विश्व के सभी प्राउटिस्ट समाज अपनी विशिष्ट भौगोलिक, सांस्कृतिक व आर्थिक विशेषताओं की दृष्टि से अपना विशेष स्थान रखते है। अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से इन्हें अलग अलग रुप में रखकर देखते हैं। भारतवर्ष की राजनैतिक इकाई के अधीन 44 समाज के क्षेत्र आते है। इस में से कई समाज भारतवर्ष की राजनैतिक सीमाओं को पार कर भारतवर्ष के पडौसी राज्यों की सीमाओं में है। इसलिए हमें विश्व भारत की संरचना बनाने है। अतः हम भारतीय राजनैतिक पटल लंबित एक विचार अखिल भारत का समर्थन करते है। जिस कुछ लोग अखंड भारत भी कहते है। पूर्वी भारत में बंगाल, सिक्किम, पूर्वोत्तर राज्य (सात बहिनें) व उडिसा के समाजों को समावेश कर अध्ययन किया गया है। यह समाज - आमरा बंगाली, भुटिया, बोडो, असम उन्नयन, उत्कल व कौशल नामक छ: समाज है।
(1) आमरा बंगाली
बांग्ला भाषी क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक इकाई का नाम आमरा बंगाली किया गया है। जिसका अर्थ होता है - हम बंगाली है। यह बांग्ला सभ्यता एवं संस्कृति की विशिष्टता को अक्षुण्ण रखते हुए एक अखंड अविभाज्य विश्व मानव समाज की साधना में सहयोग देते है। बांग्ला भाषा संस्कृत भाषा के सबसे अधिक निकट भाषाओं में अग्रणीय है। बांग्ला सभ्यता ने अपने गर्भ में बांग्ला संस्कृति को स्थान दिया था। इससे निर्मित संस्कार बांग्ला की संस्कृति की विशेषताओं को स्थान देते हैं। यद्यपि संस्कृति की किसी भौगौलिक सीमा में बंधकर नहीं रहती है तथापि संस्कृति से निर्मित सभ्यता विशेष भूभाग में अपनी अमिट छाप छोड़ती है। इसलिए भौगौलिक परिवेश तथा आर्थिक प्रगति के उपादान समाज की संगठन का मजबूत आधार होते है। यद्यपि प्रउत प्रणेता ने इस धरा के संपूर्ण समाजों पर अपना आशीर्वाद प्रदान किया है तथापि उनका सबसे अधिक विचार बंगाली समाज के प्रगति को लेकर हुआ। जो कार्य अन्य समाजों के पुरोधाओं को करना है। वह कार्य बंगाली समाज के पुरोधाओं के लिए सरल व सुगम हो गया है। बंगाली समाज का परिक्षेत्र मुख्यतया भारतवर्ष पश्चिमी बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय व बांग्लादेश में है। इस समाज के कुछ क्षेत्र असम, उडिसा, झारखंड, बिहार इत्यादि राज्यों के बांग्ला सभ्यता प्रभावित क्षेत्र से मिलकर बंगाली समाज बना एक वृहत क्षेत्र है। इसके आसपास, उत्कल, कौशल, नागपुरिया, भुटिया, असम उन्नयन, बोडो इत्यादि समाज है। इस समाज के लिए एक केन्द्रीय समिति, दो तीन राष्ट्र समिति व विभिन्न राज्य समिति तथा बंगाली समाज क्षेत्र की भुक्ति, उपभुक्ति समिति क्रियांवित होगी।
(2) उत्कल समाज
पूर्वी उडिसा के उत्कल भाषी क्षेत्र को उत्कल समाज नाम दिया गया है। उत्कल सभ्यता एवं संस्कृति का यह क्षेत्र अपने संस्कारों के समाज की रचना की योग्यता रखता है। यह इसके पूरबी दिशा में बंगाल की खाड़ी, उत्तर में आमरा बंगाली समाज, पश्चिम में कौशल समाज तथा दक्षिण दिशा में आंध्रा सिरकारी समाज आता है। इस समाज क्षेत्र में उडिसा राज्य के 13 जिलें है। इसके केन्द्रीय समिति के भुक्ति व उपभुक्ति समिति का गठन किया जाएगा।
(3) कौशल समाज
