PRS, PU, PSS and PB


आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं, जो प्रउत (PROUT) व्यवस्था के संदर्भ में एक निर्णायक कदम होगा। प्रउत व्यवस्था की शुरुआत 1 जनवरी 1955 को आनंद मार्ग प्रचारक संघ के प्रथम प्रवचन 'समाज का क्रमिक विकास' से होती है। प्रउत की आधारशिला आनंद सूत्रम नामक पुस्तक में है, जिसे 1968 की आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन 'सर्वजन हित एवं सुख' के लिए प्रचारित किया गया। अतः, प्रउत आनंद मार्ग प्रचारक संघ की धरोहर है। इसके प्रचार, प्रसार, स्थापना और प्रभाव के लिए प्रउत प्रणेता ने एक सुंदर व्यवस्था दी है। आज विश्व को यही व्यवस्था समझने की आवश्यकता है।

(1) PRS (Public Relations Secretary)‌ :- आनंद मार्ग प्रचारक संघ का एक विभाग है, जिसे जनसंपर्क सचिव के नाम से जाना जाता है। यह आनंद मार्ग प्रचारक संघ की सूचना को जन-जन तक पहुंचाता है। प्रउत के लिए नीति का निर्माण करने की जिम्मेदारी आनंद मार्ग प्रचारक संघ की है, और PRS वह ज्वलंत, जीवित और चलायमान इकाई है जो इस नीति को लोगों तक पहुंचाती है। युग की आवश्यकता के अनुसार आनंद मार्ग प्रचारक संघ जो नीतियां बनाता है, वे PRS के माध्यम से प्रउत के लिए कार्य करने वाली संस्थाओं तक पहुँचती हैं।
PRS केवल नीतियों का निर्माण करता है, जबकि सिद्धांत प्रउत प्रणेता द्वारा दिए गए हैं। यदि युग किसी सूत्र या सिद्धांत को परिभाषित करने की माँग करता है या उसकी आवश्यकता महसूस करता है, तो आनंद मार्ग प्रचारक संघ आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराता है।

(2) PU (PROUTIST Universal) : इस संगठन का निर्माण प्रउत के प्रचार, प्रसार और कार्यकर्ता निर्माण के लिए किया गया है। इसलिए, इसके प्रचारक आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा दिए जाते हैं। इसके कार्यों को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं- 

 * प्रचार : प्रउत दर्शन के प्रचार के लिए PU एक वैश्विक संगठन है। इसकी संरचना वैश्विक स्तर से लेकर गाँव स्तर तक सुव्यवस्थित है। प्रउत प्रणेता ने पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से इसे जगत को परिचित करवाया है।

 * प्रसार : प्रउत को जन-जन में फैलाने के लिए PU को पाँच वैश्विक संगठनों का निर्माण करना होता है, जो प्रउत के लिए कार्य करने वाले गृहस्थों द्वारा संचालित होते हैं। विद्यार्थी, युवा, किसान, श्रमिक और बुद्धिजीवियों के लिए क्रमशः UPSF, UPYF, UPFF, UPLF और UPIF का गठन किया गया है।

 * प्रशिक्षण : PU का तीसरा कार्य प्रउत के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देना है। इसके लिए यह विभागीय स्तर पर विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों और सेमिनारों का आयोजन करता है, जो UTC, PTC, CTC आदि के नाम से जाने जाते हैं।

 * निर्देशन : प्रउत के लिए काम करने वाले संगठनों को अप्रत्यक्ष रूप से निर्देशित करने की जिम्मेदारी PU के पास है। यहाँ आकर PU की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है।

 * इतिहास  : PU सर्वप्रथम PROUTIST Forum के रूप में दुनिया के सामने आया था। इसका पहला अंग Universal PROUTIST Student Federation के रूप में अस्तित्व में आया था।

(3) PSS (PROUTIST Sarva Samaj) :- प्रउत की व्यवस्था इकाई है, जो सामाजिक-आर्थिक इकाई के रूप में विश्व में स्थापित है। इसके पास प्रउत व्यवस्था की स्थापना की जिम्मेदारी है। इन सामाजिक-आर्थिक इकाइयों को वैश्विक स्तर पर संगठित, नियमित और समन्वित करने के लिए प्राउटिस्ट सर्व समाज अथवा प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति एक वैश्विक स्वरूप में प्रकट है। यह राष्ट्र, राज्य और अन्य राजनीतिक इकाइयों के धरातल पर सामाजिक इकाइयों को संगठित करने के लिए अपना मंच प्रदान करता है।

 * मंच: यह प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति अथवा प्राउटिस्ट सर्व समाज के रूप में होता है। जब सामाजिक इकाइयों को राजनीति और व्यवस्था से प्रश्न पूछने के लिए एक साझा मंच की आवश्यकता होती है, तब यह अपना मंच प्रदान करता है।

 * समाज: समाज एक सामाजिक-आर्थिक इकाई है, जिसका कार्य इस विश्व में प्रउत की स्थापना है। इसका केंद्रीय, राष्ट्रीय, प्रांतीय, संभागीय, जिला, ब्लॉक, पंचायत और ग्राम स्तर तक एक सुव्यवस्थित संगठन होता है, जो सामाजिक-आर्थिक जगत में प्रउत का प्रभाव और संकल्प स्थापित करता है।

(4) PB(PROUTIST Block) :- एक वैकल्पिक व्यवस्था है। जब भी प्रउत या इससे संबंधित व्यवस्था किसी देश, प्रदेश या सीधे विश्व से राजनीतिक प्रश्न करना चाहे या राजनीति के किसी प्रश्न का उत्तर देना चाहे, तब यह एक शुद्ध राजनीतिक संगठन के रूप में गठित किया जाता है। जब यह किसी देश-विशेष की राजनीति से सीधा प्रश्न करता है या राजनीति के प्रश्न का जवाब देता है, तब उस देश का नाम अपने साथ जोड़ लेता है, जैसे भारत में PBI, अमेरिका में PBA और ग्रेट ब्रिटेन में PBB के रूप में शुद्ध राजनीतिक संगठन दिखाई देते हैं।

(5) कुछ प्रश्न :- इस आंदोलन ने सभी की सीमा रेखा निर्धारित कर ली है, इसलिए किसी प्रश्न की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी, एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या समाज इकाई अथवा प्राउटिस्ट सर्व समाज एक राजनीतिक इकाई के रूप में आ सकते हैं?
इसका उत्तर है - हाँ। यदि यह आवश्यक महसूस हो कि किसी समाज को राजनीतिक माहौल तैयार करने के लिए एक भावनात्मक आधार की आवश्यकता है, तब संपूर्ण समाज का एक अंश राजनीतिक स्वरूप ले लेता है। यद्यपि यह मूल रूप से एक सामाजिक-आर्थिक इकाई के रूप में कार्य करता है, लेकिन जब राजनीतिक विकल्प देने का समय आता है, तो यह राजनीतिक स्वरूप धारण कर सकता है, जैसे अमरा बंगालीऔर तमिलकम। जब एक से अधिक समाज मिलकर भावनात्मक या व्यवस्थात्मक रूप से राजनीति में संयुक्त रूप से आना चाहें, तो वे प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति के निर्देशन में आते हैं, जैसे प्राउटिस्ट सर्व समाज। 


निष्कर्ष के रूप में यही कहा जा सकता है कि प्रउत की यह व्यवस्था सुस्पष्ट और सुव्यवस्थित है। सभी को बस अपना-अपना दायित्व निभाना है।

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