श्री आनन्द किरण
आज की चर्चा का विषय है - प्रउत का समाज आंदोलन कौन करेगा? प्रउत के अध्ययन एवं प्रउत की स्थापना को लेकर क्रियाशील संगठनों व उसकी कार्यशैली के अध्ययन से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि प्रउत की स्थापना में सबसे गुरुत्व भूमिका समाज आंदोलन की है। इसको संयोजित करने में प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति सहयोग करेंगी तथा प्रउत की पंच शाखा(पांच फेडरेशन) इस महान कार्य में समाज आंदोलनकारियों का कंधा से कंधा मिलाकर सहयोग करेंगे। शेष प्राउटिस्ट यूनिवर्सल, प्राउटिस्ट सेवादल, प्राउटिस्ट वाहिनी, व आनन्दम् मंच इत्यादि संगठनों से इस आंदोलन को पर्याप्त उर्जा मिलती रहेगी। इसके साथ प्राउटिस्ट फारूम व प्राउटिस्ट ब्लॉक, इंडिया के द्वारा किया गया कार्य अवश्य ही प्रउत के समाज आंदोलन के लिए कारगर सिद्ध होगा। अतः आवश्यकता होती है कि समाज आंदोलन कौन करेगा का भलीभाँति समझा जाए।
इससे पूर्व समाज आंदोलन क्या है? प्रश्न का उत्तर आवश्यक है - इसकी स्पष्ट तथा संक्षिप्त परिभाषा है कि सामाजिक आर्थिक इकाइयों द्वारा संचालित समग्र आंदोलन को समाज आंदोलन कहा गया है, जहाँ मनुष्य के जीवन मूल्यों का नवगठन होता है तथा उसकी प्रगति सुनिश्चित हो जाती है। इसलिए समाज आंदोलन को विप्लव अथवा आपात दृष्टि से क्रांति कहना किसी भी प्रकार की अतिश्योक्ति नहीं है। अब महत्वपूर्ण हो जाता है कि सामाजिक आर्थिक इकाइयां क्या है? इसके संदर्भ में प्रउत अर्थव्यवस्था नामक पुस्तक में बताया गया है कि समान आर्थिक समस्या, समान आर्थिक क्षमता (संभावना), नस्लीय समानता एवं भावनात्मक समानता (भाषा, साहित्य एवं संस्कृति) नामक तत्वों का समावेश कर प्रेम प्रणेता द्वारा बनाई गई समाज इकाइयां । अन्य शब्दों में इन तत्वों को लेकर प्रउत प्रणेता ने समाज इकाइयों का गठन किया है उन्हें सामाजिक आर्थिक इकाइयां कहा जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि प्रउत व्यवस्था को सुदृढ़ रुप स्थापित करने के विश्व में क्रियाशील सामाजिक आर्थिक संगठन को सामाजिक आर्थिक इकाइयां कहा जाता है। यह बातें स्पष्ट होने के बाद मूल समाज आंदोलन कौन करेगा? प्रश्न के उत्तर की ओर बढ़ते है।
उपरोक्त प्रश्न का सहीं उत्तर विकल्प Z (मैं) है। जब तक आन्दोलनकारी के मन में मैं यह काम करूँगा का जज्बा नहीं होगा तथा मैं यह काम कर सकूंगा का विश्वास नहीं है तब तक उसकी चर्चा, ज्ञान, त्याग, संकल्प इत्यादि सब कुछ शून्य है। अब प्रश्न मैं कौन ? मैं अर्थात मैं बाबा का बेटा, मैं श्री श्री आनन्दमूर्तिजी का शिष्य, मैं श्री प्रभात रंजन सरकार की सेना का सबसे कर्मठ एवं निष्ठावान सिपाही, मैं आनन्द मार्गी, मैं प्राउटिस्ट, मैं सदविप्र, मैं विक्षुब्ध शूद्र, मैं बाबा की संस्थाओं का अनुशासित सदस्य, मैं बाबा के लिए प्राणाहुत देना वाला प्रथम दधिची, मैं प्रउत का सशक्त कार्यकर्ता, मैं आनन्द परिवार का स्वयंसेवक, मैं बाबा का प्रतिरुप, मैं बाबा का प्रतिनिधि, मैं मेरी समाज इकाई का सबसे जिम्मेदारी व प्रथम नागरिक,तथा मैं बाबा का , चरित्रवान, निष्ठावान, भरोसेमंद व ईमानदार सपुत इत्यादि मैं में समाविष्ट होने पर कार्य होगा, जहाँ भी मैं उपरोक्त वर्णित तत्व से छूट जाएगा तब मैं न कुछ रहेगा तथा न कुछ कर पाएंगा इसलिए मैं ही सहित उत्तर है। वास्तव में देखा जाए तो यह मैं कुछ नहीं विकल्प A है। अत: भक्त के मन की जो आवाज आ रही है कि विकल्प A ही सब कुछ करेगा। गलत नहीं है। वास्तव में करण हार तो वह बाबा है, हम तो निमित्त है, लेकिन विकल्प Z को भूल गए तो A को भी भूल जाएंगे।
इस प्रश्न उत्तर A to Z अर्थात जीवन पथ पर जैसी जिसकी सोच होती वैसा ही काम कर पाता है। सकारात्मक सोच वाला जीवन में आनन्द पाता है, नकारात्मक सोच वाला दु:ख के दलदल में फस जाता है। कुछ लोग हसी, बकवास इत्यादि करते रहते है। हमें क्या बनना है, यह इस प्रश्न का सारतत्व है।
प्रश्न व प्रश्न के विकल्प
*कौन करेंगे, समाज आंदोलन?*
विचारणीय विकल्प
A. बाबा
B. मार्गी
C. सदविप्र
D. प्राउटिस्ट
E. अन्य लोग
F. पशु पक्षी
G . पेड़ पौधे
H. ईंट पथ्थर
I. कोई नहीं
J. उत्तर देना उपयुक्त नहीं
K. यह हमारी विषय वस्तु नहीं है
L. आप ही बता दो
M. बाद में सोचेंगे
N. इसका कोई उत्तर नहीं
O. सन्यासी करेंगे
P. दादा लोग जिसको बोलेंगे वे कर देंगे
Q. बकवास प्रश्न है
R. समाज आंदोलन हो ही नहीं सकता है
S. कीर्तन साधना करो सब कुछ अपने आप हो जाएगा
T. आसमान से देवता आकर समाज आंदोलन करेंगे
U. चमत्कार होगा
V. पहले एक हो जाओ फिर करेंगे
W. 😀😀😀 हा.. हा हा
X. भेजा मारी छोड़ो
Y. आने वाली पीढ़ी करेंगी
Z. मैं समाज आंदोलन करुंगा
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