एक प्राउटिस्ट की आदर्श जीवनचर्या कैसी होनी चाहिए?
एक प्राउटिस्ट की आदर्श जीवनचर्या विषय इसलिए चुना गया है कि जो लोग विश्व को नूतन एवं सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था देने का वचन देते है। उनका जीवन मनुष्य समाज के लिए आदर्श होना चाहिए। हमारे प्राणप्रिय बाबा की शिक्षा है कि तुम्हारे आचरण से दुनिया मुझे जानेगी। अत: हमारे आचरण परिभाषित करने के लिए एक चर्या का होना नितांत आवश्यक है। शिक्षक इत्यादि इत्यादि को प्राउटिस्ट के रूप में देखकर दिनचर्या विषय में शामिल नहीं की गई है, लेकिन जीवनचर्या समाज के नागरिक होने के नाते सभी के लिए आवश्यक है। जीवनचर्या सामान्य होनी असंभव नहीं है। बाबा ने एक दिशा निर्देशना दी थी कि उभयनिष्ठ बिन्दु नहीं मिलने पर एकाधिक बिन्दुओं का समावेश कर सामान्य विचार तैयार किया जा सकता है। अत: एक प्राउटिस्ट की आदर्श जीवनचर्या इस आधार पर तैयार की जा सकती है।
एक प्राउटिस्ट का जीवन समाज को समर्पित है, वह समाज एवं परिवार में एक आदर्श सामंजस्य स्थापित करता है, उसके चलने की गति में परिवार की जिम्मेदारी एवं समाज के प्रति उनके दायित्व का पालन है। इसलिए एक प्राउटिस्ट को अपनी जीवनचर्या का निर्माण करते समय, कर्ता की धारणा के साथ कर्म की स्थिति के साथ सामंजस्य स्थापित करके चलना होता है।
दिवंगत तात्विक ध्रुवेन्द्र दादा ने एक चर्चा में कहा था कि हम प्रउत लाने की बात कर रहे तथा अपनी संतति, परिजन एवं मित्रजन को पूंजीवादी एवं साम्यवादी व्यवस्था में घुसा रहे है। इस प्रकार चलने से हम किस प्रकार प्रउत को समझकर तथा स्थापित कर सकते है? आनन्द मार्ग के मास्टर युनिट इसलिए आदर्श प्रतिमान नहीं बन पा रहे है कि संस्था के साथ समाज का पर्याप्त सहयोग प्राप्त नहीं हो पा रहा है। हम प्राउटिस्ट के रूप में शिक्षक, चिकित्सक, किसान इत्यादि इत्यादि कोई भी हो सकते है। जिस रुप में भी हो भूमा भाव की साधना के साथ यम नियम व षोडश विधि में कठोरता रखते हुए अपने परिवेश को आनन्द मार्ग के आदर्श के अनुकूल तैयार करने हेतु संघर्ष करना तथा एक रचनात्मक संरचना तैयार की सभी रसद सामग्री उपलब्ध करानी है। यह एक प्राउटिस्ट की आदर्श जीवनचर्या का आरंभिक बिन्दु है।
प्रउत आंदोलन ने एक सरकारी चिकित्सक को UPIF दिया है। वह अपनी चिकित्सक धर्म निवहन साथ नैतिकवान चिकित्सक को दल तैयार कर प्रउत के अनुकूल चिकित्सालय के परिवेश निर्माण करें तथा इस हेतु सरकार से संघर्ष भी करें। आज जितने भी चिकित्सक संघ एवं कर्मचारी संघ निज स्वार्थ की लड़ाई लड़ते है तथा वे समाज में उनका यह कृत्य कारण निंदनीय भी होता है, जबकि प्राउटिस्ट चिकित्सक संघ जो कि UPIF का अंग है, निज स्वार्थ के खातिर नहीं समाज के प्रति अपने दायित्व के लिए लड़ेगा। हमने अपने साथी को आनन्द मार्गी बनाने के सारे प्रयत्न किये लेकिन उनका सहयोग लेकर सुव्यवस्था स्थापित करने का प्रयास बहुत कम किया है। अत: यह हमारी आदर्श जीवनचर्या का एक महत्वपूर्ण अंग है। चिकित्सक का यह उदाहरण सभी विभाग कार्यरत कर्मचारियों के लिए अनुकरणीय है।
