भारतवर्ष की सामाजिक आर्थिक इकाइयों का सामान्य परिचय


प्रउत प्रणेता ने प्रउत व्यवस्था को लागू करने के लिए, जो रास्ता दिया है, वह आंदोलन के रास्ते से निकलता है, उसका नाम समाज आंदोलन दिया गया है। उनकी व्यवस्था ही निराली थी - वे पहले उत्तर देते थे फिर प्रश्न की ओर ले चलते थे। इसलिए उन्होंने समाज आंदोलन के रास्ते में जिनकी सहायता एवं सहयोग की आवश्यकता पड़ सकती है - उन्हें पहले ही गर्डर के रुप में खड़ा कर दिया है।  समाज आंदोलन - सामाजिक आर्थिक इकाइयों में सर्वजन हित  व सुख को सुनिश्चित करने की ओर ले जाने का रास्ता है। यहाँ एक प्रश्न हो सकता है कि भारत अथवा संपूर्ण विश्व को एक ही समाज इकाई के रुप में रखकर समाज आंदोलन क्यों नहीं चला? इस प्रश्न का उत्तर आज के विश्व की विकसित, विकासशील एवं अविकसित अर्थव्यवस्थाओं से मिल जाएगा। अर्थव्यवस्था का यह विषम दृश्य क्यों? क्या एक विकसित अर्थव्यवस्था में सर्व भवन्तु सुखिनः का सूत्र स्थापित है? विकासशील अर्थव्यवस्था व्यक्ति के रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा व चिकित्सा की आपूर्ति करने में सफल हुई है? अविकसित अर्थव्यवस्था व अर्द्ध विकसित अर्थव्यवस्था में निवास करने वाले मनुष्यों का क्या कसूर है?  यह प्रश्न एक समाज इकाई अथवा देश की एक सामान्य अर्थव्यवस्था के निर्माण के दोष है। यह विश्व विषमताओं का संगम है, यहाँ एक तत्व सर्वत्र लागू करना घातक है, जिसका प्रतिरुप विश्व लेकर खड़ा है। यहाँ एक ओर भी प्रश्न है कि आर्थिक विषमता को सांस्कृतिक जगत से दिखाने में क्या सार है? आर्थिक विषमता को प्रगतिशील मॉडल बनाना प्रउत आंदोलन का मूल भाव है लेकिन सांस्कृतिक विचित्रता को नष्ट करने की भूल करना इतिहास से वर्तमान का नाता  तोड़ना जो भविष्य की सभ्यता के लिए खतरनाक है।  

इन प्रश्नों के उत्तर के बाद समाज आंदोलन की सामाजिक आर्थिक इकाइयों का सामान्य परिचय लेते है

1. बंगाली समाज/ आमरा बंगाली - यह भारतवर्ष के पश्चिमी बंगाल, व बांग्लादेश, सहित बंग्ला भाषी क्षेत्र की सभ्यता एवं संस्कृति है।  यह आमरा बंगाली  नामक सामाजिक आर्थिक इकाई के रुप में अपनी प्रगति का अध्याय लिखकर बंगाल के खोये हुए सांस्कृतिक गौरव को पुनः प्राप्त करेंगे।

2. अंगिका समाज - पूर्वी दक्षिणी बिहार व झारखंड के कुछ इलाके का अंगिका भाषी क्षेत्र अंगिका सांस्कृतिक परंपरा है। यह प्राचीन अंगदेश नामक सभ्यता एवं संस्कृति इकाई थी। यह अपने आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रगति का अध्याय लिखकर अंगिका संस्कृति का पुनः उत्थान करेंगी। 

3. मिथिला समाज -  मध्य उत्तरी बिहार सहित मिथिला भाषी लोगों का समूह है। यहाँ प्रगति के चहुमुखी अध्याय लिखकर मिथिला संस्कृति का उत्थान करना है। 

