सेवादल(SD)का मानव समाज की स्थापना में सहयोग
(Cooperation of Seva Dal (SD) in the establishment of human society)
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✒ श्री आनन्द किरण "देव"
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सेवादल(SD), आनन्द मार्ग आंदोलन में सहयोग करने वाली एक स्वतंत्र संस्था है। जो आनन्द मार्ग प्रचारक संघ, AMPS के सभी विभागों, AMPS की सहयोगी संस्थान तथा आनन्द मार्ग परिवार के सभी कार्यक्रम में सेवादार उपलब्ध करने के जिम्मेदारी निभाती है। सेवादार, सेवादल संस्था के वे स्वयंसेवी कार्यकर्ता है, जो स्वयं नगण्य में रहकर मानव समाज की अनुपम सेवा करते है। सेवादल के स्वयंसेवकों द्वारा शरीर से निष्काम सेवा की जाती है। इसे ज्ञान विज्ञान की भाषा में शूद्रोचित्त सेवा नाम दिया गया है। भारतीय स्मृतिकारों ने शूद्र को समाज रुपी मानव के पांव बताया है। बिना पांव के मानव पंगु है, उसी प्रकार शूद्रोचित्त सेवा के बिना समाज अपाहिज है। सेवादल के रहते मानव समाज कभी भी अपाहिज नहीं हो सकता है। आनन्द मार्ग रुपी महा मानव (उपमा मात्र) का संगठन को देखे तो SD उसके पांव, PU उदर, VSS उसके बाजुएँ, SDM सिर, ERAWS रक्त परिसंचरण, RAWA ज्ञानेन्द्रियाँ, RU मुख, आनन्द मार्ग प्रचारक संघ मन, मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र तथा श्री श्री आनन्दमूर्ति जी उसकी आत्मा है। ( नोट - यह मात्र विषय को समझने के लिए मेरे द्वारा उपमा दी गई है, प्रमाणित तथ्य नहीं है) जिस प्रकार शरीर के प्रत्येक अंग की भूमिका अपने में विशेष एवं महत्वपूर्ण है, उसी मानव समाज के निर्माण में सभी का योगदान बहुमूल्य तथा अपने आप में विशिष्ट है।
आनन्द मार्ग आंदोलन का आदर्श वाक्य साधना, सेवा एवं त्याग है। इसका अभ्यास व आभास आनन्द मार्ग आदर्श को प्रतिष्ठित करने में लगे सभी व्यष्टि व समष्टि अंग-अंग में अन्तर्निहित है। फिर भी उसकी सुन्दर तस्वीर सेवादल व सेवादार में स्पष्ट दिखाई देती है। सेवादल व सेवादार की आवश्यकता इस धरती पर सर्वत्र दिखाई देती है। आनन्दमय एवं प्रगतिशील आंदोलन में इसकी तस्वीर दिखाना परम आवश्यक है। मानव समाज का भवन निर्माण में नींव की भूमिका सेवादल को दी जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यद्यपि भवन के कण कण में सेवा का समावेश फिर भी सेवादल को मानव समाज का आधार स्तंभ कहा जा सकता है।
सेवादल आनन्द मार्ग आंदोलन का वह अंग है, जो सभी अंगों, विभागों को सेवाएं देता है लेकिन बदले किसी भी अंग व विभाग से कुछ लेता नहीं है। सेवादल की सेवा भी ऐसी है कि जिस अंग व विभाग को सेवा देगा उसमें परिवार का ही अंग बन जाएगा। उदाहरणार्थ प्राउटिस्ट सेवादल प्रउत संस्थान का अपना अंग है। इसलिए आनन्द मार्ग में बहुत सारे सेवादल सक्रिय है।
अन्त में मानव समाज की स्थापना में सेवादल का सहयोग के बारे एक ही वाक्य लिखा जा सकता है - इसके बिना मानव समाज का निर्माण हो ही नहीं सकता है।
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✒ श्री आनन्द किरण "देव"
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