हमारा समाज आंदोलन -02 (मध्योत्तर भारतीय समाज)



विश्व के संतुलित विकास एवं व्यक्तित्व के चहुंमुखी विकास के साथ न्याय विश्व को सामाजिक आर्थिक इकाई में विभाजित कर ही कर सकते है। सभी सामाजिक आर्थिक इकाई अपना वैशिष्ट्य  रखते है लेकिन अध्ययन सुविधा के लिए उन्हें साथ लेकर चला जा सकता है। 
भारत वर्ष के ठीक उत्तर व ठीक मध्य के भाग को अध्ययन की सुविधा के मध्योत्तर भारत नाम दिया गया है। इसमें झारखंड का नागपुरिया समाज, बिहार के प्रगतिशील मगही समाज, मिथिला समाज व अंगिका समाज, उत्तर प्रदेश अवधी समाज व बृज समाज तथा बिहार उत्तर प्रदेश इत्यादि का साझा समाज प्रगतिशील भोजपुरी समाज है। यह सातों समाज मुख्यतः मध्य का मैदानी भाग कहलाता है। 

       (1) नागपुरिया समाज 
  दक्षिणी पश्चिमी झारखंड का क्षेत्र है। इस परिक्षेत्र में  रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, लातेहार की गारु व महुआदन तहसीलें, रामगढ़ की पतरातू तहसील व पश्चिम सिंहभूमि की आनंदपुर, गुदरी, बंदगांव, सोनुआ और गोइलकेरा तहसीलें शामिल है। पांच जिले व आठ तहसीलों का यह समूह नागपुरिया भाषी क्षेत्र है। नागपुरिया सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक यह भौगोलिक क्षेत्र इतिहास में विशेष स्थान रखता है।  इसे नागपुरी समाज भी कहा जाता है। पहाड़ी व पठारी भूमि का यह क्षेत्र खनिज संपदा का भंडारा है। इस क्षेत्र के पूर्व में आमरा बंगाली, दक्षिण में उत्कल कौशल, पश्चिम में छत्तीसगढ़ी तथा उत्तर में अंगिका समाज है। 

           (2) अंगिका समाज
 दक्षिण पूर्व बिहार के अररिया, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बंका, जमुई, मुंगेर खगरीया जिले की खगरीया, गोगरी, आजमगढ़ तहसीलें, झारखंड की तीसरी व हलसी तहसीलें तथा झारखंड का शाहीबगंज व गोड्डा इलाका अंगिका भाषी क्षेत्र है। इनके साथ नेपाल का मोरंग क्षेत्र भी है। यहाँ की सभ्यता एवं संस्कृति का अपना इतिहास है। इस क्षेत्र को अंगदेश भी कहा जाता था। इस क्षेत्र के चारों ओर नागपुरिया, आमरा बंगाली, मिथिला व नेपाल है। 

         (3) मिथिला समाज 
  उत्तर बिहार के सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा, मधुबनी, बेगुसराय, समस्तीपुर, वैशाली, मुजफ्फरनगर, शिवहर व सीतामढ़ी तथा नेपाल के सरलाही, महोतारी, धानुसा, सिरहा, सप्तरी और सुनसरी इत्यादि क्षेत्र मिलकर मिथिला अथवा मैथिला समाज की रचना करते है। इस क्षेत्र की सीमाएं नागपुरिया, अंगिका, नेपाल व मगही समाज से लगती है। 

      (4) प्रगतिशील मगही समाज
 मगही सभ्यता व संस्कृति की मगही भाषी क्षेत्र बिहार के पटना, अरवल, औरंगाबाद, जेहानाबाद, गया, नालंदा, लखीसराय, शेखपुरा, नवादा, झारखंड के गढ़वा, पालूम, चतरा, लातेहार, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह तथा छत्तीसगढ़ का बलरामपुर है। यह मगध के नाम से जाना जाता था। यह मिथिला, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी इत्यादि क्षेत्र इसके पडौसी है। 

   (5) प्रगतिशील भोजपुरी समाज 
 भोजपुरी सभ्यता एवं संस्कृति का बिम्ब प्रगतिशील भोजपुरी समाज है। बिहार के पूर्वी व पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण, बक्सर, भोजपुर, रोहतास व भभुआ, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर, वाराणसी, आजमगढ़, मऊ, संत कबीर नगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, जोनपुर, बस्ती व संत रविदास नगर, मध्यप्रदेश का सिंगरौली, छत्तीसगढ़ का वद्रफनगर तथा नेपाल के रूपन्देही और नवलपरसाई क्षेत्र को प्रगतिशील भोजपुरी समाज के ध्वजतले विकास के पथ ले चलना है। मगही, अवधि, नेपाल, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ की सीमाओं छटा महाभोजपुर क्षेत्र है। 


           (6) अवधी समाज 

अवधी भाषा की सभ्यता एवं संस्कृति को संरक्षित रखना अवधी समाज की जिम्मेदारी है। अवधी समाज में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज),  प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अम्बेडकर नगर, फैजाबाद(अयोध्या), गोंडा, बलरामपुर,  श्रास्ती, बहराइच, बारबंकी, रायबरेली, अमेठी, फतेहपुर,  सिराथू(कौशम्बी) , कानपुर नगर, कानपुर देहात, हरदोई, उन्नाव, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, शाहजहांपुर, कनौज, कमलगंज (फर्रुखाबाद), अमृतपुर (फर्रुखाबाद) तथा कपिलवस्तु ( सिद्धार्थ नगर) क्षेत्र आते हैं। भोजपुरी, ब्रज, नेपाल व मध्यप्रदेश के बीच का क्षेत्र अवध है। अवध अर्थात जिसका वध नहीं किया जा सकता है। 

           (7) ब्रज समाज
ब्रज सभ्यता एवं संस्कृति की धरोहर ब्रज भाषी क्षेत्र है। यह उत्तर प्रदेश के औरिया, मैनपुरी, इटावा, फर्रुखाबाद, बदायूं, कासगंज, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, हाथरस, अलिगढ़, मथुरामथुरा व गुन्नौर, हरियाणा का पलवल व बल्लबगढ, राजस्थान के भरतपुर व धौलपुर, मध्यप्रदेश के मुरैना, श्योपुर व शिवपुरी क्षेत्र में फैला हुआ है। राजस्थान, हरियाणा मध्यप्रदेश व अवधि समाज की सीमाओं का मध्य क्षेत्र ब्रज है। 

उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड के यह सात समाज कृषि उद्योग, कृषि आधारित, कृषि सहायक उद्योग, खनिज उद्योग तथा खनिज आधारित उद्योगों के विकास की प्रबल संभावना लिए खड़ा है। नागवंशी, अंगदेश, मैथिला, मगध, अवध व ब्रज भूमि भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ में अंकित क्षेत्र है।
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