प्रउत एवं अणु जीवत(माइक्रोवाइटा) सिद्धांत
श्री प्रभात रंजन सरकार ने माइक्रोवाइटा नामक सिद्धांत का प्रतिपादन कर आध्यात्म तथा साधना जगत को नूतन रुप में विश्लेषित किया। माइक्रोवाइटा में बताया गया है कि धनात्मक माइक्रोवाइटा के बल पर सकारात्मक ऊर्जा संचार होता है। जिसके बल मनुष्य सूक्ष्म से सूक्ष्म पथ का अनुसरण करता है तथा ऋणात्मक माइक्रोवाइटा नकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन करती है। यह स्थूल पथ पर ले चलता है। प्रउत आध्यात्म प्रधान सामाजिक आर्थिक दर्शन है। उसके वाहक को सकारात्मक ऊर्जा के पथ का अनुगमन करना होता है। जो धनात्मक माइक्रोवाइटा से संभव है।
माइक्रोवाइटा सिद्धांत के अध्ययन एवं उसके अनुसंधान से प्राप्त परिणाम से ज्ञात हुआ है कि भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक गति पर माइक्रोवाइटा का प्रभाव है। मनुष्य विशेष कला कौशल के बल पर धनात्मक माइक्रोवाइटा एवं ऋणात्मक माइक्रोवाइट का संग्रहण कर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव में वृद्धि कर सकता है। प्राउटिस्ट को धनात्मक माइक्रोवाइटा के सहयोग से अपने लक्ष्य पथ ले चलना है। साधक धनात्मक माइक्रोवाइटा बल पर सदविप्र बनता है।
समाज आंदोलन एवं फैडरेशन के कार्य में धनात्मक माइक्रोवाइटा सहयोगी हैं। न हो कोई साथ तो अकेले बढ़ रहे साधक का धनात्मक माइक्रोवाइटा सहयोग करते है।
प्रउत के सभी सूत्र,सिद्धांत एवं रचनात्मक एवं आंदोलन के कार्यक्रम में धनात्मक माइक्रोवाइटा प्रभावी होता है। जब बिना क्रिया के ज्ञान भार समान होने लगता है अर्थात ऋणात्मक माइक्रोवाइट के प्रभाव में विस्तार हो रहा है। सकारात्मक ऊर्जा का संचयन कर धनात्मक माइक्रोवाइटा के प्रभाव में विस्तार कर कार्य में द्रुति लायी जाती है।
प्रउत की स्थापना में माइक्रोवाइटा सिद्धांत बड़ा महत्व है।
✍ श्री आनन्द किरण
🌹 बाबा का आशीर्वचन, 🌹
प्रश्न : ✍ संपूर्ण विश्व, में विशेषकर विश्व की पीड़ित जनता के बीच प्राउट की स्थापना में क्या धनात्मक या ऋणात्मक अणुजीवत की कोई भूमिका है? यदि है ,तो धनात्मक और ऋणात्मक अणुजीवत की क्या भूमिका है ?
उत्तर: 🎤 कोई भी मूल नीति(principle) या सिद्धांत(theory)युक्ति के आधार पर स्थापित होनी चाहिए भावावेग(sentiment) के आधार पर नहीं, और यह बात समग्र मानव समाज के लिए लागू होती है।
मानव देह के ऊपर वाले चक्र धनात्मक अणुजीवत का आवास और संश्लेषण का पथ है। नीचे के चक्र ऋणात्मक अणुजीवत का आवास है और विश्लेषण का पथ है। अतएव नीचे वाले चक्र ऋणात्मक अणुजीवत की प्यारी विचरणभूमि है, तो क्या तुम लोग निम्न चक्रों ऋणात्मक अणुजीवत की प्रतिक्रिया समझ पा रहे हो ?कम्युनिस्टों के क्रियाकलाप केवल निम्न चक्रों पर आधारित हैं ।फलस्वरूप उनका मन क्रमश: स्थूल होता जा रहा है। अतएव प्राउट की स्थापना में धनात्मक और ऋणात्मक अणुजीवत की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्राउट स्थापित होगा अध्यात्मवादियों के द्वारा क्योंकि अध्यात्मवादियों का दृष्टिकोण संश्लेषणात्मक है। अध्यात्मवादी लोग बहू में इकाई को देखते हैं ,अनेक में एक को देखते हैं। एक में अनेक को नहीं देखते । अंत में उनके लिए अनेक बन जाते हैं एक ।इसी कारण प्राउट की स्थापना में धनात्मक अणुजीवत की और भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका है।
स्रोत ➡ कणिका में प्रउत, भाग 18
प्रश्नोत्तर में प्राउट, प्रश्न संख्या 3.
माध्यम ➡ श्री कृपा शंकर पाण्डेय जी बेतिया ( बिहार)
परिशिष्ट
ऋणात्मक अणुजीवत् एवं प्रउत - प्रउत की प्रकृति धनात्मक अणुजीवत् के मााध्यम से प्रउत विश्व पटल प्रतिस्थापित करती है. इसलिए ऋणात्मक अणुजीवत् के साथ प्रउत का संबंध खोजना सुफल देने वाला नहीं है. लेकिन वर्तमान कोरोना रुपी ऋणाात्म अणुजीवत् नेे विश्व अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है. यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था की मांग कर जो विश्व के लिए तारणहार हो. लेकिन यह बात धनात्मक अणुजीवत् के विद्यार्थियों के मानस पटल पर चल रही है. वर्तमान विश्व की अर्थव्यवस्था जिनके हाथ में है, वे ऐसा नहीं सोचते हैं. उन्हें तो अपनी धन की गति जो रुक गई उसकी दवा तामस शक्ति से चाहिए. इस समय किसी भी
अर्थ शक्ति को नियंत्रण करने वाले के पास प्रउत के पास ले जाएंगे, तो वह इस घोर निराशा के वातावरण में हा भर देगा लेकिन विनाश के काले बादल टलते ही फिर अपनी दुनिया में चला जाएगा. हमारा प्रयास एक परिहास बनकर रह जाएगा. इसलिए ऋणात्मक अणुजीवत् प्रउत की दुनिया में नहीं है. यहाँ प्राउटिस्टों को धनात्मक अणुजीवत् सृजित कर अधिक से सकारात्मक वातावरण तैयार करना चाहिए.
नमस्कार
जवाब देंहटाएंKalyankarak
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