4. मगही समाज/प्रगतिशील समाज - दक्षिणी पश्चिमी बिहार सहित मगही भाषी क्षेत्र है। यह प्रगतिशील मगही समाज के नाम से अपने प्रगति अध्याय लिखने को तैयार है।जहा मगध की विशाल संस्कृति अपनी पहचान अपने आंचल छिपाएं स्वर्णिम भविष्य को निहार रही है। 

5. नागपुरिया समाज- दक्षिण झारखंड का क्षेत्र नागपुरी भाषा एवं संस्कृति की पहचान है।  यह अपनी प्राकृतिक विशेषता के कारण प्रगति की मांग करती है। 

6 भोजपुरी समाज/ प्रगतिशील भोजपुरी - उत्तरी पश्चिमी बिहार दक्षिणी पूर्वी उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के भोजपुरी भाषी संस्कृति प्रगतिशील भोजपुरी के नाम से विकास की यात्रा करने को उत्कृष्ट है। यह प्रगतिशील भोजपुरी समाज के नाम अपना सांस्कृतिक व आर्थिक उत्थान मांग रहा है। 

7. उत्कल समाज - पूर्वी उडिसा की उत्कल भाषा क्षेत्र है। यहाँ की प्रगति प्रउत की इंतजार कर रही है। 

8. कौशल समाज - पश्चिम उडिसा की कौशल संस्कृति है। यहाँ विकास का मॉडल तैयार करना है। 

9. भुटिया/सिक्किमेसे समाज - सिक्किम राजनैतिक इकाई की यह भुटिया सांस्कृतिक पहचान के साथ अपनी प्रगति का अध्याय लिखने की पुकार कर रहा है। 

10. बोड़ो समाज - पूर्वोत्तर भारत का उत्तर असम क्षेत्र सहित बोडो समाज अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ प्रगति की गाथा लिखने को तैयार है। 

11.असम उन्नयन समाज -  दक्षिण असम सहित अरुणाचल का अंचल असम उन्नयन के नाम प्रगति गाथा लिखने की मांग कर रहा है। 


12. अवधि समाज - उत्तर मध्य उत्तर प्रदेश का अवधि भाषी क्षेत्र अपनी भौगोलिक विशेषता के कारण आत्मनिर्भर बनने की मांग कर रहा है। इसी अवधि समाज नाम से जाना जाता है। 

13. बृज समाज - पश्चिमी उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश, राजस्थान के बृजभाषी क्षेत्र मिलाकर बृज समाज आर्थिक इकाई के रुप में विकसित किया जा सकता है। 

14. हरियाणवी समाज - हरियाणा, दिल्ली व उत्तर प्रदेश का उत्तरी पश्चिमी इलाक मिलकर हरियाणी समाज है। इसमें राजस्थान का अलवर क्षेत्र भी है।रियाणी भाषा संवैधानिक भाषा के रुप में दर्ज होने की योग्यता रखती है। 

15. गढ़वाली समाज - पश्चिम उत्तराखण्ड का इलाका गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति का है तथा यहाँ आर्थिक समस्या समान है। 

16. कुमायुनी समाज - उत्तराखंड का पूर्वी भाग कुमायुनी क्षेत्र है, यहाँ की समस्या को समान है। 

17. पंजाबी समाज/ अस्सी पंजाबी समाज - पाकिस्तान व भारतवर्ष के पंजाब की संस्कृति एक है, यह एक सांस्कृतिक आर्थिक इकाई के रुप में विकसित करनी चाहिए।  राजनीति की सीमाओ की दीवारें यथाशीघ्र तोड़ देने में पंजाबी समाज का भला है। 

18. सिरमौरी समाज - हिमाचल प्रदेश का सिरमौर जिला अपनी प्राकृतिक विशेषताओं के कारण एक समाज कहलाता है। 

19. पहाड़ी समाज -  दक्षिण हिमाचल प्रदेश पहाड़ी समाज है, यहाँ की विकास योजना तदनुकूल तैयार करनी चाहिए। 

20. किन्नौरी समाज - पूर्वी हिमाचल के किन्नौर व लौहल स्पिति किन्नौरी समाज है। यहाँ की विकास योजना अपने तरफ की होती है। 

