श्री आनन्द किरण की कलम से
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नयनों में वैभव के सपने, मन में तूफानों सी गति, ऐसे ही हृदय में उठते हुए ज्वार, परिवर्तन की ललक, अदम्य साहस, स्पष्ट संकल्प लेने की चाहत का नाम है - युवावस्था। दुनिया का कोई भी आन्दोलन, दुनिया की कोई भी विचारधारा युवाशक्ति के बिना सशक्त नहीं बन सकती है। वास्तव में वह युवा शक्ति ही है जिसके दम पर शोषण की व्यवस्था के विध्वंस और नये निर्माण की नीव रखी जाती है। अतः मेरे मन में युवा शक्ति के अदम्य साहस व दृढ़ संकल्प को नमन करने की इच्छा हुई, इसलिए मैं युवा आंदोलन को देखने के लिए निकला हूँ।
मनोवैज्ञानिक गवेषणा के अनुसार युवा अवस्था 18 से 25 वर्ष तक मानी गई है लेकिन सामाजिक मान्यता 18 से 35 वर्ष की आयु युवावस्था मानता है। राजनीति के गलियारों में तो 18 से 50 की आयु को युवा शक्ति नाम दिया जाता है। हमारा विषय युवावस्था का निर्धारण करना नहीं है। हम युवा आंदोलन को समझने के लिए निकले हैं, इसलिए युवा शक्ति का सही निर्धारण कर आगे बढ़ते हैं। इस आलेख के अनुसार छात्र जीवन को अलविदा कर जो आयु अपने कैरियर निर्माण तक के लिए है, उस आयु को युवा शक्ति नाम पर समर्पित कर युवा आंदोलन की रुपरेखा को समझते है।
युथ के मन में अपने भविष्य के सपने है, जिसके लिए आज के समाज ने दुनिया का मैदान उसके सामने रणभूमि के रुप में छोड़ दिया है। वह चाहता था कि दुनिया उसके लिए रंगभूमि हो, जहाँ वह अपने योग्यता का प्रदर्शन करें तथा दर्शक उनकी योग्यता को सराहें लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उसको अपने कैरियर निर्माण के लिए जमाने के साथ एक जंग लड़नी पड़ रही है। क्या युवा यही दृश्य अपने अनुजों के लिए छोड़ कर जाना चाहता है? यदि उत्तर हाँ है तो उस युवा शक्ति को 'परिवर्तन की ललक, अदम्य साहस, हृदय में उठने वाले ज्वार व मन में तूफान लिए' की उपमाओं से अलंकृत नहीं किया जा सकता। उन युवाओं की टोली जो आने वाली पीढ़ी के खातिर कुछ करने की अदम्य लालसा के साथ निकल पड़ता है, यहीं से शुरू होती है 'युवा या युथ आंदोलन' की यात्रा।
युथ आंदोलन उस विधा का नाम है जो समाज की व्यवस्था को इस ढंग से सृजित करें कि किसी युवा को इस दुनिया में निसहाय दर दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर होना नहीं पड़े। उनका कैरियर भटकाव या झंझावात में नहीं बल्कि प्रगति की राह पर द्रुत गति से दौड़े। अत: युथ आंदोलन का प्रथम बिन्दु रोजगार है।
1. शत प्रतिशत रोजगार युवाओं का अधिकार है - बेरोजगारी सामाजिक अभिशाप है। यदि कोई समाज एवं राष्ट्र इस अभिशाप को लेकर चलता है, तो वह देश व समाज आदर्श प्रतिमान को नहीं प्राप्त कर सकता है। यहाँ एक बात स्पष्ट समझना आवश्यक है कि रोजगार शब्द का अर्थ नौकरी नहीं होता है। कोई भी सरकार शत प्रतिशत नौकरी नहीं दे सकती है जबकि शत प्रतिशत रोजगार देना असंभव नहीं है। युवा शक्ति 'सबके लिये काम और रोजगार' की आवाज को बुलंदी से उठायेंगे। रोजगार शब्द का अर्थ एक परिवार को वर्ष में 200 रुपये के हिसाब 100 दिन का काम देना नहीं है। यह सरकार द्वारा दी जाने वाली खैरात है जिसकी युवाओं को आवश्यकता नहीं है। सभी युवाओं का काम या रोजगार में 100% समायोजन हो और उन्हें इतनी क्रयशक्ति मिले की वह अपनी और अपने परिवार की न्यूनतम आवश्यकताओं को सुविधापूर्वक खरीद सकें। ऐसे ही क्रय क्षमता रोजगार शब्द को सार्थक करता है।
2. स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देना समाज का कर्तव्य है - शत प्रतिशत रोजगार का लक्ष्य स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता दिये बिना संभव नहीं है। स्थानीय लोग भूखे रहें तथा बाहर का व्यक्ति उनके संसाधनों का दोहन कर ले जाए, यह न्यायसंगत नीति नहीं है। अतः स्थानीय युवाओं को स्थानीय रोजगार में प्राथमिकता देने की लड़ाई भी लड़नी होगी। स्थानीय स्तर पर उचित डिग्रीधारी व्यक्ति नहीं मिलने पर भी उपयुक्त योग्यता रखने वाले नौजवान को रोजगार देकर उसे उपयुक्त डिग्री धारण करने हेतु अवसर उपलब्ध कराकर भी स्थानीय स्तर पर शत प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है तथा यही न्याय संगत रोजगार नीति है।
