गढ़वाली समाज

*गढ़वाली समाज*

पश्चिम उत्तराखण्ड के रुद्र प्रयाग, उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, देहरादून व हरिद्वार जिलों का क्षेत्र गढ़वाली समाज है। गढ़वाल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख क्षेत्र है। यहाँ की मुख्य भाषा गढ़वाली है। 

गढ़वाल का साहित्य तथा संस्कृति बहुत समृद्ध हैं। लोक संस्कृत भी अत्यंत प्राचीन और विकसित है। गढ़वाली लोकनृत्यों के २५ से अधिक प्रकार पाए जाते हैं इनमें प्रमुख हैं- मांगल या मांगलिक गीत, जागर गीत, पंवाडा, तंत्र-मंत्रात्मक गीत, थड्या गीत, चौंफुला गीत, झुमैलौ, खुदैड़, वासंती गीत, होरी गीत, कुलाचार, बाजूबंद गीत, लामण, छोपती, लौरी, पटखाई में छूड़ा, न्यौनाली, दूड़ा, चैती पसारा गीत, बारहमासा गीत, चौमासा गीत, फौफती, चांचरी, झौड़ा, केदरा नृत्य-गीत, व.सामयिक गीत। अन्य नृत्य-गीतों में - हंसौड़ा, हंसौडणा, जात्रा, बनजारा, बौछड़ों, बौंसरेला, सिपैया, इत्यादि। इन अनेक प्रकार के नृत्य-गीतों में गढ़वाल की लोक-विश्रुत संस्कृति की झलक स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। 

गढ़वाल में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं। इन में से बहुत से त्यौहारों पर प्रसिद्ध मेले भी लगते हैं। ये मेले सांप्रदायिक सौहार्द का वातावरण बनाए रखने में भरपूर सहयोग देते हैं। इसके साथ ही यहां की संस्कृति को फलने फूलने एवं आदान प्रदान का भरपूर अवसर देते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मेले इस प्रकार से हैं - बसंत पंचमी मेला, कोटद्वार, पूर्णागिरी मेला, टनकपुर देवीधूरा मेला, कुंभ एवं अर्धकुंभ मेला प्रमुख है।

 चाँदी के समान श्वेत पर्वत शिखर कल-2 करती चमकदार सरिताएं, हरी भरी घाटियाँ एवं यहाँ की शीत जलवायु ने शान्ति एवं स्वास्थय लाभ हेतु एक विशाल संख्या में पर्यटकों को गढ़वाल के पर्वतों की ओर आकर्षित किया है। यह एक सौन्दर्यपूर्ण भूमि है जिसने महर्षि बाल्मिकी एवं कालीदास जैसे महान लेखकों को प्रेरणा प्रदान की है। इन सभी ने पेन्टिंग एवं कला के साथ-2 गढ़वाल की शैक्षिक सम्पदा को अन्तिम नीव प्रदान की है। पत्थर पर नक्काशी की यहाँ की मूल कला धीरे-2 समाप्त हो गई है। परन्तु लकड़ी पर नक्काशी आज भी यहाँ उपलब्ध है। यहाँ पर केवल अर्द्धशताब्दी पूर्व तक के गृहों के प्रत्येक दरवाजे पर लकड़ी की नक्काशी का कार्य देखा जा सकता है इसके अतिरिक्त लकड़ी की नक्काशी का कार्य सम्पूर्ण गढ़वाल में स्थित सकडों मन्दिरों में देखा जा सकता है। वास्तुशिल्प कार्य के अवशेष गढ़वाल में निम्न स्थलों पर पाये जा सकते हैं। चान्दपुर किला, श्रीनगर-मन्दिर, बद्रीनाथ के निकट पाडुकेश्वर, जोशीमठ के निकट देवी मादिन एवं देवलगढ मन्दिर उपरोक्त सभी संरचनाएं गढ़वाल में एवं चन्डी जिले में स्थित है। गढ़वाली समाज के पूर्व में कुमाऊँ समाज, उत्तर में चीन व हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश है। 

*गढ़वाली समाज की संरचना*

*1. उत्तरकाशी भुक्ति* - उत्तरकाशी जिला उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के अंतर्गत एक जिला है, उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय *उत्तरकाशी नगर* है, गंगा और यमुना का उद्गम स्थल उत्तरकाशी में ही है। उत्तरकाशी में ६ तहसीलें है जिनके नाम भटवारी चिन्यालीसौर, डूंडा, मोरी, पुरौला और राजगढ़ी, इन 6 तहसीलो में राजगढ़ी तहसील सबसे बड़ी और पुरौला तहसील सबसे छोटी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* - उत्तरकाशी में 3 विधानसभा क्षेत्र है, इन विधान सभा सीटों के नाम पुरुला (एससी), यमुनोत्री और गंगोत्री है।

*2. रुद्रप्रयाग भुक्ति* - रुद्रप्रयाग जिला उत्तराखंड के गढ़वाल मण्डल के अंतर्गत आता है, रुद्रप्रयाग जिले का मुख्यालय रुद्रप्रयाग नगर है। रुद्रप्रयाग जिले में 2 तहसीलें है जिनके नाम जखोली और उखीमठ, इन दोनों तहसीलों में उखीमठ तहसील जखोली तहसील से बड़ी है।
*राजनैतिक स्वरुप* - रुद्रप्रयाग जिले में 2 विधान सभा सीट है, इन विधानसभा क्षेत्रो के नाम केदारनाथ और रुद्रप्रयाग है। 

*3. टिहरी गढ़वाल भुक्ति* - टिहरी गढ़वाल जिला उत्तराखंड में गढ़वाल मंडल का एक जिला है, जिसका मुख्यालय टिहरी नगर है। टिहरी गढ़वाल जिले में 7 तहसीलें है, जिनके नाम देवप्रयाग धनोल्टी, घनसली, जाखणीधार, नरेंद्रनगर, प्रतापगर और टिहरी है , इन सातों तहसीलों में देवप्रयाग सबसे बड़ी तहसील है और जाखड़ीधार सबसे छोटी तहसील है।

*राजनैतिक स्वरुप* - टिहरी गढ़वाल में 6 विधान सभा क्षेत्र है जिनके नाम घनसली (एससी), देवप्रयाग, नरेंद्र नगर, प्रताप नगर, टिहरी और धनोलती।

*4. देहरादून भुक्ति* - देहरादून जिला उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल का एक जिला है, देहरादून जिले का मुख्यालय देहरादून नगर है और यही उत्तराखडं की राजधानी भी है। देहरादून जिले में 4 तहसीलें है जिनके नाम इस प्रकार से है चकराता, कालसी, त्यूणी और विकासनगर , इन चारो तहसीलों में कालसी तहसील सबसे बड़ी है और त्यूणी तहसील सबसे छोटी तहसील है
*राजनैतिक स्वरुप* - देहरादून जिले में 9 विधान सभा सीट है, इन विधानसभा क्षेत्रो के नाम विकासनगर, सहसपुर, धरमपुर, रायपुर, राजपुर रोड देहरादून छावनी, मसूरी, डोईवाला और ऋषिकेश। 

*5. पौड़ी गढ़वाल भुक्ति* - पौड़ी गढ़वाल जिला उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल में आता है, पौड़ी गढ़वाल जिले का मुख्यालय पौड़ी नगर है, यहाँ की आधिकारिक भाषा हिंदी और गढ़वाली है। पौड़ी गढ़वाल में 8 तहसीलें है पौड़ी, लैंसडाऊन, कोटद्वार, थैलीसैण, धुमाकोट, श्रीनगर, सतपुली और चौबट्टाखाल
*राजनैतिक स्वरुप* - पौड़ी गढ़वाल में ५ विधानसभा क्षेत्र है, विधान सभा सीटों के नाम पौड़ी, श्रीनगर, चौबट्टखल, लांसडाउन और कोटद्वार। 

*6. हरिद्वार भुक्ति* - हरिद्वार जिला उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत आता है, हरिद्वार जिले का मुख्यालय हरिद्वार नगर में है, इस जिले को 1988 में बनाया गया था तब ये सहारनपुर मण्डल में आता था, 2000 में जब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का गटह्ण हुआ तब ये जिला उत्तर प्रदेश से निकल कर उत्तराखण्ड में आ गया। हरिद्वार जिले में 3 तहसीलें है, जिनके नाम हरिद्वार, रूरकी, और लक्सर इन तीनो तहसीलों में रूरकी सबसे बड़ी और लक्सर तहसील सबसे छोटी है।
*राजनैतिक स्वरुप* - हरिद्वार जिले में 10 विधान सभा सीट है, इन विधानसभा क्षेत्रो के नाम भेल रानीपुर, जवालपुर भगवानपुर, जाबरेड़ा, पिरान कालियार, रुड़की, खानपुर, मंगलाौर, लक्सर और हरिद्वार ग्रामीण।
 _(एक जानकारी के अनुसार हरिद्वार हरियाणवी समाज का अंग है, आधिकारिक पुष्टि के बाद ही निर्णय किया जा सकता है)_
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