21. असी डोगरी समाज - उत्तरी पश्चिमी हिमाचल के उना, हमीरपुर, कांगड़ा व चंबा, दक्षिणी पूर्वी जम्मूकश्मीर क्षेत्र, पाकिस्तान के सैलकोट व नोर्वली तथा पाक अधिकृत कश्मीर का मंडी क्षेत्र डोगरी भाषी लोगों समाज है। 

22. कशियार समाज - भारतीय कश्मीर क्षेत्र, पाक अधिकृत कश्मीर व पाकिस्तान का कुछ   हिस्सा मिलाकर असि कशियारी समाज बनता है। 

23. लद्दाख़ी समाज -  करगिल व लेह लद्दाख मिलकर लद्दाख समाज है। 

24. मारवाड़ी समाज - राजस्थान के उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व, मध्य व पश्चिम के 19 जिले तथा पाकिस्तान का एक जिला मारवाड़ी समाज है। 

25. हाड़ौती समाज - राजस्थान का दक्षिणी पूर्वी भाग के चार जिले हाड़ौती भाषी क्षेत्र है, जो संस्कृति को लेकर खड़ा है। 

26. मेवाड़ी समाज - राजस्थान का दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र मेवाड़, बांगड़ परिसर मेवाड़ी समाज का हिस्सा है। 

27. कच्छी समाज - उत्तर गुजरात अथवा उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र कच्छी समाज में आता है। 

28.काठियावाड़ी समाज - दक्षिण गुजरात अथवा दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र काठियावाड़ी समाज क्षेत्र है। 

29. गुर्जर समाज - मध्य, उत्तरी पूर्वी व मध्य गुजरात गुर्जर समाज है। 

30. विदर्भ समाज - पूर्वी महाराष्ट्र विदर्भ क्षेत्र कहलाता है। यहाँ विदर्भ  समाज की योजना बनाना प्रस्तावित है। 

31. सहयाद्रि समाज -  पश्चिमी, उत्तरी व दक्षिणी महाराष्ट्र सहयाद्रि समाज है। 


32. मालवा समाज - दक्षिणी पश्चिमी मध्यप्रदेश क्षेत्र मालवा समाज है। 

33. बुंदेलखंडी समाज - उत्तरी मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश का कुछ क्षेत्र मिलकर बुंदेलखंडी समाज बना है। 


34. बघेलखंडी समाज - मध्यप्रदेश का पूर्वी भाग व उत्तर प्रदेश के निकटवर्ती क्षेत्र बघेलखंडी समाज है। 

35 . छत्तीसगढ़ी समाज - छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल का एक एक जिला मिलकर छत्तीसगढ़ समाज का निर्माण हुआ। 

36. तेलंगाना समाज -  तेलंगाना राज्य व छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों को मिलाकर तेलांगना संस्कृति को समाज इकाई रुप दिया है। 

37. आंध्रा/सिरकार समाज -  आंध्र प्रदेश का उत्तरी पूर्वी भाग सिरकार समाज इकाई बनाई गई है। 

38. रायलसीमा समाज - आंध्र प्रदेश का दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र रायलसीमा सामाजिक इकाई बनाया गया है। 

39. तमिल समाज - तमिलनाडु व श्री लंका तमिल भाषी क्षेत्र तमिल समाज इकाई है। 

40. मलयालम समाज - केरल राज्य व तमिलनाडु कुछ हिस्सा लेकर नाया मलयालम समाज बना है। 

41. कन्नड़ समाज - कर्नाटक राज्य को कन्नड़ समाज नामक आर्थिक इकाई बनाया है। 

42. कोडागु समाज -  कर्नाटक का एक जिला एक कोडागु समाज है। 

43. तुलु समाज - कर्नाटक व केरल का तुलु भाषा क्षेत्र तुलु समाज है। 

44. कोंकणी समाज - गोवा तथा कुछ महाराष्ट्र, केरल व कर्नाटक का क्षेत्र है। 


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