समाज आंदोलन का आनन्द मार्ग प्रचारक संघ एवं पुरोधा प्रमुख के प्रति दृष्टिकोण


आज की चर्चा का विषय समाज आंदोलन का आनन्द मार्ग प्रचारक संघ के प्रति दृष्टिकोण है। समाज आंदोलन प्रउत व्यवस्था को स्थापना का संकल्प पत्र है। प्रउत श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का अवदान है, जिसे उनके एक रुप श्री प्रभात रंजन सरकार ने जगत के समक्ष रखा है। अतः समाज आंदोलन के संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले सभी स्वयंसेवकों को श्री श्री आनन्दमूर्ति जी एवं आनन्द मार्ग का महात्म्य मानकर ही चलना होगा। चूंकि आनन्द मार्ग समाज आंदोलन का आदर्श है, इसलिए आनन्द मार्ग परिवार की सभी संस्थान का मान सम्मान करना समाज आंदोलन के सैनिकों का दायित्व एवं मौलिक कर्तव्य भी है। आनन्द मार्ग परिवार की सभी संस्थान की मातृ संस्था (Mother organization) आनन्द मार्ग प्रचारक संघ है, अत: सभी पुत्री संस्थाएं(Daughter organizations) व पौत्री संस्थाओं (Grand daughter organizations) का फर्ज है कि आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की सर्वोच्चता स्वीकार करके चले तथा चलना उनका धर्म है। जब भी कोई संस्थान, संगठन, आंदोलन अथवा व्यक्ति अपने धर्म से पृथक होकर चलने लगेगा तब वह अपना अस्तित्व ही खो जाएगा। समाज आंदोलन अपना अस्तित्व खोने नहीं अस्तित्व बनाने आया है, इसलिए आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की सर्वोच्च स्वीकार करता है तथा भविष्य में जो व्यक्ति इस महान आदर्श को लेकर चलेगा उन्हें आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की सर्वोच्चता स्वीकार करके ही चलना होगा, भले ही उनकी व्यक्तिगत आस्था कही भी हो आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की सर्वोच्चता स्वीकार करनी ही होगी, इसके साथ समाज आंदोलन समझौता नहीं कर सकता है, भले ही यह आंदोलन जन्म लेने से पूर्व ही गर्भपात को प्राप्त क्यों न हो अथवा शैशवावस्था, बाल्यावस्था किशोरावस्था, युवावस्था प्रोढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था में आपात मौत क्यों न हो जाए, यह अपने संकल्प से इधर उधर नहीं हो सकता है। 

समाज आंदोलन आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की सर्वोच्चता स्वीकार कर चुका है, इसलिए पुरोधा प्रमुख को मानकर ही चलेगा, इसके अलावा कोई रास्ता एवं सहारा नहीं है। समाज आंदोलन किसी को गुमराह करने के लिए नहीं बना है, यह अपनी सभी धारणा को स्पष्ट करके ही आगे बढ़ेगा, समाज आंदोलन का कोई छिपा हुआ एजेण्डा नहीं है। समाज आंदोलन सभी को यह वचन देता है कि समाज आंदोलन का किसी प्रकार की गुटबाजी से कोई लेना देना नहीं है तथा किसी भी गुट की जुगलबंदी से समाज आंदोलन प्रभावित नहीं है तथा भविष्य में भी किसी भी गुट का सदस्य बनकर नहीं रहेगा। बाबा ने अपने शिष्यों को सभी प्रकार की गुटबाजी से पृथक रहने का आदेश दिया है अतः यह ग्रुप सभी प्रकार की गुटबाजी से अपने को उपर रखता है। समाज आंदोलन व्यक्ति की निजी आस्था तथा उसके इतिहास से कोई मतलब नहीं रखता है, जो भी इस संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर कर साथ चलने को तैयार है, उन्हें अपनी व्यक्तिगत आस्था को मानने की स्वाधीनता है, व्यक्तिगत रूप से उसका सामाजिक व्यवहार किसके साथ है तथा व्यवहार रहेगा, इससे ग्रुप का कोई वास्तां नहीं है। राजनैतिक जुड़ाव वाले व्यक्ति पर समाज आंदोलन सशक्त है, उन्हें अपनी राजनैतिक यात्रा जितना जल्दी हो सकें, उतना जल्दी विराम देंगे।
----------------------------

नोट - यह एक विचार है, सभी मंथन करें

इससे संबंधित सभी प्रश्नों का आदर किया जाएगा
Previous Post
Next Post

post written by:-

0 Comments: