सरकारी कृषि विधेयकों का समर्थन में - यह करणीय

सरकारी कृषि विधेयकों का समर्थन किया जा सकता है
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प्रश्न - क्या सरकारी कृषि विधेयकों का समर्थन किया जा सकता है? 
उत्तर - हा, यदि सरकार ऐसा करे तो
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मोदी सरकार के द्वारा लाये गए कृषि विधेयकों को खत्म करने की किसानों की मांग है वही सरकार इसे कतई खत्म नहीं करना चाहती जबकि सरकार संशोधन करने को तैयार है ।  इसको लेकर सभी के मन में एक प्रश्न है कि क्या कोई बीच का रास्ता है? उत्तर बीच का रास्ता है तथा सुगम रास्ता है और वह भी सरकार की गरिमा को चार चांद लगाने वाला तथा किसानों का भाग्योदय करने वाला है। 

प्रश्न - कौनसा रास्ता? 
उत्तर - जरा इसे समझते हैं। 

विधेयक नंबर 1-  कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020: - प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है। 

सरकारी लक्ष्य - किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई सेस या फीस नहीं ली जाएगी। 

किसानों का भय - नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) अर्थात कृषि मंडी बंद हो जाएगी तथा न्युनतम समर्थन मूल्य(MSP) खत्म हो जाएगा। 

सरकार का आश्वासन - नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) अर्थात खत्म नहीं होगी व न्युनतम समर्थन मूल्य(MSP) भी खत्म नहीं होगा। 

बीच का रास्ता - विधेयक के अंदर  दलाली, सेस अथवा बिक्री कर रहित नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) अर्थात कृषि मंडी को आबाद रखने की व्यवस्था का समावेश कर  न्युनतम समर्थन मूल्य(MSP) निर्धारण का अधिकार किसानों को देने का प्रावधान रखना तथा इस मूल्य से कम किसी भी परिस्थिति में व्यापारी अथवा अन्य खरीददार नहीं खरीद सकता है। 30 दिन की समयावधि में यदि कोई ओर किसानों के उत्पादों को नहीं खरीदता है तो सरकार खरीदेगी। 

 फायदा - कृषि लाभकारी बनेगी तथा सरकार का किसानों को लाभ देने का उद्देश्य पूर्ण होगा। 

विधेयक नंबर 2 - मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020: - इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा।

सरकारी लक्ष्य - इससे किसानों को अपने फसले बेचने का पहले से ही एक लिखित आश्वासन मिलेगा। 

किसानों का भय - कारपोरेट अथवा कंपनी के हाथ किसान, कृषि एवं भूमि बिक सकते है तथा गुलामी के नये युग की शुरुआत हो जाएगी। 

सरकार का आश्वासन - सौदा करने न करने के लिए किसान स्वतंत्र है तथा  किसान की इच्छा के बिना जमीन नहीं बिकेगी

संभावना - किसान कंपनी से जो समझौता करेगा, उसमें देखने को कोई त्रुटि नहीं है लेकिन भारत का किसान गरीब, अनपढ़ व सीधा सादा है। वह कंपनी के झांसे में तथा प्रलोभन में आकर अपनी अस्मिता  तक भी दाव पर लगा सकता है। 

बीच का रास्ता - समझौता करने का प्रथम पक्षकार किसान हो तथा उसके द्वारा तय की गई कीमत पर ही समझौता होगा, इस समझौते द्वितीय पक्षकार सरकार होगी जो किसानों हीत, जमीन एवं मान मर्यादा की रक्षा के लिए जिम्मेदार होगी एवं तृतीय पक्षकार कंपनी होगी जो इस समझौते को स्वीकार करेंगी साथ में वह इसके लिए भी उत्तरदायी होगी यदि कृषि उत्पादन में मौसम इत्यादि किसी कारणों से क्षति होती है तो नुकसान में भी भागीदारी निभाएंगी। 

फायदा - किसानों की मान मर्यादा, रोजगार तथा कृषि पर मालिकाना हक सुरक्षित रहेगा तथा सरकार का कृषि उत्थान के लिए क्रांतिकारी कदम

विधेयक नंबर  3 -  आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 : - यह प्रस्तावित कानून आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी 'असाधारण परिस्थितियों' को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों में हटाने का प्रस्ताव करता है तथा इस तरह की वस्तुओं पर लागू भंडार की सीमा भी समाप्त हो जायेगी।

सरकारी लक्ष्य - भंडारण के माध्यम से किसान एवं व्यवसायी अपने माल को बाजार में बेचने योग्य परिस्थितियों तक सुरक्षित रख सकेगा। 

किसानों का भय - किसान भंडारण करने में अधिक सक्षम नहीं इसका सीधा फायदा कारपोरेट को होगा तथा जमाखोरी व मूल्य वृद्धि होगी। 

सरकार का आश्वासन - कुछ नहीं

बीच का रास्ता - कोल्ड स्टोरेज अर्थात भंडारण करने का अधिकार मात्र एवं मात्र किसान के पास रहे तथा बिना किराये इसकी व्यवस्था सरकार द्वारा की जानी चाहिए। 

फायदा- सरकार का लोक कल्याणकारी राज्य बनाने का उद्देश्य पूर्ण होगा तथा किसानों को सबलता मिलेगी। 

बीच के इस रास्ते को अपनाने से आंदोलनकारी किसान अपने लक्ष्य से काफी अधिक प्राप्त कर लेंगे तथा सरकार का किसानों के भाग्योदय करने का लक्ष्य एवं सपना साकार हो जाएगा। 
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विचार मंथन मंच पर - करण सिंह राजपुरोहित की कलम से
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