बुद्धिजीवी आंदोलन

🕺_____________________🕺

गूगल के किसी भी कोने में बुद्धिजीवी नाम का आंदोलन नहीं पड़ा है। लेकिन समय पर बुद्धिजीवियों ने व्यवस्था के विरुद्ध कमर कसी  है। उसका नाम इतिहास के पन्नों में भले ही बुद्धिजीवी आंदोलन के नाम से दर्ज नही हुआ। अन्याय, अनीति तथा अव्यवस्था के विरूद्ध भरी गई सभी हूंकार में बुद्धिजीवी वर्ग की अगुआई रही हैं। किसी ने ठीक ही लिखा है कि जो सत्ता से सवाल नहीं कर सकता है, कायर है। जिसके मन में सत्ता के विरुद्ध सवाल नहीं उठता, वह मूर्ख है।

बुद्धिजीवी शब्द का अर्थ - जिनकी आजीविका बुद्धि के बल पर चलती है। इस श्रेणी में अधिवक्ता, पत्रकार, लेखक, कवि, अभिकर्ता, अभियंता, चिकित्सक, शिक्षक, अधिकारी, न्यायकर्ता, राजनेता, समाज नेता, व्यवसायी इत्यादि है। इसमें कुछ व्यवस्था के अंग है, कुछ व्यवस्था के सहयोगी अथवा सहायक तो कुछ व्यवस्था के समर्थक एवं कुछ व्यवस्था से प्रश्न करने वाले है। कुछ ऐसे भी है, जो व्यवस्था से असंतुष्ट है। जब इन असंतुष्ट वर्ग की संख्या बढ़ जाती है तब कुछ परिवर्तन होने की मांग बढ़ जाती है। यह मांग ही नये मूल्यों को जन्म दिती है। बुद्धिजीवी वर्ग उन्हीं मूल्यों के लेकर सत्ता के विरुद्ध आंदोलन का शंखनाद करते है। भूलवश, गलती से अथवा अज्ञानतावश अध्ययन कर्ताओं ने उसका नाम बुद्धिजीवी आंदोलन नहीं दे पाये। प्रउत व्यवस्था बुद्धिजीवी वर्ग की पीड़ा का अनुभव करती है तथा उनके सर्वांगीण कल्याण का पथ देता है। यह चहूँमुखी कल्याण की व्यवस्था ही बुद्धिजीवी वर्ग का आंदोलन है। 

1. *आयकर मुक्त समाज, बुद्धिजीवियों की मांग* - बुद्धिजीवी वर्ग पहला कार्य आयकर समाप्त करने को लेकर करेंगा। इस आयकर ने मिथ्याचार व चौर्यवृति को जन्म दिया है। किसी को देकर वापस लेना बहुत अधिक कष्ट देता है। यदि उसको पहले से ही कम मिलता है, वह उतना कष्टकारी नहीं होता है - जो आकर चला जाता है, वह दर्दनाक होता है। पहले पहले यह नासूर पीड़ा दायक नहीं होता है लेकिन बाद में पीड़ादायक लगने लगता है, तब मरम्मत पटी के लिए इधर उधर दौड़ता है। अतः बुद्धिजीवी वर्ग के आंदोलन का प्रथम कार्य आयकर खत्म करने की आवाज बन है। यहाँ आयकर समाप्त के जनमानस को सार्वजनिक हित में 2 प्रतिशत में दान हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए। 

2. *कराधान पर बुद्धिजीवियों का स्पष्ट मत - केवल उत्पादन कर* - बुद्धिजीवी वर्ग की द्वितीय आवाज एक समाज, एक कर है। यह कर मात्र उत्पादन कर होगा। जो एक बार उत्पादन पर लगेगा। इस ज्यादा कर व्यवसायी को चोर बनाता है तथा उपभोक्ता के पाकेट का भार बढ़ता है। इससे व्यवसाय गलत रास्ते पर बढ़ता है। उसे कालाबाजारी कहते है। कालाबाजारी का जड़ मूल से उन्मूलन के लिए एक मात्र व एक बार उत्पादन कर की मांग करना है। 

