कीर्तन एवं प्रउत (Kiirtan and Prout)

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[श्री] आनन्द किरण "देव"
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कीर्तन प्रभु भक्ति का सरल, सुगम एवं सरस मार्ग है। इसके बल पर भक्त अपने आराध्य को अपनी अपूर्णता एवं सरलता अर्पित करता है। यद्यपि कीर्तन निष्काम साधना है तथापि कीर्तन की साधना सुफल अवश्य प्रदान करती है। जब साधक इस सुफल को सर्वजन हितार्थ, सर्वजन सुखार्थ समर्पित करता है, तब प्रउत नामक अध्याय की शुरुआत होती है‌। आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे। 

प्रउत विचारधारा के प्रचार एवं प्रसार अभियान में हमारे पूर्वगामी प्रचारकों द्वारा बताया गया है कि प्रउत से श्री श्री आनन्दमूर्ति जी एवं बाबा का नाम अलग रखना है। वे बताते हैं कि प्रउत के प्रणेता के रूप में श्री प्रभार रंजन सरकार नाम स्वीकार करना है।वस्तुतः श्री प्रभात रंजन सरकार में तथा श्री श्री आनन्दमूर्ति जी एवं बाबा में कोई पार्थक्य नहीं है। एक लौकिक नाम तथा द्वितीय आध्यात्मिक नाम है। अतः जहाँ श्री प्रभात रंजन सरकार है, वहाँ श्री श्री आनन्दमूर्ति जी तथा बाबा है। अतः कितनी भी कोशिश करने पर भी श्री श्री आनन्दमूर्ति जी एवं बाबा को प्रउत से पृथक नहीं रख सकते हैं। जब बाबा का नाम प्रउत के साथ संयुक्त है तो कीर्तन एवं प्रउत विषय अप्रसांगिक नहीं है। 

प्रउत एक आध्यात्मिक सामाजिक आर्थिक दर्शन है। अतः कीर्तन प्रउत के प्रचार एवं प्रसार में सहायक हो सकता है। प्रउत को सर्वजन हितार्थ, सर्वजन सुखार्थ प्रचारित किया गया था, यदि यह अभियान कथा कीर्तन की तरह आनन्दम् प्लेटफार्म से कीर्तन एवं प्रउत बनकर अभियान निकल पढ़े तो जन जन को प्रउत समझाने की एक सरल, सुगम एवं सरस विधा बनकर उभर सकती है। प्राउटिस्ट यूनिवर्सल के आनन्दम् प्लेटफार्म से प्रभात संगीत एवं प्रउत, आनन्द संगीत एवं प्रउत, निर्गुण भक्ति संगीत अथवा निर्गुण भजन एवं प्रउत तथा कीर्तन एवं प्रउत का अभियान चला कर प्रउत को जन जन का प्रिय बनाया जा सकता है। 

'मेरा नहीं मेरे आदर्श का प्रचार करो' यह एक ब्रह्म वाक्य है। जिसमें परमपिता कहते हैं कि जो जन कल्याण के मैंने आदर्श दिया है, वह जन जन में प्रचार करें। कीर्तन एवं प्रउत विषय में हमें बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि हमारा उद्देश्य परमपुरुष को प्रतिष्ठित करना नहीं है, हमारा उद्देश्य परमपुरुष की देन को प्रतिष्ठित करनी है। अतः प्रउत को स्थानीय जन की भाषा में आनन्दम् प्लेटफार्म से प्रचारित करने के लिए भजन कीर्तन एवं संगीत की मदद से प्रउत के मूल सिद्धांत एवं मूल नीति प्रचारित कर जन जन में चेतना का संचार किया जाता है। 

कीर्तन प्रिय प्राउटिस्टों की यह यात्रा प्रउत को जन, गण मन में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी। अतः कीर्तन प्रिय प्राउटिस्टों को अपना धर्म निवहन करते हुए आनन्दम् प्लेटफार्म का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। प्रत्येक गाँव एवं शहर के प्रत्येक वार्ड एवं मौहल्लों में भजन कीर्तन एवं प्रउत नामक यात्रा निकालकर प्रउत व्यवस्था प्रति जन जागरण किया जा सकता है। इसके साथ स्थानीय भाषा में भक्तिमय प्रउत विचारधारा पर आधारित संगीत की रचना कर प्रउत एवं भक्ति आंदोलन चलाया जाना जन हित में है। 

आज कल कीर्तन विश्व शांति में प्रचारित किया जाता है। यद्यपि कीर्तन के मूलभाव के साथ लौकिक उद्देश्य मेल नहीं खाता है तथापि जन जन में भक्ति जागरण के माध्यम से सुव्यवस्था स्थापित करने के लिए प्रउत एवं कीर्तन आंदोलन अच्छा ही रहेगा। वास्तव में विश्व शांति, प्रउत में निहित है। अतः कीर्तन का विश्व शांति अभियान प्रउत के प्रचार एवं प्रसार के बिना जन जन की समझ में नहीं आ सकता है। 
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