3. भ्रष्टाचार व भाई भतीजावाद का समूल उन्मूलन युवा आंदोलन का संकल्प हो - जब तक समाज, राज्य व सरकार में भ्रष्टाचार, रिश्वत, जैक चैक, तथा भाई भतीजावाद का बोलबाला है तब तक शत प्रतिशत रोजगार नीति, स्थानीय लोगों को प्राथमिकता वाली रोजगार नीति यथार्थ में परिणत नहीं हो सकती है। अत: भ्रष्ट तंत्र एवं भाई भतीजावाद की व्यवस्था का समूल उन्मूलन करना ही होगा। इसके लिए राज्य के ढुलमुल कानून नहीं चलेंगे। इस हेतु कठोर कानून की आवश्यकता है। जो खाया है उसे सूद सहित निकलवाना होगा तथा वह व्यक्ति पुनः अपने पद या व्यवस्था का दुरुपयोग नहीं कर पाए, उसकी भी व्यवस्था करनी होगी।
4. अविवेकपूर्ण आरक्षण नीति का विरोध - प्रउत युग में आरक्षण नीति की व्यवस्था नहीं होगी। लेकिन प्रउत आने तक वैकल्पिक व्यवस्था के रुप में एक विवेकपूर्ण आरक्षण व्यवस्था रखी जा सकती है। जातिगत आरक्षण व्यवस्था में विवेकपूर्ण नीति नहीं है, इसलिए इसे बंद करवाने के लिए युवा शक्ति को आवाज बनना ही होगा। वंछित एवं दमित को बैशाखी की आवश्यकता है लेकिन कलेक्टर, मंत्री व राष्ट्रपति जी के बेटे भी जातिगत कारण से उस पंक्ति में खड़े मिलें तो यह न्याय संगत नहीं है। आरक्षण एक बैशाखी है जो वंचित व दमित को समाज की मुख्यधारा के द्वार तक लाने में मदद करती है लेकिन उसके बाद भी दो पैर वाले को बैशाखी के बल पर दौड़ाना मूर्खता है, अत: पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था को संपूर्ण रुप से बंद करने की आवश्यकता है। जन प्रतिनिधित्व में आरक्षण देना लोकतंत्र का सबसे बड़ा हास्य है। 75 वर्ष के लोकतंत्र में भी सरंक्षण के बल पर चलना पड़े तो इसे अच्छा तो मनोनयन के आधार पर ही प्रतिनिधित्व देना ही है। आपात परिस्थित तक विवेकपूर्ण आरक्षण व्यवस्था को मान्यता दी जा सकती है लेकिन आरक्षण व्यवस्था स्थायी तथा दीर्घ अवधि तक रहे तो मान्य नहीं है। इस आपात अथवा संक्रमण स्थिति के निर्धारण का अधिकार भी राजनैतिक शक्ति के हाथ में कभी भी नहीं होनी चाहिए। यह अधिकार मात्र एवं मात्र न्यायालय के पास होना चाहिए। तांकि समाज को जब आवश्यकता महसूस हो तब न्याय की गुहार लगा सकें। युवाओं का आंदोलन की पृष्ठभूमि इससे अछूती नहीं रह सकती है।
5. जातिवाद व साम्प्रदायिकता के विरूद्ध भी उठेगी युवाओं की आवाज - यद्यपि जाति व साम्प्रदायिक समस्या सामाजिक है फिर भी यह युवा आंदोलन की आवाज़ बननी चाहिए। क्योंकि भविष्य का समाज उनका है। युवा वर्ग यदि इन बीमारियों के संग समाज में प्रवेश करेगा तो सभी सम होने पर भी सुख व चैन से नहीं रहेगा। इसलिए "एक चुल्हा एक चौका, एक है मानव समाज।" "जात-पात की करो विदाई, मानव-मानव भाई-भाई।।" युथ आंदोलन के भी नारे होंगे।
6. न्यूनतम आवश्यकता पूर्ण करने की आवाज भी बन सकती है युथ आंदोलन का हिस्सा - यद्यपि व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यकता अन्न, वस्त्र, चिकित्सा, शिक्षा व आवास, समाज आंदोलन का प्रथम बिन्दु है तथापि यह आवाज युथ आंदोलन में भी उठे तो यह अच्छी बात होगी। न्यूनतम आवश्यकता की आवाज़ युथ आंदोलन को और अधिक सशक्त एवम जबाबदेह बना सकती है।
7. 'प्रउत' युग की आवश्यकता है, यह युवा आंदोलन हिस्सा बन सकता है - युवा आंदोलन राष्ट्र, विश्व एवं व समाज के लिए प्रउत की मांग कर सकता है। इसमें युथ आंदोलन अच्छा ही दिखेगा।
छात्र आंदोलन की भांति युथ आंदोलन भी सामाजिक आर्थिक इकाई की पंच शाखा के युवा संगठन की जिम्मेदारी है। यूनिवर्सल प्राउटिस्ट युथ फैडरेशन(UPYF) इसे निर्देशित एवं नियमित कर सकता है।
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