प्रश्न १. सद्विप्र किसे कहते हैं?
उत्तर - जो आध्यात्मिक नीतिवाद तथा यम-नियम का पालन करते हैं, और जो परम चैतन्य सत्ता के प्रति अनुरक्त है, वे ही है सद्विप्र।
प्रश्न -२. लोग सद्विप्र को कैसे पहचानेंगे?
उत्तर - उनके
१. आदर्श आचरण,
२. नि:स्वार्थ सेवा,
३. कर्त्तव्य परायणता
और
४. नैतिक दृढ़ता
के माध्यम से।
प्रश्न ३. ऐसा कौनसा कार्य है, जो सद्विप्र ही कर सकते हैं?
उत्तर - केवल सद्विप्र लोग ही
१. नि:स्वार्थभाव से लोगों की सेवा कर सकते हैं
और
२. सभी को सर्वात्म प्रगति के पथपर ले जा सकते हैं।
प्रश्न ४. भविष्य में मानव समाज का नेतृत्व कौन करेंगे?
उत्तर - ये ही सद्विप्र - जो सही जीवनादर्श का अनुसरण करते हैं और उचित साधना पद्धति का अनुशीलन करते हैं- वे ही भविष्य में मानव समाज के नेतृत्व में अधिष्ठित रहेंगे।
प्रश्न ५. वर्तमान दुनिया के परिपेक्ष्य में प्रउत कौनसी व्यवस्था में विश्वास करता है?
उत्तर - वर्तमान दुनिया के परिपेक्ष्य में प्रउत नियन्त्रित गणतंत्र पद्धति पर विश्वास करता है।
प्रश्न ६. प्रउत के अनुसार कौनसा शासन आदर्श शासन है?
उत्तर - प्रउत के मतानुसार सद्विप्रों का शासन ही है आदर्श व्यवस्था।
प्रश्न ७. सद्विप्रों के नेतृत्व को प्रतिष्ठित करने के लिए क्या करना होगा?
उत्तर - इसके लिए
१. बहुत उन्नत मानसिकता के लोगों को आगे आना होगा।
२. उन्हें सम्मिलित रूप से विधिवद्ध और विचार सम्मत तरीके से प्रउत के सही प्रयोग के लिए प्रयास करते रहना होगा,
तभी सद्विप्रों का नेतृत्व प्रतिष्ठित होगा।
प्रश्न ८. किसके द्वारा आदर्श नेतृत्व की स्थापना सम्भव नहीं है?
उत्तर - यह नहीं कर सकते आदर्श नेतृत्व की स्थापना -
१. अन्धी जड़शक्ति के द्वारा
अथवा
२. कर्मविमुख बौद्धिक अमिताचार (Intellectual extravaganza)
के द्वारा
आदर्श नेतृत्व की स्थापना सम्भव नहीं है।
प्रश्न ९. सद्विप्रों को क्या करना होगा?
उत्तर - सद्विप्र लोग
१. हर प्रकार की भ्रष्टाचार और शोषण के विरुद्ध विरामहीन संग्राम जारी रखेंगे।
२. वे नीतिहीनता और विभेदमूलक प्रवणता के विरुद्ध सर्वदा संघर्षरत रहेंगे।
प्रश्न १०. शान्ति एवं मानव प्रगति किस पर निर्भर करती है?
उत्तर - शान्ति एवं मानव प्रगति की स्थापना पूरी तरह निर्भर करती है, सद्विप्रों की सामूहिक प्रचेष्टा के ऊपर।
प्रश्न ११. समाज के सर्वात्मक कल्याण के लिए कौनसी व्यवस्था की स्थापना करना अत्यंत जरुरी है?
उत्तर - समाज के सर्वात्मक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सद्विप्रों के कल्याणमूलक एकनायकत्व (Bevenevolent dictatorship) की स्थापना करना अत्यंत जरुरी है?
प्रश्न १२. साधारण लोगों की वास्तविक आशा-आकांक्षाओं के मूर्त प्रतिभू(स्वरुप) कौन हो सकते हैं?
उत्तर - एकमात्र सद्विप्र लोग ही साधारण लोगों की वास्तविक आशा-आकांक्षाओं के मूर्त प्रतिभू(स्वरुप) हो सकते हैं।
प्रश्न १३. सद्विप्रों का उदार एकनायकत्व है, उसका रूप किस प्रकार का होगा?
उत्तर - प्रउत राजनैतिक सत्ता का केन्द्रीकरण और आर्थिक सत्ता के विकेन्द्रीकरण का समर्थन करता है। लेकिन राजनैतिक सत्ता के केन्द्रीकरण का अर्थ यह नहीं है कि एक व्यष्टि या एक प्रतिष्ठान के हाथ में सारी सत्ता केन्द्रित होगी। शासन व्यवस्था की विभिन्न शाखाओं में जो पर्याप्त जानकारी रखते हैं और इस विषय के जो दक्ष व अनुभवी है, उनके बीच से उपयुक्त व्यष्टि का निर्वाचन करके सद्विप्र गण विभिन्न बोर्डों का गठन करेंगे।
ये बोर्ड निम्न प्रकार के होंगे -
१. सद्विप्रों का सर्वोच्च बोर्ड - नीति निर्धारण के मामले में और समाज के अन्याय बोर्ड के क्रियाकलाप की सही तरीके से देखभाल करने के लिए यह बोर्ड सर्वोच्च स्तर का सामूहिक प्रतिष्ठान।
२. कानून बोर्ड - जो सद्विप्र कानून बनाने के विषय में अनुभवी है, उन्हीं के द्वारा यह बोर्ड गठित होगा। प्रउत की मूलनीति के अनुसार सर्वोच्च बोर्ड जो कार्यक्रम निर्धारित करेगा उसी के अनुसार कानून बनाना ही इस बोर्ड का काम होगा।
३. शासन कार्य संचालन बोर्ड - जो सद्विप्र शासन व्यवस्था के काम में अनुभवी हैं उन्हीं के द्वारा यह बोर्ड गठित होगा सद्विप्रों का कानून बनाने संबंधी बोर्ड जो कानून और शासन नीति तैयार करेगा उन्हें लागू करने का दायित्व इसी बोर्ड के ऊपर होगा। जो प्रशासनिक दायित्व में नियोजित रहेंगे उनका चयन सही तरीके से करना और नियुक्ति देने की देखरेख यह बोर्ड करेगा। शासन व्यवस्था के विभिन्न शाखों में जो सब बोर्ड गठित होंगे, उनके क्रिया-कलापों की देखभाल यह बोर्ड करेगा।
४. न्याय व्यवस्था बोर्ड - जो सद्विप्र न्याय व्यवस्था के विषय में अनुभव है, उन्हीं के बीच बीच से चुने गए सदस्यों द्वारा यह बोर्ड गठित होगा। न्यायाधीशों की नियुक्ति और न्याय व्यवस्था के अन्यान् कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित विषय पर विभिन्न नियम और पद्धतियों का निर्धारण यह बोर्ड करेगा।
५. शासन व्यवस्था की विभिन्न शाखों के लिए सद्विप्रों का सब बोर्ड - शासन व्यवस्था के विभिन्न कामों में जो दक्ष है उन्हीं सद्विप्रों को इन सब बोर्ड में नियुक्त किया जाएगा। सद्विप्रों का शासन कार्य संबंधित-बोर्ड इन सब-बोर्डों के प्रतिनिधियों के संभावित नाम की तालिका तैयार करके कानून संबंधी बोर्ड में भेजेगा। कानून बनाने संबंधी बोर्ड फिर से जरूरी संशोधन करके तालिका सद्विप्रों के सर्वोच्च बोर्ड के पास से पास करके भेजेगा। सर्वोच्च बोर्ड इस तालिका को अंतिम अनुभव करें अनुमोदन करेगा।
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संभावित प्रश्न उत्तर
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प्रश्न १४. सद्विप्र बोर्ड का अर्थ क्या है?
उत्तर - सद्विप्र बोर्ड का अर्थ सद्विप्रों का सर्वोच्च बोर्ड ही नहीं अपितु सद्विप्र बोर्ड का अर्थ - सद्विप्रों का सर्वोच्च बोर्ड, सद्विप्रों का कानून बोर्ड, सद्विप्रों का शासन कार्य संचालन बोर्ड, सद्विप्रों का न्याय व्यवस्था बोर्ड तथा शासन की विभिन्न शाखाओं के लिए सद्विप्रों के सब-बोर्ड है। यह सभी मिलकर सद्विप्र बोर्ड कहलाता है।
प्रश्न १५. सद्विप्र बोर्ड वर्तमान व्यवस्था से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर - वर्तमान व्यवस्था व्यक्ति अथवा भीड़ केन्द्रित है जबकि सद्विप्र बोर्ड व्यवस्था दक्ष एवं अनुभवी सद्विप्रों की संस्था में निहित है।
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मूल विचार - श्री प्रभात रंजन सरकार के है।
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संदर्भ -
१. अध्याय - सद्विप्र बोर्ड
1969 राँची,
२. पुस्तक - प्रउत अर्थव्यवस्था।
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केवल प्रस्तुति - [श्री] आनन्द किरण "देव"
प्रश्न संख्या 5 के प्रति उत्तर के संबंध में विचार करने की आवश्यकता है। प्रश्न संख्या 14 में सदविप्रो का सर्वोच्च बोर्ड और सदविप्र बोर्ड दो अलग-अलग है और सदविप्र बोर्ड में अनेक बोर्ड है।सदविप्र का सर्वोच्च बोर्ड एक अपेक्स बोर्ड ।हैहैहै सद्विप्रो सदसदविप्र विप्रोविप्रो का सर्वोच्च बोर्ड सुप्रीम बोर्ड का सतविपराज
जवाब देंहटाएंश्रीमंत पुनः अध्ययन करें
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