हमारी ग्राम पंचायत
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A किरण M
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शिवतलाव ग्राम पंचायत में चार गाँव के 13 वार्ड है। शिवतलाव में 5 वार्ड, डुंगरली में 4 वार्ड, बिलिया में 2 वार्ड तथा मालारी में 2 वार्ड है। आज हम वार्ड पंच अर्थात पंच के संदर्भ में चर्चा करेंगे।
पंच शब्द का शाब्दिक अर्थ पांच व्यष्टियों का समूह होता है। यह पांच व्यष्टि क्रमशः धर्म, अर्थ, संस्कृति, सभ्यता एवं न्याय के मर्मज्ञ होते थे। उनकी राय को अन्तिम एवं सर्वमान्य मानी जाती थी। इसलिए समाज शास्त्र में पंच परमेश्वर कहा गया है। पंच परमेश्वर शब्द के व्याख्याकार लिखते हैं कि पंच की आवाज में परमेश्वर बोलते है। अतः एक पंच को धर्म, अर्थ, संस्कृति, सभ्यता एवं न्याय का जानकर ही नहीं मर्मज्ञ होना चाहिए। हमारे समाज शास्त्र ने आदर्श प्रतिनिधित्व की मर्यादा किस प्रकार संरक्षित रखा है। यही आधुनिक लोकतंत्र को जानने की जरूरत है। पंच परमेश्वर की कहानी हमने मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में अवश्य पढ़ी होगी। जिसमें दो मित्र जुम्मन शेख एवं अलगू चौधरी के न्याय का जिक्र किया गया है। पंच परमेश्वर' कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि पंच की भूमिका निभाते समय और न्याय की गद्दी पर बैठते समय पक्षपात नहीं करना चाहिए। कितना भी किसी से निकट संबंधी क्यों ना हो, हमेशा सही निर्णय लेना चाहिए। पुराने जमाने में पंच न्यायपालिका का हिस्सा होता है। आज के युग में पंच कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका का हिस्सा है। लेकिन पंच के गुणधर्म में बदलाव नहीं होता है। पंच को जब निर्णय लेना होता है, तब राग, द्वेष, भय एवं पक्षपात से रहित एवं विशुद्ध मन से निर्णय लेने चाहिए तथा काम करना चाहिए। अतः पंच की भूमिका बदली लेकिन पंच के गुणधर्म नहीं बदलने चाहिए।
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हम एक आदर्श पंचायत की संकल्पना करते हैं। इसलिए हमें आदर्श पंचायत बनानी चाहिए। पंचायत को लोकतंत्र का अन्तिम पायदान बताया गया है। वस्तुतः पंचायत लोकतंत्र का प्रथम पायदान है। जिसमें ग्रामीण मिलकर एक आदर्श गाँव बनाने की कोशिश करते हैं। उसकी प्रथम सीढ़ी वार्ड पंच अर्थात पंच है। यदि सभी पंच लालच, स्वार्थ एवं खुदगर्जी से रहित होंगे तो वे सरपंच, ग्राम सचिव इत्यादि सम्पूर्ण पंचायत को सुन्दर बना सकते हैं। ग्राम पंचायत की स्वच्छता की जिम्मेदारी पंचों के पास है, क्योंकि पंच एक समूह है, जबकि सरपंच एक व्यक्ति हैं। समूह स्वच्छ होगा तो व्यक्ति को न चाहते हुए भी स्वच्छ होना ही होगा। अन्य बात सरपंच चुनने की शक्ति तो पंचों के पास नहीं है लेकिन सरपंच को पदच्युत करने की शक्ति पंचों के हाथ है। अतः पंचों को मिलकर रहना चाहिए तथा पंचायत की शक्ति अपने हाथ में रखनी चाहिए। वार्ड पंच की जिम्मेदारी अवश्य ही उसका अपना वार्ड है लेकिन वार्ड पंचों के समूह की जिम्मेदारी सदैव सम्पूर्ण पंचायत है। अतः हमारे पंच को नीति परायण होना आवश्यक है। उन्हें याद रखना चाहिए कि राजनीति पैसा कमाने का साधन नहीं, सेवा का अवसर है। यदि हमारे मन में सेवा करने का भाव नहीं तथा पैसा कमाने की चाहत है तो राजनीति में नहीं उतरना चाहिए। राजनैतिक प्रतिनिधित्व का भ्रष्ट आचरण नेकनामी नहीं बदनामी देता है। जिसका असर सम्पूर्ण परिवार व वंशजों पर भी पड़ता है। अतः पंच बनने की मनचाहा लेने पूर्व एक नैतिकवान एवं चरित्रवान बनने का व्रत लेना चाहिए। ऐसे पंच ही भारतवर्ष की गौरवगाथा को लिख सकते हैं। एक भी पंच भ्रष्ट नहीं है तो सरपंच एवं ग्राम सचिव के भ्रष्टाचार का सम्पूर्ण मसाला उलटी करके निकलवा सकते हैं।
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वार्ड लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई है। जिसका अर्थ है एक क्षेत्र जो एक निश्चित जनसंख्या का समूह हो। अक्सर हम इसे गली, मोहल्ला, प्रभाग, कॉलोनी अथवा उपनगर भी कहते हैं। ग्राम पंचायत में एक अथवा दो गली अथवा मोहल्लों का समूह वार्ड होता है। कभी कभी एक छोटा गाँव अथवा एक ढ़ाणी एक वार्ड हो जाता है। वार्ड शब्द वास्तविक का मतलब संरक्षण, सुरक्षा या निगरानी के तहत एक व्यक्ति या चीज़ भी होता है। अर्थात पंच के सरंक्षण, सुरक्षा एवं निगरानी में रखा गया क्षेत्र वार्ड कहलाता है। शहर में यह पार्षद का सुरक्षा क्षेत्र, पंचायत समिति एवं जिला परिषद में यह सदस्य का सुरक्षा क्षेत्र होता है। अस्पताल एवं अन्य संस्थान में भी वार्ड होते हैं। किसी की सुरक्षा में रखे बच्चे को भी वार्ड कहा जाता है। राजनैतिक भाषा में वार्ड जनप्रतिनिधि की निगरानी, सुरक्षा एवं संरक्षण क्षेत्र है। अतः वार्ड पंच की जिम्मेदारी का अंग है। एक बड़ा परिवार का मुखिया वार्ड पंच है। गाँव में वार्ड अपने प्रतिनिधि से पानी, सफाई, विकास, सुरक्षा एवं सहभागिता की आश रखता है। अतः आदर्श पंच सभी घरों के सुख-दु:ख की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेता है।
भगवान शिव का प्रतिनिधि गण देव गुणों से भरपूर होता था। सच कहें तो शिव को महादेव उनके इन देवों ने बनाया है। यह देव नहीं होते तो उन्हें देवों के देव महादेव कोई नहीं कहता। अतः पंचायत को महान बनाने की जिम्मेदारी वार्ड पंचों पर है। उन्हें आदर्श व्यक्तित्व, सद् चरित्र एवं एक वास्तविक अभिभावक के गुणों को धारण करना चाहिए, तभी अपने को वार्ड के प्रतिनिधि के तैयार होना चाहिए।
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करण सिंह शिवतलाव
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