आज की चर्चा का विषय है प्रउत का राजनैतिक समाज आंदोलन अर्थात सदविप्र राज। प्रातःकालीन सत्र में सत्ता, शक्ति एवं वैद्यता की ओर चर्चा में आगे बढ़े थे। उसमें पाया कि राजनैतिक समाज आंदोलन आवश्यक है, अत: अब हम राजनैतिक समाज आंदोलन द्वितीय एवं गुरुत्व पक्ष सदविप्र राज की चर्चा करेंगे। सदविप्र राज अथवा सदविप्र राज्य प्रउत दर्शन की कुटनीति का चरम बिन्दु है, जो विश्व सरकार की आवश्यकता को प्रकाशित करता है।
1. प्रउत व्यवस्था में सदविप्र राज नामक राजनैतिक दर्शन का उल्लेख है, जो सदविप्रों के अधिनायक तंत्र की बात लिखता है। जहाँ विश्व में तानाशाह एवं अधिनायक तंत्र पर लोकतंत्र की जीत का विजय पताका लहराता हो, वहाँ सदविप्र अधिनायक तंत्र अवश्य ही राजनैतिक चिंतकों के विचारणीय बिन्दु है - सदविप्र अधिनायक तंत्र कैसा रहेगा। सदविप्र शब्द की परिभाषा एक ऐसे विशुद्ध मानव को चित्रित करती है, जो सभी प्रकार की बुराइयों कमियों एवं अपूर्णता से परे सदगुणों का सागर है। अत: सदविप्रों का अधिनायक तंत्र समाज में तानाशाही नहीं करेगा अपितु समाज को दिशा भ्रष्ट होने से बचाने के लिए आवश्यक लोकतांत्रिक शब्दावली चरम बिन्दु है।
2. राजनीति का कार्य सर्वजन सुख एवं सर्वजन हित का सरंक्षण करना है, इसलिए उन्हें सशक्त सदविप्र राजा ( यह शब्द राजतंत्र का राजा नहीं) की आवश्यकता है, इसलिए सदविप्र बोर्ड को समाज के मुकुट मणि में स्थापित करके चलना होगा।
3. सदविप्र शब्द जन्मगत पदवी का नाम नहीं है; यह एक ऐसी पदवी है, जिसको प्रत्येक पुरुष व नारी बिना किसी भेदभाव से प्राप्त कर सकता है तथा यह पदवी वंशानुगत भी नहीं है।
4. सदविप्र राज आर्थिक लोकतंत्र की बात लेकर कार्य करता है इसलिए सदविप्र राज में लोकतांत्रिक मूल्यों कभी भी एवं किसी भी परिस्थितियों में हत्या नहीं हो सकती है। अत: सदविप्र राज को लोकतंत्र विरोधी नहीं कहा जा सकता है।
5.सदविप्र राज में व्यक्ति की गरिमा एवं भौतिक अस्तित्व को सुरक्षित करने वाले मूल अधिकार का हनन नहीं होता है अपितु इसको दृढ़ता से स्थापित किया जाता है, इसलिए सदविप्र राज्य को पूर्णतया व्यक्ति एवं समाज के लिए कल्याणकारी कहा जाएगा।
6. सदविप्र राज्य कैसा दिखाई देगा, यह दिखाना भी समाज आंदोलनकारियों का है। अत: प्रउत के समाज आंदोलन करने वालों को सदविप्र राज की तस्वीर अपने हृदय में स्थापित करके चलना होगा।
7. प्रउत की समाज इकाई आर्थिक विकेन्द्रीकरण की प्रतीक है लेकिन यह राजनैतिक केन्द्रीकरण को लेकर स्थापित होगी, अत: सदविप्र राज अपने बहुत विशिष्ट है।
इस प्रकार चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ने पर प्रउत का समाज आंदोलन अपने मूल लक्ष्य को प्राप्त करेगा।
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