राज्य नहीं, समाज चाहिए (We need society, not the state)



विश्व में संघीय लोकतंत्र व्यवस्था(federal democracy system) को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसलिए आज हम संघ व्यवस्था(federal system) एवं लोकतंत्र(Democracy) पर चर्चा करेंगे। संघ शब्द का अर्थ मिलन है। किसी निश्चित समान उद्देश्य के लिए व्यक्ति अथवा किसी संस्थाओं का मिलना संघ कहलाता है। संघ को गठबंधन(Alliance) भी कहते हैं। जब किसी देश में विभिन्न प्रान्तों का मिलन होता है अथवा किसी देश को प्रान्तों में विभाजित किया जाता है, तब उस देश को संघीय राष्ट्र कहते हैं। विश्व में ऐसे कई शक्तिशाली राष्ट्र है, जो संघवादी  व्यवस्था को धारण किये हुए है। लेकिन उनकी ताकत संघ के कारण नहीं, केन्द्रीय के कारण है। अतः हम उन्हें आदर्श संघ व्यवस्था नहीं कह सकते हैं। किसी भी राष्ट्र की मजबूती आर्थिक दृष्टि से मजबूत सामाजिक आर्थिक इकाई एवं राजनैतिक दृष्टि से मजबूत केन्द्र के कारण से होती है। इसलिए विषय राज्य नहीं, समाज चाहिए लिया गया है। 

समाज शब्द का अर्थ एक मजबूत बंधन जिसमें व्यक्ति शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास को सुनिश्चित करने की शक्ति निहित हो। समाज का स्वरूप सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सामाजिक नाम तीन पहलूओं से निर्मित होता है। जबकि राज्य का स्वरूप एक प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर बना होता है। अतः प्रउत की मांग है, राज्य नहीं समाज चाहिए। 

लोकतंत्र भी हमारा विषय है, अतः लोकतंत्र पर भी चर्चा करेंगे। लोकतंत्र शब्द का शाब्दिक अर्थ जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए(Of the people, by the people and for the people) है।  अतः लोकतंत्र शब्द चरितार्थ करने के कारण आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना आवश्यक है। आर्थिक लोकतंत्र का अर्थ है आर्थिक नीति निर्धारण में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती से स्थापित करना। खेती, उद्योग, व्यापार, वाणिज्य एवं अन्य सामाजिक आर्थिक गतिविधियों में जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए को स्थापित करना आर्थिक लोकतंत्र की प्रथम शर्त है। 

हमने लोकतंत्र एवं संघीय व्यवस्था का अध्ययन किया है तथा इसके आधार पर अध्ययन किया जाए तो कई भी संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का आदर्श स्वरूप विद्यमान नहीं है। अतः आज हमारी लोकतांत्रिक एवं संघीय व्यवस्था दोनों ही अपूर्ण व अव्यवस्थित है। इसे पूर्ण  एवं सुव्यवस्थित करने के लिए राज्य नहीं समाज चाहिए विषय प्रासंगिक है। 

विश्व में अव्यवस्था का मुख्य कारण संघीय व्यवस्था का सही नहीं होना है। यदि राष्ट्र मजबूत है लेकिन सयुंक्त राष्ट्र संघ कमजोर है तो भी आदर्श व्यवस्था नहीं होगी तथा सयुंक्त राष्ट्र संघ मजबूत है तथा राष्ट्र कमजोर है तब भी आदर्श व्यवस्था नहीं होगी। इसलिए विश्व को विश्व सरकार एवं समाज चाहिए। 

समाज, एक सामाजिक आर्थिक इकाई है। जो समान आर्थिक समस्या, समान आर्थिक संभावना, नस्लीय समानता एवं भावनात्मक एकता नामक चार स्तंभों पर खड़ा है। अतः आदर्श व्यवस्था में समाजों की स्थापना आवश्यक है। विश्व को एकता एवं अखंडता के सूत्र में पिरोने के लिए समाज नामक इकाई को मजबूत करना आवश्यक है। कमज़ोर व्यक्ति एवं व्यवस्था कभी भी मजबूत राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकता है। समाज का निर्माण संस्कृति के अंचल में होता है। व्यक्ति अपनी संस्कृति पर गर्व करता है। इसलिए समाज का निर्माण का प्रथम सूत्र ही संस्कृति है। यह समाज का सबसे उपरी आवरण होता है, जिससे समाज अपनी पहचान निर्धारित करता है। उदाहरण के लिए मारवाड़ी संस्कृति एक मारवाड़ी समाज है। समाज शब्द में दूसरा तत्व सामाजिक संगठन है, जिसमें रक्त एवं जन्मभूमि नामक तत्व निहित इसलिए समाज इकाई अपने संगठन में नस्लीय समानता को स्थान देता है। नस्ल शब्द का अर्थ जाति अथवा साम्प्रदायिकता से नहीं है। नस्ल शब्द का अर्थ क्षत्रिय परिवेश एवं रक्तसंबंध से है। समान भौगोलिक इकाई में उत्पन्न विभिन्न जाति एवं सम्प्रदाय में बंधुत्व का संबंध नस्लीय समानता है। समान नस्ल का अर्थ समान मिट्टी में पैदा होना,समान पानी पिना इत्यादि विशेषण से है। यह समाज शब्द द्वितीय आवरण है। अन्त में तृतीय तत्व आर्थिक पर दृष्टिपात करते हैं। आर्थिक तत्व का संबंध पेट से होता है। इसलिए समान आर्थिक समस्या एवं संभावना दोनों को लेकर चलता है। उदाहरण क्या एक समस्या तथा  कैसे एक संभावना है। क्यों में समस्या तथा संभावना दोनों निहित है। इसलिए समाज मूल तत्व समान आर्थिक समस्या एवं संभावना है। जहाँ यह रेखा कट जाएगी, समाज इकाई का क्षेत्र रुक जाएगा। 

राज्य क्यों नहीं चाहिए? (Why is there no need for a state?) 

अब मूल विषय पर आते हैं। राज्य का स्वरूप राजनैतिक है। इसमें अर्थनीति एवं समाजनीति का ध्यान नहीं रखा गया है। भाषा के आधार जहाँ राज्यों का गठन हुआ है, वहाँ थोड़ा सा सांस्कृतिक पहलू छूआ गया है। चूंकि राजनीति राष्ट्र की नीति है, जो एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के लिए प्रयोग करता है। राज्यों से राजनीति का कोई संबंध नहीं है। इसलिए राज्य का जो वर्तमान स्वरूप अपूर्ण है। अतः हमें ऐसे राज्य नहीं चाहिए। दूसरा कारण यह भी है कि राज्य जिला, ब्लॉक, गाँव-शहर को स्वावलंबन के पथ पर चलने की व्यवस्था नहीं देता है। 

समाज क्यों चाहिए? (Why is society needed?) 

समाज राजनीति से मुक्त पूर्णतया सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक इकाई है। जहाँ कोई दलगत तथा अन्य राजनीति नहीं है। अतः समाज चाहिए। दूसरा कारण यह भी है कि समाज भुक्ति, उपभुक्ति, पंचायत, ग्राम एवं वार्ड को पूर्ण स्वावलंबन के पथ पर ले चलता है। 

प्रखण्ड स्तरीय योजना (Block level planning) BLP

 समाज का महत्व पूर्ण अंग प्रखण्ड (ब्लॉक) है। जिसका वर्तमान निर्माण अवैज्ञानिक है। इसके निर्माण का मुख्य घटक नदी उपत्यका, मिट्टी तथा वन है। इस प्रकार बने प्रखण्ड (ब्लॉक) की विकास योजना का निर्माण प्रखण्ड स्तर पर उसकी कठोर माटी के जानकार  विशेषज्ञों के द्वारा बननी चाहिए। इसे ही प्रखण्ड स्तरीय योजना (Block level planning) कहते हैं।

🌻 [श्री] आनन्द किरण "देव" 🌻
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