विश्व सरकार एवं प्रउत दृष्टिकोण (World government and the Prout perspective)


आज हम सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से एक वैश्विक इकाई के अंग है। लेकिन राजनैतिक दृष्टि से बिखरे होने के कारण सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक एक्किकरण का समीकरण अदृश्य प्रतीक होता है। वेशभूषा, भाषा, एवं रहन सहन के तरीके हमें सभ्यता एवं संस्कृति के अलग-अलग पाठ पढ़ने के लिए मजबूर करती है। जाति एवं साम्प्रदायिक सोच हमें सामाजिक दृष्टि बिखराव की ओर ले चलती है। उसी प्रकार आर्थिक जगत में शोषणवादी पूंजीवादी मानसिकता ने आर्थिक जगत को विस्मृत कर दिया है। इसलिए प्रउत दुनिया के समक्ष विश्व सरकार का प्रोजेक्ट लेकर आया है। आज हम पूर्णतया विश्व सरकार के प्रोजेक्ट चर्चा करेंगे। 

विश्व में जब भी युद्ध एवं विनाश के बादल मंडराते है, तब एक वैश्विक राजनैतिक मंच की आवश्यकता का अनुभव होता है। इसी क्रम में सन 1941 में विंस्टन चर्चिल  एवं फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट का अटलांटिक चार्टर विश्व शांति की पहली पहल थी। यद्यपि इससे पूर्व राष्ट्रसंघ के रूप में युरोपीय राष्ट्रों ने चिन्तन दिया था तथापि विंस्टन चर्चिल  एवं फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट का अटलांटिक चार्टर से निकला संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व शांति की एक मजबूत पहल थी। आज की दुनिया में विश्व सरकार की भूमिका की अदायगी संयुक्त राष्ट्र संघ करता है, लेकिन यह अबतक एक कमजोर संगठन है, जो शक्तिशाली राष्ट्रों के हाथों की कठपुतली बना हुआ है। इसलिए विश्व सरकार के प्रोजेक्ट पर स्वतंत्र चिन्तन की आवश्यकता है। 

अबतक विश्व सरकार की दिशा में कई विचार आए हैं लेकिन वे सभी विचार सशक्त नहीं होने के कारण काल का चारा बन गए। विश्व मंच पर पहली बार प्रउत विश्व सरकार का एक सशक्त साधन बनकर उभरा है। इसलिए प्रउत के विश्व सरकार प्रोजेक्ट पर चर्चा करेंगे। प्रउत का विश्व सरकार प्रोजेक्ट एक स्वतंत्र एवं उन्नत प्रोजेक्ट है। 

प्रउत का विश्व सरकार प्रोजेक्ट 

प्रउत विश्व सरकार के लिए निम्न प्रोजेक्ट लेकर दुनिया के समक्ष उपस्थित हुआ है। 

(१) महाविश्व का चिन्तन - प्रउत के विश्व सरकार प्रोजेक्ट का प्रथम बिन्दु श्री श्री आनन्दमूर्ति जी की महाविश्व की अभिकल्पना है। जिसमें एक अखंड व अविभाज्य मानव समाज, विश्व बंधुत्व के लिए वैश्विक चिन्तन एवं नव्य मानवतावादी चिन्तन निहित है। इसके अनुसार मानव समाज में जातिभेद एवं साम्प्रदायिकता की दीवार कमजोर एवं अस्थायी है। उसे मनुष्य अपनी उन्नत सोच एवं विद्या बुद्धि के बल गिराने में सक्षम है। अतः विश्व जन के चिन्तन को वैश्विक एवं नव्य मानवतावादी की ओर ले चलने की आवश्यकता है। भौम भाव प्रवणता एवं सामाजिक भाव प्रवणता की आधार पर निर्मित दूषित चिन्तन के दीमक 
को हटाकर एक स्वच्छ मन‌ का निर्माण करना आवश्यक है। 

