः के साथ कपटाचार एवं मिथ्याचार नहीं करने देगी तब RSS के पास VSS में मर्ज होने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहेगा। तब वह ध्वज गुरु को छोड़कर परम ब्रह्म गुरु की अवधारणा को स्वीकार करेगा, अखंड भारत महाविश्व में परिणत हो जाएगा तथा हिन्दू शब्द भागवत धर्म में समा जाएगा। अंततोगत्वा हिन्दुत्ववादी चिंतन नव्य मानवतावादी चिंतन के समक्ष नतमस्तक हो जाएगा। अब उसे सभी में परम ब्रह्म का विकास दिखेगा तथा संगच्छध्वम् की परिभाषा कभी नहीं भूलेगा। इस प्रकार RSS  संपूर्ण रूपेण VSS में मिल जाएगा। 

भारतीय सभ्यता संस्कृति में महानता उसे महान आदर्श एवं विराट लक्ष्य के कारण है। इसे आनन्द मार्ग परिवार लेकर चलता है इसलिए भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को लक्ष्य मानकर चलने वाले आनन्द मार्ग परिवार में मिलने के अलावा को रास्ता नहीं रहेगा। इसलिए आनन्द मार्ग परिवार व इसके सदस्यों को आनन्द मार्ग के आदर्श में पूर्णतया मिल जाना होगा।

नोट - यह उदघोष - RSS की ओर आनन्द मार्ग परिवार के आकर्षण की राह नहीं दिखाता, VSS को अपनी शक्ति दिखाकर सभी शुभ शक्तियों अपनी ओर आकर्षित करने के कार्य करने की प्रेरणा देता है।  अब BJP कल PROUT भी नहीं पढ़ाता है, सदैव PROUT एवं PROUT
Previous Post
Next Post

post written by:-

0 Comments: