प्रउत का विकास मॉडल (Prout's development model)

   Prout's Development Model
विषय होना चाहिए था - "सदविप्र समाज मॉडल", लेकिन "प्रउत का विकास मॉडल"  विषय चुना गया है। ऐसा क्यों किया गया है। यह समय आने पर बताया जाएगा। मगर आज हम 'प्रउत के विकास मॉडल' पर ही चर्चा करते हैं। यद्यपि प्रउत आंदोलन का लक्ष्य सरकार बनाना नही है तथापि वर्तमान व्यवस्था में प्रउत की सरकार बन जाती है। जो उसके समाज बनाने की यात्रा का एक पड़ाव मात्र है। इसलिए आज हम 'प्रउत के विकास मॉडल' पर चर्चा कर रहे हैं। 

       प्रउत का विकास मॉडल 

 इसका का अर्थ है - वह प्रादर्श जिसके आधार पर राज्य अथवा समाज को विकसित करना है। अतः विश्व की सबसे सुन्दर व्यवस्था देने वाली प्रउत व्यवस्था का विकास मॉडल निम्न बिन्दु से गठित होता है। 

(१.) नैतिकवान, ईमानदार एवं चरित्रवान समाज का निर्माण - प्रउत सबसे पहली प्राथमिकता नैतिकवान, ईमानदार एवं चरित्रवान समाज के निर्माण को देगा। इसके अभाव में सारी व्यवस्था ठप्प हो जाती है। इसलिए समाज के प्रत्येक घटक को उक्त आदर्श मानकर चलना ही होगा अथवा ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि सब यम नियम की भित्ति पर चले। 

(२.) क्रयशक्ति के मौलिक अधिकार युक्त शतप्रतिशत रोजगार सिद्धांत - प्रउत का द्वितीय काम शतप्रतिशत रोजगार देना है। मात्र खानापूर्ति का रोजगार देना नहीं है अपितु ऐसा रोजगार देना है जिससे व्यक्ति को क्रयशक्ति का मौलिक अधिकार मिलेगा। मंहगाई तथा समाज की अन्य समस्या परेशान नहीं करें। इसके लिए शतप्रतिशत रोजगार तथा न्यूनतम मजदूरी सम्मानजनक तथा युग की न्यूनतम आवश्यक को पूर्ण करने योग्य हो। इसलिए प्रउत समाज एवं राष्ट्र से वादा करता है कि क्रयशक्ति के मूल अधिकार युक्त शतप्रतिशत रोजगार का मॉडल स्थापित करेगी। 

(३.) न्यूनतम आवश्यकता की गारंटी - प्रउत समाज तथा राज्य के नागरिकों को गारंटी देगा कि उनकी न्यूनतम आवश्यकता समाज की जिम्मेदारी है। इसलिए शतप्रतिशत रोजगार व क्रयशक्ति का मूल अधिकार इससे पहले वाले बिन्दु के रूप में चुना गया है। 

(४.) शिक्षा को व्यवसायीकरण व राजनीति से मुक्त कर जीवन निर्मात्री शिक्षा व्यवस्था स्थापित करना - शिक्षा एक सेवा है, इसलिए शिक्षा को कभी भी व्यवसाय नहीं बनने दिया जा सकता है। अतः प्रउत समाज एवं राष्ट्र से वादा करता है कि निशुल्क व्यवसाय तथा राजनीति से मुक्त जीवन का निर्माण करने वाली शिक्षा व्यवस्था स्थापित की जाएगी। इस शिक्षा के द्वारा व्यष्टि अपना शारीरिक (भौतिक), मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास सुनिश्चित करेगा। यह शिक्षा मनुष्य को सच्चे अर्थ मनुष्य बनाएगी। 

(५.) व्यष्टि व समष्टि को मिलेगी चिकित्सा की सम्पूर्ण गारंटी - रोग से निपटना व्यक्ति तथा परिवार की नहीं समाज की जिम्मेदारी है। इसलिए प्रउत व्यष्टि की सम्पूर्ण चिकित्सा की गारंटी अपने कंधों पर लेता है। प्रउत के चिकित्सालय घर की तरह स्वस्थ, स्वच्छ तथा परिवेशमय होंगे। बीमार व्यक्ति रोगी नहीं विशेष आवश्यकता जन होगा, उसे कौनसी पद्धति तथा कौनसी दवाई व चिकित्सा की आवश्यकता है। यह तय करना चिकित्सक का दायित्व है। विशेष आवश्यकता जन चिकित्सक की पारिवारिक जिम्मेदारी का हिस्सा रहेगा। चिकित्सक दल इनके अभिभावक के रूप में काम करेगा। बिल्कुल निशुल्क तथा व्यवसाय मुक्त चिकित्सा व्यवस्था की स्थापना की जाएगी।
 