उडिसा राज्य का पश्चिमी भाग कौशल भाषी क्षेत्र है। जहाँ कौशल सभ्यता व संस्कृति को फलने फूलने का प्रयाप्त अवसर मिले। कौशल संस्कार के आधार पर कौशल समाज विकास के यात्रा करने पूर्णतया सक्षम है। 15 से 17 उडिसा के जिले व कुछ तहसील तथा छत्तीसगढ़ के कुछ कौशल भाषी क्षेत्र मिलकर कौशल समाज के संस्कार के आधार कौशल क्षेत्र की प्रगति का अध्याय लिखने को आतुर है। इस समाज के पश्चिम में छत्तीसगढ़ी समाज, पूरब में उत्कल समाज दक्षिण में आंध्रा सिरकारी समाज व उत्तर में नागपुरिया समाज का भाग है।
(4) सिक्किमी (भूटिआ) समाज
सिक्किम प्रांत के उत्तर, पूरब, दक्षिण व पश्चिम नामक चार जिलों का यह क्षेत्र सिक्किमी भाषा अर्थात भूटिया भाषा बोलते है। यहाँ प्रमुख लेप्चा जनजाति के लोग है। लेप्चा बोली का प्रयोग करते है। इसके उत्तर व उत्तर पूर्व में चीन तिब्बत दक्षिण पूर्व में भूटान, दक्षिण में आमरा बंगाली समाज व पश्चिम में नेपाल है। इसका क्षेत्रफल लगभग 7096 वर्गकिलोमीटर है। यहाँ एकीकृत पर्वतीय प्रणाली में आर्किड की खेती की जाती है। यह पर्वतीय क्षेत्र है। अपनी भाषा संस्कृति, सभ्यता तथा भौगोलिक विशेषताओं के कारण एक सामाजिक आर्थिक इकाई के रुप में अपना परिचय देता है।
(5) बोडो समाज
असम के पांच जिले तथा अरुणाचल प्रदेश का एक जिला बोडो भाषा, सभ्यता एवं संस्कृति का क्षेत्र है। बोडो लोगों ने अपने सांस्कृतिक अस्तित्व एवं अधिकारों की मांग को लेकर असम व भारत सरकार से लंबा संघर्ष किया है। इस समाज परिक्षेत्र के उत्तर में भूटान, पश्चिम में आमरा बंगाली समाज, दक्षिण व पूर्व में असम उन्नयन समाज परिक्षेत्र है।
(6) असम उन्नयन समाज
असम का दक्षिण पश्चिम हिस्सा व अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा असम उन्नयन समाज के नाम से चिन्हित किया गया है। इस परिक्षेत्र के उत्तर पश्चिम में बोडो समाज का क्षेत्र, उत्तर पूर्व व पूर्व में चीन तिब्बती क्षेत्र, दक्षिण पूर्व में नागालैंड तथा दक्षिण व दक्षिण पश्चिम में मेघालय जो आमरा बंगाली का हिस्सा है। असम उन्नयन समाज असमीया भाषा, सभ्यता एवं संस्कृति को द्योतक है। यहाँ भौगोलिक संरचना अलग से प्रगति की मांग करती है।
(7) भारतवर्ष का अत्यंत पूर्वी क्षेत्र -
हमने हमारे समाज के प्रथम अंश में भारतवर्ष के पूर्वी भाग के छ: समाज इकाई का अध्ययन किया इसमें अत्यंत पूर्वी भारत नागालैंड, मिजोरम व मणिपुर क्षेत्र है। यहाँ सभ्यता व सांस्कृतिक विरासत अपने विशिष्टता रखती है लेकिन समाज इकाई के रुप में अस्तित्व के सभी बिंदु क्रियांवित नहीं होते है। अत: इन्हें पृथक समाज इकाई के रुप में चिन्हित नहीं किया है। इसकी योजना भविष्य में अन्य समाज से मिलकर बनेगी। इसमें सबसे अधिक निकटता आमरा बंगाली समाज की है। तब तक इस विशेष आर्थिक जोन मानकर विकसित किया जा सकता है।
पूर्वी भारतवर्ष की सामाजिक आर्थिक इकाइयों का यह अध्ययन पत्र सभी सामाजिक आर्थिक इकाइयों के भारतवर्ष की राजनैतिक अधिन पृथक अस्तित्व एवं विकास योजना निर्माण आवश्यक स्वीकार करता है। साथ में पूर्वी भारत के समाज आंदोलन की एक मॉनेटरिंग इकाई को भी लेकर चला जा सकता है। इस क्षेत्र का सबसे बड़ी सामाजिक आर्थिक इकाई आमरा बंगाली किसी के अधिकार का अतिक्रमण न करते हुए इनको पर्याप्त सहयोग मिलता रहे।
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