( *विश्व में प्रउत के प्रचार व प्रसार की संपूर्ण जिम्मेदारी प्राउटिस्ट यूनिवर्सल की ही है- एक यक्ष प्रश्न*)
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श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का न्यायालय में दिये गए एक बयान को रेखांकित करते हुए प्रश्न कर रहा हूँ कि प्राउटिस्ट यूनिवर्सल ही प्रउत के प्रचार व प्रसार हेतु एक मात्र जिम्मेदारी लेने वाला संगठन है? बाबा का बयान था कि *"मैंने मात्र एक संगठन आनन्द मार्ग प्रचारक संघ बनाया है तथा उसका एक मात्र डिपार्टमेंट इरोज ( ईराज) है। अन्य संगठन का मेरा कोई संबंध नहीं है।"* जबकि यथार्थ यह है कि *आनन्द मार्ग परिवार के सभी संगठन बाबा की इच्छा से अस्तित्व में आए हैं।* उपरोक्त दोनों बातें आपस में एक दूसरे का विरोधाभास नहीं करती है। प्रथम बात वैधानिक पक्ष की है, जिसके अनुसार श्री श्री आनन्दमूर्ति जी आनन्द मार्ग प्रचारक संघ के ही अध्यक्ष थे। अन्य संगठन के लिगल सदस्य एवं पदाधिकारी वे नहीं थे। दूसरी बात यह है कि श्री श्री आनन्दमूर्ति जी संपूर्ण आनन्द मार्ग परिवार के ईष्ट व गुरु है, इसलिए उनकी इच्छा एवं निर्देशन के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता है।
यह बात लिखने के बाद मैं आपको प्राउटिस्ट यूनिवर्सल के संगठनात्मक स्वरुप की ओर ले चलता हूँ, जो पंजीकृत स्वरुप सामने दिखाई देता है। PU के संगठन में पांच फैडरेशन तथा PU की संरचनात्मक स्वरुप के दर्शन है। प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति, सामाजिक आर्थिक इकाइयां,
प्राउटिस्ट वाहिनी व प्राउटिस्ट सेवादल का स्थान नहीं दिखाई देता है। एक ओर पक्ष यह है कि परम कृपानिधान बाबा ने प्रउत देने के बाद प्रथम प्राउटिस्ट छात्र संघ का निर्माण किया तत्पश्चात प्राउटिस्ट फारुम का निर्माण किया, जिसे कालांतर में प्राउटिस्ट यूनिवर्सल में बदल दिया तथा छात्र संघ उसकी एक शाखा बना दिया गया। अतः प्रउत का विश्व से परिचय कराने वाली एकमेव संस्थान प्राउटिस्ट यूनिवर्सल बन गई। यह संस्थान आनन्द मार्ग परिवार की केन्द्रीय इकाई से भुक्ति इकाई एवं निम्नतर इकाई में अपना प्रतिनिधि देती है अथवा इसके प्रतिनिधित्व से आनन्द मार्ग परिवार का संरचनात्मक स्वरुप पूर्ण होता है। यह अपनी रिपोर्टिग PRS के माध्यम से GS आनन्द मार्ग प्रचारक संघ को देता है। अर्थात पुरोधा प्रमुख, आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की सर्वोच्चता स्वीकार एवं अंगीकार करके चलता है। निम्न स्तर पर सीधे उस स्थिर के आनन्द मार्ग प्रचारक संघ के अधिकारी को देता है। प्राउटिस्ट वाहिनी वीएसएस की वाहिनी इकाई तथा प्राउटिस्ट सेवादल आनन्द मार्ग परिवार के सेवादल डिपार्टमेंट की लिगल इकाई से आता है, *जबकि समाज इकाइयां बिलकुल स्वतंत्र संरचना है, जो प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति नामक केन्द्रीय इकाई से समन्वयक की जाती है। इसलिए यह प्रश्न ओर भी अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है कि प्राउटिस्ट यूनिवर्सल समाज आंदोलन के परिपेक्ष्य में क्या भूमिका रखता है तथा क्या प्राउटिस्ट यूनिवर्सल ही प्रउत के प्रचार-प्रसार की एक मात्र सर्वोच्च संस्था है?