(६.) कृषि को उद्योग का दर्जा - कृषि एक उद्योग है इसलिए इसको‌ प्रउत उद्योग का दर्जा देता है। 

(७.) श्रमिक को मिलेगा लाभांश में हिस्सेदारी - श्रमिक अपने खुन पसीने से फर्म को सिंचता है, इसलिए केवल मजदूरी देकर पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता है। उन्हें लाभांश से भी हिस्सेदारी मिलेगी। 

(८.) सहकारी के आधार पर आर्थिक गतिविधियों का संचालन - कुटीर एवं बड़े की उद्योग को छोड़कर कृषि एवं लधु व मध्यम उद्योग का संचालन में सहकारिता स्थापित करना। समाज के लिए अच्छा है। 

(९.) आयकर मुक्त समाज - समाज के काम सबकी हिस्सेदारी जरूरी है लेकिन आयकर एक छलवा है। यह चौर्यवृति को बढ़ावा देती है तथा इसको लेकर मिथ्याचार भी बढ़ता है। इसलिए आयकर मुक्त समाज मिलेगा। समाज में भागीदारी के लिए मानवीय अमानवीय सभी आर्थिक घटक को अपनी आमदनी का 2 प्रतिशत सामाजिक कार्यों में देना चाहिए। 

(१०.) स्व: निर्भर समाज का निर्माण - प्रउत के लक्ष्य का छठा बिन्दु स्व: निर्भर समाज का निर्माण करना। समाज का प्रत्येक घटक एक दूसरे से ऐसे जुड़ जाऐंगे की अपने पराये का भेद दृश्य नहीं होगा। इसलिए स्व: निर्भर परिवार की तरह समाज का निर्माण होगा। 

(११.) समाज को एक आर्थिक सामाजिक इकाई के रूप में विकसित करना
आर्थिक कारण से सामाजिक क्षेत्र का परित्याग कोई नहीं करेगा, यह प्रउत का लक्ष्य है। इसलिए एक ऐसे समाज का निर्माण करेगा जिसमें व्यष्टि का आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र एक ही होगा। उनको पेट की मार से अपने परिजनों का परित्याग कर दरदर की ठोकरें नहीं खानी होगी। 

(१३.) राजनीति व अर्थशक्ति का पृथक्करण - राजनीति का उद्देश्य सेवा तथा अर्थव्यवस्था का उद्देश्य सुविधा का संयोजन है। इसलिए राजनीति एवं अर्थशक्ति का पृथक्करण किया जाएगा। ऐसा पृथक्करण होगा कि आर्थिक विकेन्द्रीकरण तथा राजनैतिक शक्ति एकिकृत एवं मजबूत होगा। 

(१३.) प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार - प्रशासनिक व्यवस्था का सूत्र न्यूनतम खर्च अधिक काम पर स्थापित होगी। अतः प्रशासनिक व्यवस्था का आधार ब्लॉक को मजबूत किया जाएगा। भविष्य सभी विकास योजना राजधानी से नहीं ब्लॉक लेवल विकास मॉडल बनकर आएंगी। 

(१४.) प्रगतिशील उपयोग तत्व मूलक अर्थव्यवस्था की स्थापना - प्रउत समाज को वचन देता है कि उसकी अर्थव्यवस्था पूँजीवाद की लुट तथा साम्यवाद की अव्यवहारिकता मुक्ति दिलाकर प्रगतिशील उपयोग तत्व पर स्थापित अर्थव्यवस्था होगी। 

(१५.) आनन्दमय आदर्श जीवन पाना सभी मौलिक कर्तव्य है‌ - प्रउत नागरिक को आनन्दमय आदर्श जीवन पाने का कर्तव्य देता है। यह अधिकार है तथा कर्तव्य बनाकर दिया जा रहा ताकि व्यक्ति उसे अपना कर्तव्य मानकर पालन‌ करें। 

विश्व की पहली ही प्रउत सरकार उपर्युक्त पन्द्रह सूत्री मांगों का विकास मॉडल दुनिया को देगी। इस विकास मॉडल को देखते ही विश्व प्रउत की ओर दौड़ा चल आएगा। सभी को यही चाहिए लेकिन यह मिलता नहीं है इसलिए दुखी है।
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श्री आनन्द किरण "देव"
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