(२) विश्व राष्ट्र एवं विश्व नागरिकता - प्रउत अपने विश्व सरकार के प्रोजेक्ट में का दूसरा बिन्दु विश्व राष्ट्र का देता है। आज के युग में राष्ट्र निर्माण के मूर्त एवं अमूर्त तथ्य मात्र एवं मात्र विश्व राष्ट्र में विद्यमान है। अतः विश्व राष्ट्र से नीचे राष्ट्र की अभिकल्पना देश नामक चिन्तन में परिणत हो जाती है। विश्व राष्ट्र की अवधारणा विश्व नागरिकता के सिद्धांत को लेकर जन्म लेता है। मनुष्य जन्म से विश्व नागरिक है। उस देश की सीमा में आबद्ध कर हम उसे अपना पराया का पाठ पढ़ाते है। विश्व बंधुत्व की बात करने वाले विश्व नागरिकता के सूत्र को नहीं अपनाते है तो वे भाव जगत में कपटाचार कर रहे हैं। विश्व शांति की मशाल जलाने वालों को विश्व राष्ट्र से कम चिन्तन देना भी कपटाचार है। इसलिए प्रउत ने दुनिया को एक ही पाठ पढ़ाया है विश्व राष्ट्र एवं विश्व नागरिकता। 

(३) सशक्त केन्द्रिकृत राजव्यवस्था एवं विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था - प्रउत के विश्व सरकार का तृतीय अंग सशक्त केन्द्रिकृत राजव्यवस्था एवं विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था है। राज सशक्त बिखरी होने पर अवस्था देती है जबकि अर्थ शक्ति एक हाथ में होने पर अव्यवस्था देती है। इसलिए राज शक्ति तथा अर्थ शक्ति के संचालन के पृथक पृथक सूत्र हैं। अतः राज शक्ति एवं अर्थ शक्ति एक हाथ में एक साथ रखना दिशाहीन कदम है। राजशक्ति के लिए विश्व एक समान राजव्यवस्था एवं अर्थ शक्ति के लिए सामाजिक आर्थिक इकाई योजना का आत्मनिर्भरता का प्रोजेक्ट है। चूंकि राजव्यवस्था एवं अर्थव्यवस्था के लिए पृथक परिदृश्य है, इसलिए विश्व नागरिकता के साथ समाज इकाई की दोहरी नागरिकता का सूत्र विकसित किया गया है। 

(४) सद्विप्र नेतृत्व की व्यवस्था - विश्व सरकार चौथा सूत्र प्रउत सद्विप्र नेतृत्व का देता है। जब तक राजशक्ति एवं अर्थ शक्ति सु शक्ति संपन्न नेतृत्व के हाथ में नहीं होगा तब‌ तक सुव्यवस्था प्रदान नहीं हो सकती है। इसलिए प्रउत सरकार एवं समाज का संचालन सद्विप्र नेतृत्व के हाथ में देता है। यह सद्विप्र बोर्ड के रूप में  संचालन की जिम्मेदारी लेता है। 

(५)  विश्व भाषा एवं स्थानीय भाषा - प्रउत के विश्व सरकार के प्रोजेक्ट पंचम अंग विश्व भाषा एवं स्थानीय भाषा के प्रति दृष्टिकोण है। विश्व जन जोड़ने वाली एक विश्व भाषा तथा सभी स्थानीय भाषा को पर्याप्त संरक्षण देता है। प्रउत किसी भाषा साहित्य एवं लिपि को खत्म करने की योजना नहीं देता है अपितु लुप्त भाषाओं के पुनः सर्जन के प्रयास को बढ़ावा देता है। 

(६) पहनावा एवं अन्य वैश्विक एकता के अंग - प्रउत पहनावा के संदर्भ में देश के सामाजिक, पर्यावरणीय व्यवस्था के अनुकूल कोई भी पौशाक के लिए स्वतंत्र रखता है। इस प्रकार विश्व एकता के उभयनिष्ठ सिद्धांत को बढ़ावा देता है तथा विरोधाभास युक्त सिद्धांत के परित्याग का मंत्र सिखाता है। किसी सिद्धांत पर एक मत नहीं होने पर तथा एक दूसरे का विरोध करने वाले नहीं होने पर एकाधिक सूत्र समानांतर स्वीकार किये जा सकते हैं। 

(७) धर्म के संदर्भ में सुस्पष्ट दृष्टिकोण - मनुष्य का एक ही धर्म मानव धर्म है। जो मनुष्य को ईश्वर कोटि से होते हुए ब्रह्म कोटि तक उन्नत करने की व्यवस्था देता है। इसके लिए सामान्य नैतिक नियम यम नियम, पंचदश शील, षोडश विधि एवं सामान्य एवं विशिष्ट आचरण संहिता मानकर चलना होता है। लेकिन मत एवं पंथ के संदर्भ में व्यष्टि स्वतंत्र है। उसमें समाज एवं राष्ट्र का कोई हस्तक्षेप नहीं है। मत एवं पंथ ऐसा कोई सूत्र समाज में प्रभावशाली नहीं होगा, जो नैतिकता, धर्म सूत्र एवं समाज की शांति व समृद्धि के विरुद्ध हो। अंधविश्वास एवं रूढ़िवादी मान्यता के कारण समाज एवं समाज के किसी अंग की प्रगति अवरूद्ध होती है तो राज्य व समाज उसे स्वतंत्रता के नाम चलाने नहीं दे सकता है। 

(८) प्रउत अर्थव्यवस्था एवं आध्यात्मिक उन्नयन - प्रउत के विश्व सरकार के प्रोजेक्ट में प्रगतिशील उपयोग तत्व मूलक अर्थव्यवस्था एवं आध्यात्मिक उन्नयन मूलक सामाजिक व्यवस्था प्रदान करता है। 

(९)  सेना एवं शांति व्यवस्था - प्रउत के विश्व सरकार के प्रोजेक्ट में शक्ति प्रयोग की अवहेलना नहीं है। संयमित एवं न्यायसंगत शक्ति प्रयोग के विश्व सेना एवं स्थानीय पुलिस व्यवस्था को स्वीकार करता है। विश्व सरकार सेना एवं पुलिस रहित नहीं होगी। 

(१०) शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत - प्रउत की विश्व सरकार में कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका एवं लेखा व्यवस्था एकदम स्वतंत्र होगी। इसमें एक दूसरे का हस्तक्षेप मंजूर नही होगा। 

(११) शैक्षणिक, चिकित्सकीय एवं अन्य संस्थान का स्वतंत्र अस्तित्व होगा - प्रउत का विश्व सरकार प्रोजेक्ट में शिक्षा, चिकित्सा, कला, विज्ञान एवं अन्य समाज कल्याणकारी संस्थान पूर्णतः स्वतंत्र एवं विशेषज्ञों द्वारा संचालित होंगे। इसमें राजशक्ति एवं अर्थ शक्ति का हस्तक्षेप मंजूर नही करता है। 

(१२) नागरिकों के मूल अधिकार एवं मूल कर्तव्य - समाज एवं विश्वराष्ट्र का कर्तव्य है कि नागरिकों का शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास सुनिश्चित हो इसके आवश्यक मूल अधिकार एवं कर्तव्य संयोजित किये जाएंगे। 

विश्व सरकार के प्रोजेक्ट में शिक्षा नीति, चिकित्सा नीति, रोजगार नीति, कृषि नीति, उद्योग नीति, व्यापार वाणिज्यिक नीति, श्रम एवं श्रमिक नीति, समाज नीति एवं अन्य प्रमुख नीति का समाविष्ट होगा तथा विश्व सरकार सम्पूर्ण संरचना समय के साथ तैयार होगी।

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 [श्री]                      "देव"
          आनन्द किरण
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