प्रउत एवं सेवादल


प्रउत व्यवस्था सर्वजन सुखाय व सर्वजन हिताय है। इसमें सर्वजन का सुख अर्थात मन की अभिलाषा पूर्ण करने वाला संसार निहित है। व्यष्टि की अभिलाषा को समाज से पृथक अथवा खंड़ में सिमट कर रखने का विज्ञान की बजाय प्रउत के पास व्यष्टि को समष्टि भाव के साथ संयुक्त रखने का विज्ञान है। सर्वजन हित के प्रउत का अर्थ प्रउत में व्यष्टि एवं समष्टि दोनों का हित समाविष्ट है, उसकी प्रेरणा से उद्भिद होकर प्राउटिस्ट समष्टि कल्याण तथा परहित के सब कुछ छोड़ने को आतुर होता है तथा इसके साथ समष्टि व्यष्टि व्यष्टि के हित का ध्यान रखकर चलता है। 

प्रउत के इस विज्ञान को सेवादल नामक इकाई के उद्देश्य को समझ कर आत्मसात किया जा सकता है। आनन्द मार्ग परिवार की एक इकाई सेवादल है, यह अंग सेवा को मूलमंत्र बनाकर चलता है। सेवा में ही साधना एवं त्याग के अध्याय को समझाता है। प्रउत आंदोलन को सेवादल प्राउटिस्ट सेवादल उपलब्ध कराता है। यह प्रउत के प्रत्येक कार्यक्रम एवं अभियान में अपनी सेवाएं देता है। अस्त्र शस्त्र से शत्रु सेना को निस्ताबुज करने सैनिकों की सफलता, उनके लिए टेंट, भोजन, चिकित्सा, शस्त्र निर्माण व आपूर्ति करने वाले अंग भी महत्व उनके बराबर ही है। इसी प्रकार प्रउत आंदोलन के विद्वान वक्ताओं, राजनैतिक समीकरणों का संतुलन करने वाले, आंदोलन में रत यौद्धाओं तथा प्रउत के जीने मरने का संकल्प लेने वाले सिपाही को अपने सेवा, स्नेह एवं ममता से जीवन को संजीदा बनाने वाला सेवादल ही है। इसलिए एक प्राउटिस्ट को सेवादल का प्रशिक्षण लेना चाहिए। 

सेवादल आनन्द परिवार का वह अदृश्य स्वरूप है लो मंच पर नहीं दिखाई देने पर भी वह स्वयं एक मंच है। 
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श्री आनन्द किरण@ सेवादल (प्राउटिस्ट)
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