समाज आंदोलन किसी राजनैतिक सत्ता के हस्तांतरण का अभियान नहीं सभी के लिए अन्न, वस्त्र, आवास, शिक्षा व चिकित्सा सुलभ कराने तथा गुणीजन की योग्यता के विकास के अवसर सुगम करने का अभियान है। पश्चिमी भारतीय समाज आंदोलन में असी पंजाबी, हरियाणवी, मारवाड़ी, हाड़ौती, मेवाड़ी, कच्छी, काठियावाड़ी व गुर्जर समाज का अध्ययन पत्र है।
1. अस्सी पंजाबी समाज
पंजाबी समाज/ अस्सी पंजाबी समाज - पाकिस्तान व भारतवर्ष के पंजाब की संस्कृति एक है, यह एक सांस्कृतिक आर्थिक इकाई के रुप में विकसित करनी चाहिए। राजनीति की सीमाओ की दीवारें यथाशीघ्र तोड़ देने में पंजाबी समाज का भला है। इसके पश्चिम पाकिस्तान, दक्षिण में हरियाणा व राजस्थान, पूर्व में हिमाचल प्रदेश तथा उत्तर में जम्मू कश्मीर तथा पाकिस्तान है। पूर्व में संत अजित सिंह नगर से पश्चिम में अमृतसर तक भारतीय पंजाब तथा पूर्व में लाहौर से पश्चिम अटक तक पाकिस्तानी पंजाब है। पाकिस्तान में उत्तर में रावलपिंडी व दक्षिण में फैसलाबाद तथा भारत में उत्तर में पठानकोट से दक्षिण में मनसा तक का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में भारतीय पंजाब के सभी जिले तथा पाकिस्तानी पंजाब के 14 जिले है। पांच नदियों के कारण पंजाब कहलाया। एक सभ्यता व संस्कृति का यह समाज अपनी पंजाबी भाषी संस्कार पर आत्मनिर्भर समाज बनने की क्षमता रखता है।
2. हरियाणवी समाज
पलवल को छोड़कर संपूर्ण हरियाणा, दिल्ली कैपिटल व उत्तर प्रदेश का उत्तरी पश्चिमी इलाक तथा राजस्थान का अलवर जिला मिलकर हरियाणवी समाज है।हरियाणवी भाषा संवैधानिक भाषा के रुप में दर्ज होने की योग्यता रखती है। हरियाणवी सभ्यता एवं संस्कृति के विकास के साथ आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर इकाई बन की क्षमता है। इसमें हरियाणा के लगभग सभी जिले, राजस्थान का अलवर जिला व उत्तर प्रदेश के 11 जिले बरेली से बागपत तथा सारंगपुर से बुलंदशहर तक है। इस क्षेत्र के उत्तर में हिमाचल प्रदेश, उत्तर पश्चिम में पंजाब, दक्षिणी पश्चिमी व दक्षिण में मारवाड़ी समाज तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश की सीमाएं है।
3. मारवाड़ी समाज
राजस्थान के उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व, मध्य व पश्चिम के 19 जिले तथा पाकिस्तान का बहलावपुर जिला मारवाड़ी समाज है। मारवाड़ी समाज में राजस्थान के जोधपुर व बीकानेर संभाग के सभी जिले तथा भीलवाड़ा छोड़कर संपूर्ण अजमेर संभाग, जयपुर संभाग से अलवर तथा भरतपुर संभाग से भरतपुर व धौलपुर छुट जाएंगे। मारवाड़ी भाषा अनेक स्थानीय बोलियों के लेकर समृद्ध भाषा है। इसका साहित्य स्वरूप डिंगल है। थार का रेगिस्तान, अरावली पर्वतमाला व पूर्व मैदान है। इस क्षेत्र के उत्तर में पंजाब, पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण में गुजरात व मेवाड़ी समाज, दक्षिण पूर्व में हाड़ौती समाज पूर्व हरियाणा व उत्तर प्रदेश है।
4. हाड़ौती समाज
राजस्थान का दक्षिणी पूर्वी भाग के चार जिले हाड़ौती भाषी क्षेत्र है, जो संस्कृति को लेकर खड़ा है। बुंदी,कोटा, बारा व झालावाड़ का यह क्षेत्र दक्षिण पठार कहलाता है। यहाँ चंबल नदी बारहमासी नदी है। इसके उत्तर में मारवाड़ी समाज, तथा चारों मध्यप्रदेश है।
5.मेवाड़ी समाज
राजस्थान का दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र मेवाड़ व बांगड़ परिसर मेवाड़ी समाज का हिस्सा है। जिसमें भीलवाड़ा, राजसमन्द, उदयपुर, चितौड़गढ़, प्रतापगढ़, डुंगरपुर व बांसवाड़ा जिले है। यहाँ माही का मैदान व अरावली पर्वतमाला है।
6. कच्छी समाज
उत्तर गुजरात अथवा उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र कच्छी समाज में आता है। इस क्षेत्र में कच्छ, पाटन, बनासकांठा, साबरकांठा व मेहसाणा को लिया गया है। इसके उत्तर पश्चिम में कच्छ का रण, दक्षिण पश्चिम में अरब सागर तथा उत्तर पूर्व में राजस्थान तथा पूर्व गुर्जर समाज आता है।
7. काठियावाड़ी समाज
दक्षिणी पश्चिमी गुजरात का क्षेत्र काठियावाड़ी समाज क्षेत्र है। सुरेन्द्र नगर, बोटाद, भावनगर, राजकोट, अमरेली, गिर सोमनाथ, जुनागढ, देवभूमि द्वारिका, पोरबंदर, मोरबी व जामनगर क्षेत्र है। काठियावाड़ संस्कृति की विशिष्टता व भाषा का विकास काठियावाड़ी भाषा के स्वतंत्र भाषा की मांग रखती है। उत्तर, पश्चिम दक्षिण में अरब सागर व पूर्व गुर्जर समाज है।
8. गुर्जर समाज
उत्तरी पूर्वी व दक्षिण गुजरात गुर्जर समाज है। गांधीनगर, अहमदाबाद, अरवल्ली, महिसागर, पंचमहल, दाहोद, खेड़ा नडियाद, आणंद, वडोदरा, छोटा उदयपुर, नर्मदा, भरूच, सुरत, तापी, नवसारी, डांग व वलसाड वापी क्षेत्र है।
इसके उत्तर पश्चिम में कच्छ, पश्चिम में कच्छ का रन,दक्षिण पश्चिम में काठियावाड़ व अरब सागर, दक्षिण में महाराष्ट्र, दक्षिण पूर्व में महाराष्ट्र, पूर्व में मध्य प्रदेश तथा उत्तर पूर्व में राजस्थान है। गुर्जर समाज की भाषा गुजराती है।
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के क्षेत्र को पश्चिम भारतीय समाज की उपमा देकर अध्ययन किया गया है।
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