निजी व्यवसाय में कार्यरत प्राउटिस्टों को अपनी जीवनचर्या में भूमा भाव की साधना के साथ यम नियम व षोडश विधि में कठोरता स्थापित करते हुए अपने प्रतिष्ठान को प्रउत के अनुकूल अपने हमराहियों की मदद से संचालित करने चाहिए। कतिपय बाबा के शिष्य को अपने गुरु भाइयों की सहायता में तत्पर रहते देख गये है लेकिन उनमें से बहुत नगण्य लोग है जो प्रउत आधारित प्रतिष्ठान तैयार करने कार्य किया है। उन्हें अपनी जीवनचर्या में इस बिन्दु को रेखांकित करना होगा तथा समाज आंदोलन के माध्यम बनकर प्रउत के प्रति अपने धर्म का निवहन करते चलना चाहिए।
किसान व मजदूरों को भी अपनी जीवनचर्या में भूमा भाव की साधना के साथ यम नियम व षोडश विधि में कठोर बनकर UPFF व UPLF के माध्यम से अपने साथी नैतिकवान किसान, मजदूरों को लेकर सुव्यवस्था देने हेतु, सरकार को घुटने टेक ने लिए विवश करने की जीवनचर्या तैयार करनी चाहिए।
एक राजनेता प्राउटिस्ट को भूमा भाव की साधना तथा यम नियम व षोडश विधि में कठोरता के साथ आदर्श राजनैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए राजनैतिक संघर्ष की योजना तैयार करनी चाहिए।
हम अपने साथी को सतपथ लाने के गुरु आदेश की अनुपालना करते है। इसके साथ एक युक्ति का काम में लेते हुए उनकी शक्ति को प्रउत व्यवस्था स्थापित करने में उपयोग भी करते चले तो ओर भी अच्छा रहेगा। इस कार्य में हो सकता है कि हमारा साथी थोड़ी देर से हमारा आध्यात्मिक हमराही बने, लेकिन जब भी बनेगा तब एक जिम्मेदार, सुलझा हुआ, सुस्पष्ट विचारों का तथा आदर्शमय मार्गी बनेगा। बाबा ने कहा है कि तुम रामदास नहीं रामस्वरूप बनों। अर्थात हमें भी हमारे साथी को हमारे जैसा तथा हम से भी बढ़कर बनाने की जीवनचर्या तैयार करनी है।
मुझे सतपथ दिखाने वाले दिवंगत श्री अर्जुन सिंह राजपुरोहित दादा ने हमें पहले एक क्रांतिकारी योद्धा के रूप में तैयार किया, तत्पश्चात उन्होंने हमें आध्यात्मिक हमराही बनाकर अपनी गुरु दक्षिणा दी। इस प्रकार सभी प्राउटिस्टों को अपनी जीवनचर्या में क्रांतिकारी विचारक के साथी के तैयार कर उसे अपना हमराही बनाकर बाबा को अपनी गुरु दक्षिणा देनी चाहिए। क्योंकि आनन्द मार्ग विप्लव का पथ है। एक आनन्द मार्गी तैयार करना अर्थात एक विप्लवी तैयार करना है।
इसलिए हे मेरे साथियों! हमें हमारी जीवनचर्या में भूमा भाव की साधना तथा यम नियम व षोडश विधि में कठोरता के साथ विप्लवी साथी दल तैयार करना एवं रचनात्मक संरचना प्रदान करने स्थान देना ही होगा। एक प्राउटिस्ट को एक बात सदैव स्मरण रखनी चाहिए कि मंत्र से अधिक मंत्रणा बलवान होती है। अतः अपने योजना को तब तक सार्वजनिक करने के लिए उतावले मत रहो जब तक कि ऐसा करने से हम अपनी कार्य योजना को मूर्त रुप नहीं दे पाये। बहुत बड़ा लक्ष्य बताने से अपूर्ण तथा अपरिपक्व साथी डगमगा एवं घबरा जाएंगे। अत: सब एक साथ नहीं क्रमिक परोसते जाइए।
मैं समझता हूँ कि एक प्राउटिस्ट की आदर्श जीवनचर्या होनी चाहिए। अत: यह विषय बकवास नहीं प्रासंगिक था, है तथा रहेगा। इसलिए एक प्राउटिस्ट कि आदर्श जीवनचर्या होगी भूमा भाव की साधना, यम नियम व षोडश विधि की अनुपालना, जीवन को विप्लवी बनाना, विप्लवी साथी तैयार करना, एक रचनात्मक प्रउत व्यवस्था प्रदान करना तथा प्रउत स्थापना नहीं होने तक चैन नहीं सोना।
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➡ श्री आनन्द किरण
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