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इंडिया जो कि भारत है।
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Karan Singh
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राजनैतिक मुटापेक्ष करने के बाद आलेख को अग्रगति देता हूँ!
राजनीति
संयुक्त विपक्ष ने तथाकथित राष्ट्रवादियों को इंडिया शब्द को बदलने के लिए मजबूर किया तथा देश को मिलेगा शुद्ध देशी शब्द भारत। विदेशी शब्द हिन्दूस्तान मिलने से नहीं किया जा सकता है इन्कार, क्योंकि हिन्दू राष्ट्र है इनका सिद्धांत।
आलेख
भारतवर्ष का संवैधानिक नाम - 'इंडिया जो कि भारत' है। हमारी संविधान सभा ने इस नाम पर मोहर लगाई थी। इससे पूर्व अंग्रेजों के युग में देश का स्वीकृत नाम 'इंडिया' था तथा मुगल, तुर्क व अफगान युग में 'हिन्दुस्तान' नाम से पुकारा जाता था। प्राचीन इतिहास की ओर दृष्टिपात करें तो 'भारतवर्ष' स्वीकृत नाम था। आर्यावर्त, जम्बुद्वीप, दक्षिणावर्त, गोडवाना इत्यादि भी भारतीय भूभागों के नाम थे। वर्तमान भारतीय राजनीति में विपक्ष द्वारा अपने गठबंधन का संक्षिप्ताक्षर l.N.D.I.A. का उच्चारण इंडिया किये जाने के बाद सत्ता पक्ष की राजनीति में उबाल आया तथा देश का नाम भारत करने की चर्चा चल पड़ी।
देश का नाम की सांस्कृतिक परंपरा तथा साहित्य व शास्त्र की भाषा तथा समाज के आदर्श का प्रतिबिंब होना चाहिए। इस दृष्टि से हिमालय के दक्षिण तथा हिन्द महासागर के उत्तर में स्थित उपमहाद्वीप का नाम भारतवर्ष होना चाहिए। दुनिया की सभी भाषाओं में देश को भारतवर्ष कहना न्याय संगत है।
प्राचीन काल में जब व्यक्ति अपना परिचय देता था तब राष्ट्र एवं समाज के प्रति अपना उत्तरदायित्व व्यक्त करने के लिए "मैं भारत हूँ" शब्द का प्रयोग करता था। श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन के लिए भारत शब्द का प्रयोग किया है। अर्थात दूसरे को उत्तरदायित्व की शिक्षा देते समय ओब्जेक्ट(विषय) को भारत कहकर संबोधित किया जाता था। उपरोक्त दोनों स्थित में व्यष्टि, समष्टि की जिम्मेदारी को स्वयं लेता था अथवा व्यष्टि को समष्टि की जिम्मेदारी दी जाती थी। अर्थात व्यष्टि को समष्टि रुप में दिखाने के लिए भारत शब्द का प्रयोग किया जाता है।
संस्कृति व्याकरण के अनुसार 'भारत' शब्द भर तथा त धातुओं का संयुक्ताक्षर है। भर का अर्थ भरणपोषण तथा त का अर्थ विस्तार - विकास है। इससे प्रतीक होता है कि भारत शब्द व्यक्ति व समाज के भर से भौतिक विकास तथा त से मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास अथवा प्रगति की जिम्मेदारी उठाने के लिए चित्रित करता है। समाज अपने प्रत्येक व्यक्ति को इसके काबिल देखता था। इसलिए राजा तथा समाज प्रमुख भारत नामक विश्लेषण को धारण करना आन, बान व शान मानते थे। सार्वजनिक जिम्मेदारी लेकर जिने वाला हर व्यक्ति भारत कहलाता था।
देश के नाम की दृष्टिपात करें तो भारत शब्द देश के लिए अपूर्ण है। व्यष्टि एवं समष्टि के लिए पूर्ण होने पर भी देश के लिए भारतवर्ष शब्द पूर्ण है।
वर्ष शब्द के संस्कृत में अनेक अर्थ होने पर भी एक शब्द भूभाग है। अर्थात भारतवर्ष शब्द का अर्थ हुआ - वह भूभाग अथवा देश, जो व्यष्टि तथा समष्टि के भरणपोषण एवं समग्र उन्नति को सुनिश्चित करें भारतवर्ष कहलाता है। संस्कृत व्याकरण का सम्मान तथा भाषागत शुद्ध शब्द देश के लिए 'भारतवर्ष' है। भारत व्यष्टि एवं समष्टि के लिए प्रयोग किया जाने वाला राष्ट्र से लिया गया शब्द था। वर्ष इसलिए हटा दिया जाता था कि व्यष्टि वर्ष समष्टि को भूभाग से अलग कर समग्र समाज के लिए अर्थात देश सीमाओं के भीतर तथा बाहर सभी के लिए सम दृष्टिकोण का प्रतीक मानाने के लिए ऐसा किया जाता था।
भारत शब्द की उत्पत्ति शकुन्तला व दुष्यंत पुत्र कुरुवंश के संस्थापक चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम से माना जाता है। भारत शब्द का प्रयोग उससे पहले भी होने के प्रमाण उपलब्ध है। संभवतया भारतवर्ष रुपी सम्पूर्ण भूभाग की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने के कारण इन्हें भरत शब्द का खिताब दिया गया था। भरत शब्द रामायण के पात्र भरत के लिए तथा शिव काल के मुनि भरत अर्थात भरतमुनि के लिए भी प्रयोग हुआ है। उन्हें भारतनाट्यम् के जनक माना जाता था। इससे एक तथ्य ज्ञात होता है कि भारतवर्ष, देश के लिए ऋषीपर्षद द्वारा रखा गया एक नाम है। जिसका शब्दगत, भावगत तथा गुढार्थ भौतिक तथा मानसिक व आध्यात्मिक उन्नति के लिए सचेष्ट व उत्तरदायी बनाने के लिए चयनित किया गया था।
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श्री आनन्द किरण "देव"
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उक्त लेख की जानकारी के स्रोत -
१. आनन्द मार्ग साहित्य
२. प्राचीन भारतीय साहित्य
३. भारतवर्ष की संस्कृति
Very appropriate description of word Bharat
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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