विषम परिस्थितियों में समाज आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाएंगे?


आज की चर्चा का विषय है - विषम परिस्थितियों में समाज आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाये? 

*1.मातृ संस्था, अस्तित्व की लडाई लड़ रही है* - समाज आंदोलन, सामाजिक आर्थिक इकाई क्षेत्र में रहने वाले लोगों को संगच्छधवं सिखाने की विधा का नाम है, वहाँ किसी प्रकार की संस्था तथा संस्थागत द्वंद्व पर विचार की आवश्यकता नहीं होती है। अत: इस विषय को छूना अधिक मूल्यवान नहीं है। यह प्रश्न समाज आंदोलन की दिशा को रोक अथवा मोड़ नहीं सकता है। 

 *2. आनन्द मार्गी बिखरे हुए है* - समाज आंदोलन समाज इकाई क्षेत्र के समस्त नागरिकों का दायित्व है, अतः आनन्द मार्गियों दिशा समाज आंदोलन की दिशा तय नहीं करेंगी

*3. सभी प्राउटिस्ट अपने अपने ढंग से सोचते हैं* - समाज आंदोलन प्रउत को धारण करके चलता है अतः प्राउटिस्टों की सोच अवश्य ही कुछ समय रुक कर विचार करने की आज्ञा देता है। लेकिन समाज आंदोलन की दिशा एक ही सर्वजन हित व सुख। वहाँ प्राउटिस्टों की सर्वजन हित व सुख में नहीं समाती तो उन्हें प्राउटिस्ट की संज्ञा देना भी एक प्रश्न है तथा समाज आंदोलन प्रश्न से घबराता है

*4. संसाधनों की कमी है* - संसाधन कार्य की प्रगति में सहायक है, इसलिए समाज आंदोलन क्रमिक प्रगति करके उच्च मूल्यों को प्राप्त करेंगा। जो संसाधनों की कमी का रोना नहीं रोयेगा। 

*5. कैडर नहीं के बराबर है* - कार्य की परिणित में कैडर बिन्दु महत्वपूर्ण है, इसलिए कैडर की आपूर्ति के लिए सांस्कृतिक आंदोलन को प्रथम बिन्दु पर लिया गया है

*6.अनुशासन शून्य है* - अनुशासन कार्य को लक्ष्य में प्रणीत करता है इसलिए समाज आंदोलन अनुशासन से समझौता नहीं करता है। 

*7. प्राउटिस्टों में विद्वेष, संघर्ष है व लड़ाई चल रही है* - यह दुखद बात है लेकिन समाज आंदोलन इससे प्रभावित नहीं होता है, जिसे चलना वह चलता रहेगा। 

*8. भारतवर्ष में प्राउटिस्टों की संख्या न के बराबर है* - शून्य से सर्जन का मनोविज्ञान पढ़ कर समाज आंदोलन आगे बढ़ रहा है। 

*9. प्राउटिस्ट उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पा रहे हैं* - यह विडम्बना है, इसलिए समाज आंदोलन सशक्त उम्मीद को लड़ने भेजने की बात लिखता है। 

*10. समाज में जातिवाद, साम्प्रदायिकता, वर्ग संघर्ष का बोलबाला है* - इस समस्या को निस्ताबुज करने की विधा का नाम ही समाज आंदोलन है। 

*11. समाज आंदोलन की बात करने वालों कौन विश्वास करता है?* - इसका जबाब समय पर छोड़ता हूँ, कर्म, दिशा व दशा को ही समाज आंदोलन अपने विश्वास का आधार मानता है।
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