अखंड भारत बनाम विश्व भारत

🌹धर्म युद्ध मंच से🌹
   ® श्री आनन्द किरण शिवतलाव®
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    ©अखंड भारत बनाम विश्व भारत ©
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✍ एक मित्र ने मुझे एक इमेज भेजी जिस पर लिखा था कि 1876ई.  में अफगानिस्तान, 1904 में नेपाल, 1906 को भूटान, 1914 को तिब्बत, 1918 को श्रीलंका, 1937 को म्यनमार, 1947 को पाकिस्तान, बंगलादेश, पाक अधिकृत कश्मीर व 1962 को अक्षय चीन भारत के हाथों से निकल गए जिसे पुनः लेकर एक अखंड भारत बनाना है। भारतवर्ष की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति में चिन्हित भारतवर्ष की महानता के प्रतिबिंब वसुधैव कुटुबंकम् व सर्वे भवन्तु सुखिनः विश्व भारत बनाने की आवश्यकता महसूस होती है। प्रथम में भूमि के कुछ टुकड़े जो कदाचित पहले भारतवर्ष की सांस्कृतिक इकाई का अंग थे उन्हें नई दिल्ली की राजनैतिक छत्रछाया में लाना, जबकि द्वितीय सम्पूर्ण विश्वधरा पर भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के महान आदर्श स्थापित करना है। 

      

        प्रथम संकल्प राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तो द्वितीय संकल्प पत्र आनन्द मार्ग का है। श्रीकृष्ण के संकल्प पत्र का नाम महाभारत था जिसमें अखंड भारत, मध्य एशिया, दक्षीणी पूूूर्वी एशिया, उत्तरी पूर्व एशिया यूूूूूूूूरोप एवं  अफ्रीका की मानव रहने  योग्य  भूभाग था । श्री श्री आनन्दमर्ति जी के संकल्प पत्र में महाविश्व में पृथ्वी गृह विद्यमान है। 

श्री प्रभात रंजन सरकार के ज्ञानकोश से ज्ञात हुआ की भारत शब्द संस्कृत भाषा के भर व त घातु के संयोग से बना है। भर शब्द भृ धातु के अल प्रत्यय से बना है जिसका अर्थ भरणपोषण करने वाला त् धातु के ण प्रत्यय लगने त शब्द बना जिसका अर्थ समग्र उन्नति भारत शब्द का हुआ भरणपोषण एवं समग्र उन्नति सुनिश्चित करना। भारत शब्द के साथ वर्ष शब्द जुड़कर भारतवर्ष शब्द बना जिसका अर्थ वह भूभाग जो व्यक्ति के भरणपोषण एवं समग्र उन्नति को सुनिश्चित करता है। 

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