बकरे से रॉकेट चलाना (Rocketing a goat)


श्री श्री आनन्दमूर्ति जी की एक ऐतिहासिक घोषणा है कि 'मैं बकरे से रॉकेट चलाऊंगा' ने आनन्द मार्ग में एक नूतन साहस भरा था, भरता है तथा भरेगा। इस उक्ति अर्थ तथा भावार्थ समझने की वेला आ गईं है। हम सभी जानते हैं कि भौतिक बकरा रॉकेट नहीं चलाएगा। यहाँ बकरा शब्द ऐसे साधारण व्यक्ति के लिए है, जिसकी योग्यता पर किसी को भरोसा नहीं है; उससे परमपुरुष जब महान कार्य करवाते हैं तब बकरे से रॉकेट चलाने वाली उक्ति बनती है। माखन जी द्वारा फर्राटेदार अंग्रेजी में भाषण बोलना अथवा अपढ़ दीदी से विदेश में बहुत सारा काम करवाना 'मैं बकरे से रॉकेट चलाऊंगा'‌ के प्रमाण है। यद्यपि हम सभी को श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के कथन को सिद्ध करने के लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है, यह प्रमाण मात्र हमारी मानसिक तृप्ति के लिए है; तथापि 'बकरे से रॉकेट कैसे चलेगा' यह दिखने की सबकी चाहत है। प्रश्न है कि क्या सभी बकरे रॉकेट चलाएंगे? विषय के विशेषज्ञ बताएगें कि नहीं सभी बकरे रॉकेट नहीं चला पाएंगे। वही बकरा रॉकेट चला पाएगा जो प्रशिक्षित है। इसको समझने से हम श्री श्री आनन्दमूर्ति जी की महान घोषणा को समझने में सक्षम हो जाएगा। श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का कार्य करने के लिए साधारण से साधारण व्यक्ति आगे आएंगे। इसके लिए प्रभावशाली अथवा दबंगों की चाहत में नहीं रहना चाहिए। अतः हमें श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का पायलट ढूंढने के अतिविशिष्ट, विशिष्ट अथवा मुख्य व्यक्ति की ओर चलने से नहीं मिलेगा। श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का पायलट साधारण, अतिसाधारण तथा गुदड़ी का लाल होगा। अतः हमें श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के पायलटों की तलाश में बड़े-बड़े महलों, घरानों एवं व्यक्तित्वों की ओर ताकने की कोई आवश्यक नहीं है। श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का पायलट तो आम आदमी है। अतः आनन्द मार्ग को VIP व VVIP कल्चर की ओर ले चलने की आवश्यकता नहीं है। आनन्द मार्ग की सामान्य सभ्यता की ओर लेकर चलना होगा। श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ने कभी भी आनन्द मार्ग को अतिविशिष्ट, विशिष्ट अथवा भव्य व्यक्तित्व से नहीं सजाया है। यहाँ सभी जन साधारण होते हैं। जब भी कोई विशिष्ट, अतिविशिष्ट अथवा भव्य व्यक्ति बनने की चेष्टा करता है तब वह अपने आप को आनन्द मार्ग से दूर ले जाता है तथा अलग थलग पड़ जाता है। अत: एक आनन्द मार्गी को अपने को एक साधारण व्यक्ति मानकर ही चलना चाहिए। 

दूसरा प्रश्न है कि क्या कोई भी बकरा श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का रॉकेट चला देगा? विषय के विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा नहीं है। एक बकरे को श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का पायलट बनने के लिए न्यूनतम से न्यूनतम योग्यता यम नियम का पालन करना तथा भूमाभाव का साधक होना आवश्यक है। इसके अभाव में तो कोई बकरा श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का रॉकेट चलाना तो दूर की बात है उस रॉकेट के पास भी नहीं जा सकता है जिसे श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ने लांच किया है। अतः बकरे को अग्नि परीक्षा तो देनी ही होगी। इसमें उत्तीर्ण होने वाला बकरा ही श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का पायलट बन सकता है। 

तीसरा प्रश्न क्या बकरे के अतिरिक्त और कोई दूसरा श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का रॉकेट नहीं चला सकता है? विषय के विशेषज्ञ बताते है कि अतिविशिष्ट विशिष्ट अथवा भव्य व्यक्तित्व अपने निज अहंकार का परित्याग कर निर्मल हृदय से श्री श्री आनन्दमूर्ति जी की शरण में आने से श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का कृपानिधि स्वरूप उन्हें पायलट बनने का अवसर दे सकता है। लेकिन यदि कोई विशिष्ट, अतिविशिष्ट अथवा भव्य व्यक्तित्व अपने पद, प्रतिष्ठा एवं पैसों के बलबूते पर श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का पायलट बनना चाहता है तो श्री श्री आनन्दमूर्ति जी का दिव्य रॉकेट उनके सामने से ही अदृश्य हो जाता है। क्योंकि श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के रॉकेट की यह अदभुत विशेषता है कि उनकी सहमति के बिना कोई उनके रॉकेट छू नहीं सकता है। 

विषय के अन्त में हम श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के रॉकेट चलाने के लिए हमें आनन्द मार्गी होना होगा। बिना आनन्द मार्गी बने‌ हम कभी भी श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के रॉकेट के दीदार नहीं कर सकते हैं। आओ हम मिलकर श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के रॉकेट को बकरे से चलाते देखते हैं तथा दुनिया को यह चमत्कार दिखाते हैं। हम सभी सोचते हैं कि क्या हम श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के पायलट है? यदि है तो क्या हम बकरे(साधारण व्यक्ति) है? यदि हा तो क्या हम इष्ट एवं आदर्श पर चलते हैं? यदि हाँ तो हम श्री श्री आनन्दमूर्ति जी की परीक्षा में खरे उतरे।
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    [श्री] आनन्द किरण 'देव'
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