प्रउत के प्रचार में VSS का योगदान


विषय - प्रउत के प्रचार में VSS का योगदान
सदन में VSS को लेकर पूछे गए सवाल के जबाब में सभी जबाब VSS की गतिविधियों के निरंतर संचालन के पक्ष में आए है इसलिए आज का विषय प्रउत के प्रचार में VSS का योगदान लिया गया है। 

VSS नामक अभिकल्पना के प्रणेता ने VSS को आनन्द मार्ग सुरक्षा जिम्मेदारी एवं प्राउटिस्ट यूनिवर्सल की के लिए राह तैयार करने के लिए स्थापित किया था। *VSS के प्रथम मुख्य कंमाडर श्री रमाकांत जी* का आलेख एवं विचार ही विषय को अधिक सुस्पष्ट एवं सही रेखांकित कर पाएंगे फिर भी हम कोशिश करें कि विषय को समझने की कोशिश करें। 

VSS के संगठात्मक स्वरूप से दो विंग अर्थात विभाग सामने आए है। प्रथम आध्यात्मिक खेलकूद साहसिक  क्लब(SSAC) तथा द्वितीय वाहिनी है।

आध्यात्मिक खेलकूद साहसिक  क्लब (SSAC) का प्रउत प्रचार में योगदान 

 VSS की यह शाखा आध्यात्मिक व साहसिक प्रतिभाओं को तैयार करने के लिए स्थापित की गई है। समाज में साहसिक तथा आध्यात्मिक प्रतिभाओं को तैयार करने के कई मंच क्रियाशील है। लेकिन उनका दुर्भाग्य यह है कि जहाँ आध्यात्म है वहाँ साहस नहीं तथा जहाँ साहस है वहाँ आध्यात्म नहीं, इसलिए तथाकथित आध्यात्मिक संस्थाएं तथा साहसिक खेल संगठन दुनिया में महान कार्य नहीं कर सकती है तथा यह प्रतिभाओं को भूलभुलैया में लूटाती आ रही है।  आध्यात्मिक खेलकूद साहसिक  क्लब नामक महान अभिकल्पना के प्रणेता चाहते थे कि दुनिया को एक ऐसा मंच प्रदान करना चाहिए जहाँ आध्यात्मिक एवं साहसिक प्रतिभाओं का निर्माण एक साथ हो। जो प्रतिभा आध्यात्मिक एवं साहसिक होगी वह आनन्द मार्गिय संस्कार के कारण आध्यात्मिक नैतिकवान भी होगा। यह क्लब हर नगर, गाँव व ढ़ाणी ढ़ाणी  तथा स्कूल कॉलेज में कार्यशील होने से छात्र एवं युवा प्रतिभाएं अपूर्ण एवं दिशाहीन सोच की भूलभुलैया में भटका रही साजिश से नई पीढ़ी की रक्षा करेंगी। खेल तथा आध्यात्मिक साहसिक प्रवृत्ति के कारण तैयार हुए प्रतिभाओं को प्राउटिस्ट यूनिवर्सल की फैडरेशन संगठन तथा समाज इकाई के अनुषांगिक संगठन सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय दर्शन से परिचित कराएंगे तथा एक मजबूत छात्र, युवक, मजदूर, किसान तथा बुद्धिजीवी विंग तैयार हो जाएंगी। कदाचित प्राउटिस्ट यूनिवर्सल भी यही चाहता है कि उसकी विंग विश्व की सबसे मजबूत विंग बने।  VSS के इस विभाग को नव्य मानव निर्माण की प्रथम पाठशाला कहा जा सकता है तो PU के UPSF तथा UPYF को द्वितीयक विद्यामंदिर। जहाँ प्रथम सीढ़ी मजबूत है वहाँ द्वितीयक को ओर अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती है। वह उसको उचित ढंग से संवार सकती है। SSAC की पाठशाला में आनन्द मार्ग, नव्य मानवतावाद एवं प्रउत पढ़ाना तथा इसके संस्कार देना असंभव नहीं है। अंत मेरे विचार से UPSF व UPYF को प्रथम दृष्टि SSAC को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। 

वाहिनी का प्रउत प्रचार में योगदान

वाहिनी VSS की वह शाखा है जो प्रतिभाओं व समाज को भयमुक्त बनाती है। वाहिनी की शाखाएँ हर शहर, गाँव, ढ़ाणी, नुक्कड़ व मौहल्ला गल्ली में लगनी चाहिए। एक गलत धारणा व्याप्त है कि वाहिनी उत्पाती कार्य करती तथा समाज के लिए सिरदर्द बन जाती है। वाहिनी यम नियम मे दीक्षित होने से न तो वाहिनी से समाज को भय होता है तथा न ही वाहिनी संचालकों को संदेह होता है। आनन्द मार्ग के प्रर्वतक का कथन है कि शस्त्र से देश विजय किया जा सकता है कि मानव मन को नहीं, तुम लोग मानव मन को जितने वाले प्रकृत सैनिक हो। जब हमारी वाहिनी के पास इस प्रकार के संस्कार है, तो भयमुक्त होकर वाहिनी निर्माण में लग जाना चाहिए। हमारी वाहिनी समाज के मंच पर अदृश्य रहने से समाज दिशाहीन तथा आदर्श विहिन ताकतें समाज को भ्रमित कर मुर्गों की लड़ाई का मैदान बना देती है। VSS प्राउटिस्ट यूनिवर्सल को प्राउटिस्ट वाहिनी उपलब्ध कराती है। प्राउटिस्ट वाहिनी प्राउटिस्ट यूनिवर्सल एवं समाज इकाइयों के लिए प्रउत प्रचार व प्रसार के मार्ग का निर्माण करती है तथा प्रउत के आगे बढ़ने की गति में आने वाले अवरोधकों को धराशायी करती है। इसलिए PU व समाज इकाई को वाहिनी को मजबूत एवं प्रगतिशील बनाती है। 

सारांश में VSS प्रउत के प्रचार प्रसार के लिए भूमि तैयार करता है। उसमें लगे हुए सभी झाड़ झाखड़ ( कंटीली व अवांछित झाड़ियाँ) को हटाती है तथा भूमि समतल व साफ करती है। जहाँ प्रउत संस्थान द्वारा प्रउत रुपी फसल को तैयार करती है। प्रउत संस्थान द्वारा प्रउत के बीजारोपण के बाद भी निराई गुढ़ाई इत्यादि करके खरपतवार व रोगाणु से मुक्त करती है  तथा किसी आपदा आने पर VSS  प्रउत संस्थान की ढ़ाल बन जाता है। 

अत: VSS की मजबूती प्रउत प्रचार एवं प्रसार का आधार है। 
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श्री आनन्द किरण "देव"
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