आनन्द मार्ग परिवार के सभी सदस्यों की के लिए आनन्द मार्ग प्रचारक संघ आदर्श है। अतः प्राउटिस्ट यूनिवर्सल उसका आनुषंगिक संगठन होने के नाते सभी प्रउत की बात करने वालों के लिए अनुशासन की बागडोर में बांधने वाला संगठन माना जाना चाहिए। इस दृष्टि से प्राउटिस्ट यूनिवर्सल की नजदीकियां समाज आंदोलन तथा उसकी सर्वोच्च इकाई प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति से है ।
अब प्रश्न यह है कि क्या प्राउटिस्ट यूनिवर्सल एक बाज पक्षी है जिसके पैर की जकड़न में प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति तथा आंदोलन चलेगा? इसका उत्तर बाबा के आदर्श के दृष्टिकोण में *ना* में है। प्राउटिस्ट यूनिवर्सल के निर्देशन में समाज आंदोलन चलेगा लेकिन पूर्णतया उसके नियंत्रण अथवा नियमन में चलना समाज आंदोलन के आदर्श स्वरुप में निहित नहीं है। समाज इकाई अपना सचिव, समिति व कार्यकारिणी चुनने को स्वाधीन है तथा समाज इकाई का सचिव प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति के पदेन सदस्य है तथा वही प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति के सचिव व कार्यकारिणी का चयन करती है। यहाँ प्राउटिस्ट यूनिवर्सल एक परिवीक्षक की भूमिका में रह सकता है लेकिन उसको अपने हाथ की कठपुतली बनाकर नहीं नचा सकता है। समाज आंदोलन में स्थानीय अभिभावक बनकर प्राउटिस्ट यूनिवर्सल का सदस्य संरक्षण कर सकता है लेकिन वह उसे अपने कर्मचारी अथवा अधिनस्थ की तरह व्यवहार नहीं कर सकता है। यह सभी बातें समाज आंदोलन के आदर्श स्वरुप में उपस्थित बिन्दुओं के आधार पर रेखांकित की जा रही है। अतः सप्रमाण सिद्ध है कि समाज आंदोलन में प्राउटिस्ट यूनिवर्सल सहयोगी प्रमुख है - आका अथवा मालिक नहीं है। मी लार्ड नहीं एक प्रथम व प्रधान सहयात्री है।
यहाँ एक बात उभर कर आती है कि क्या समाज इकाई स्वयंभू बन सकती है? उत्तर नहीं यदि वह स्वयंभू बनने की कोशिश करती तथा प्राउटिस्ट यूनिवर्सल के सहयोगी अथवा सहयात्री की भूमिका छोड़ती है, तो प्राउटिस्ट यूनिवर्सल प्रधान, प्रमुख, मुख्य एवं प्रथम सहयात्री की भूमिका में होने के कारण कुछ कठोर रुख अपनाने का समर्थन प्रउत आंदोलन से स्वीकृति प्रदान है। यह सदविप्र बोर्ड से न्याय करने हेतु लिख सकता है तथा बात पुरोधा बोर्ड तक ले जा सकते है, यह आनन्द मार्ग परिवार के अनुशासन नियमावली के अनुकूल है।
प्राउटिस्ट यूनिवर्सल का समाज आंदोलन को अपनी इच्छा महत्वाकांक्षा के अनुरूप मोड़ने का नैतिक तथा वैधानिक अधिकार नहीं है, ऐसा करने पर समाज इकाई, प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति न्याय की गुहार लगा सकते है।
*प्राउटिस्ट यूनिवर्सल , समाज आंदोलन का सहयात्री है - जनक नहीं!!!!!!!!* इस सहयात्री में प्रधान कारक है लेकिन समाज आंदोलन गौण कारक नहीं माना जाएगा, वह भी बराबर है - PU जेष्ठ होने के नाते दिशा निर्देशन दे सकता है अथवा कर सकता तथा समाज इकाई, इन निर्देशों पर अमल करना चाहिए..........
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