3. *मिलावट खोरी व घटिया किस्म के विरुद्ध बुद्धिजीवियों का संघर्ष* - अति लाभ के लालच से व्यवसायी दिशाहीन राह पर बढ़ता है। इसे रोकना बुद्धिजीवी वर्ग का काम है। घटिया किस्म व मिलावटी वस्तुएँ को रोकना सरकार के लिए अधिकारी नियुक्त है।  फिर भी यह बीमारियां क्यों? इसका विकल्प की खोज करना बुद्धिजीवी आंदोलन की मांग है। 

4. *भ्रष्टाचार मुक्त समाज देना बुद्धिजीवियों का कर्तव्य* -  भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी युथ आंदोलन का अंग है। लेकिन यह लड़ाई बुद्धिजीवी भी लड़ेंगे। उनके सहयोग के बिना संभव नहीं है। 

5. *उच्चतम आय व निम्नतम आय पर समाज का नियंत्रित हो - बुद्धिजीवियों की आवाज* - समाज में आय का अन्तराल नियंत्रित नहीं होने पर आर्थिक विषमता को जन्म देती है। इससे समाज वर्गों में बट जाता है। जो वर्ग संघर्ष की कहानी लिखती है।  अतः बुद्धिजीवियों का दायित्व है कि समाज के साधारण जन की निम्न आय व गुणीजन की अधिकतम आय का निर्धारण करना तथा उसके बीच के अंतराल को अधिक नहीं बढ़ने देना है। 

6. *समाज की हर समस्या पर बुद्धिजीवियों की दृष्टि* - बुद्धिजीवी होने का अर्थ बुद्धि से आजीविका चलना ही नहीं बुद्धिमान होने का दायित्व भी निभाना है। समाज के प्रत्येक वर्ण व व्यवसायी की समस्या का निराकरण प्रस्तुत करने की लड़ाई भी लड़ना है। समाज का कर्तव्य है कि एक का दर्द सबकी चिंता बने तथा एक सुख सबके हर्ष का विषय बने। उक्त कर्तव्य को सच्चे अर्थ में फलीभूत करने का दायित्व बुद्धिजीवी वर्ग का है। 

7. *बुद्धि का सदुपयोग बुद्धिजीवी की पहचान* - बुद्धिजीवी होने अर्थ बुद्धि का सदुपयोग करना भी है। अवैधानिक व वर्जित रास्ते से धनार्जन करना सुपथ नहीं है। अतः बुद्धिजीवी को न स्वयं इस पथ पर चलना चाहिए तथा न ही ओर चलने देना है। अतः बुद्धिजीवी तस्करी, , डकैती एवं चोरी के विरुद्ध भी योद्धा बनकर उपस्थित  होना भी है। 

8. *आध्यात्मिक नैतिकता प्रतिष्ठित करना बुद्धिजीवियों का ध्येय* - आध्यात्मिक नैतिकता बुद्धिजीवियों का कार्य, कर्तव्य अथवा संकल्प ही नहीं है। यह बुद्धिजीवी वर्ग का ध्येय है।

9. *आदर्श राजनैतिक परिवेश तैयार करना बुद्धिजीवियों का करणीय कार्य* - गंदी राजनीति देश व समाज के लिए घातक है। गंदे परिवेश से मुक्त के लिए राजनीति से समाजनीति की ओर चलना होता है। यह कार्य राजनैतिक व्यवसायी नहीं कर सकते है। अत: बुद्धिजीवियों को पहल करनी होगी। 

बुद्धिजीवी आंदोलन की सुदृढ़ता प्रउत की संस्थापना में सबसे सहायक है। लेकिन वही यक्ष प्रश्न बुद्धिजीवी आंदोलन किसीकी जिम्मेदारी - यूनिवर्सल प्राउटिस्ट इंटेलेक्चुअल फैडरेशन की अथवा समाज समर्थित बुद्धिजीवी संघ की।
Previous Post
Next Post

post written by:-

0 Comments: