आनन्द मार्ग का प्रचार करने के अनेक मंच है लेकिन आनन्द मार्ग को धरातल पर स्थापित करने तीन मजबूत आधार है। जिसे परमपिता बाबा ने इरॉज (ERAWS) में सजा कर दिया है। आज हम इसी पर चर्चा करेंगे।
(1) त्राण(वेलफेयर) केन्द्र : - अन्न, वस्त्र, आवास इत्यादि भौतिक वस्तुओं से स्थायी राहत देने को वेलफेयर अथवा त्राण कहते हैं। युग के विकास की गति से जो लोग वंचित रह गए हैं अथवा पिछड़ गए हैं,उन्हें मुख्यधारा के साथ लाना तथा आनन्द मार्ग की विचारधारा का आलोक में स्थापित करने का मुख्य केन्द्र त्राण केन्द्र है। इसके लिए व्यक्ति को रोजगार देना होता है। हमारे त्राण केन्द्र वंचितों को रोजगार उपलब्ध कराने के केन्द्र है। रोजगार व जीवन मूल्यों की पहचान के लिए त्राण केन्द्रों का होना आवश्यक है। जहाँ रहकर व्यक्ति अपने युग के अनुकूल जरुरी आवश्यक को पूर्ण कर सकें। गैर जरूरी आवश्यक की ओर जा रही मन की गति को जीवन मूल्यों की ओर मोड़ना सिख सके। इसलिए त्राण केन्द्र आनन्द मार्ग की प्रथम पाठशाला है। जहाँ मनुष्य आनन्द मार्ग को जीते हैं।
(2) राहत (रिलिफ) केन्द्र - प्राकृतिक आपदा एवं युग की मार के सामने नतमस्तक हुई मानवता को सिर उठाकर आगे बढ़ाने की विधा का नाम राहत केन्द्र है। जो गिर जाता है, वह उपर उठना चाहता है लेकिन उपर उठने के लिए समाज के सहयोग की आवश्यकता है। यह सहयोग गिरे हुए व्यक्ति को राहत एवं उठाने वाले को संतोष देता है। उठाने वाले को संतोष इस बात से मिलता है कि उसकी जीवन पूंजी वास्तव में किसी के काम आई तथा गिरे हुए को इसलिए राहत मिलती है कि उसे समाज के होने का अहसास होता है। हाथ पकड़ कर किसी को उपर उठाना राहत की परिधि में तथा उसे हाथ पकड़ कर चलाना त्राण की परिधि में है। राहत एवं त्राण की इस मिलित सेवा से युग की विभीषिका के आगे कराहती मानवता को मानव होने का एहसास कराती है। इन्हें मानव होने का परिचय शिक्षा दिलाती है। इसलिए इरॉज का प्रथम बिन्दु शिक्षा रखा गया है। पुनः राहत केन्द्र की ओर चलते हैं। राहत केन्द्र आपदा काल में अभिभावक एवं संक्रमण काल में सखा बनकर साथ चलते हैं। उन्हें त्राण केन्द्र तक पहुँचाकर अपने दायित्व को त्राण केन्द्र को हस्तांतरित करते है। यह यहाँ बंधु-बांधव बनकर एक सुन्दर परिवार की रचना करते हैं।
(3) शिक्षा केन्द्र - आनन्द मार्ग को स्थापित करने का प्रवेश द्वार शिक्षा केन्द्र से होकर निकलता है। यह मनुष्य को परित्राण की ओर ले चलता है। शिक्षा वही है, जो व्यक्ति विमुक्ति की ओर ले चलती है। इसलिए आनन्द मार्ग ने शिक्षा की रूढ़ मान्यता की चीरकर के नव युग को उज्जवल भविष्य की ओर ले चलने का निर्णय लिया है। आनन्द मार्ग की नव्य मानवतावादी शिक्षा कहलाती है। जहाँ शिक्षार्थी सम्पूर्णत्व सांचे में ढ़लता है। वह जीवन उद्देश्य की ओर चलने के साथ सांसारिक जिम्मेदारी की सही पहचान करता है। आनन्द मार्ग के शिक्षा केन्द्र आधुनिक आध्यात्मिक शिक्षा के केन्द्र है। यह शिक्षा के व्यवसायिकरण से निजात दिलाकर उन्नत, रोजगारमुखी एवं सदगुणों के विकास की शिक्षा देते हैं। जब तक शिक्षा व्यक्ति को मानव होने का एहसास नहीं कराती है तब तक शिक्षा अधूरी एवं अपर्याप्त है। अतः आनन्द मार्ग के शिक्षा केन्द्र मनुष्य निर्माण के सच्चे केन्द्र है। मनुष्य निर्माण के केन्द्र ही अभाव को अपराध अथवा भीख मागने के द्वार पर नहीं अभाव में सृजन की ओर ले चलती है।
शिक्षा, राहत एवं त्राण विभाग एक साथ चलने वाली वह विधा है, जिसके बल पर आनन्द मार्ग धरातल पर मजबूती के साथ स्थापित होता है। इसलिए ठीक कहा गया है कि आनन्द मार्ग के प्रचार के अनेक मंच है परन्तु आनन्द मार्ग को स्थापित करने के मात्र तीन स्तंभ - शिक्षा, राहत एवं त्राण केन्द्र। इससे मिलकर बनता है इरॉज। आओ इरॉज के बल पर आनन्द मार्ग धरती पर स्थापित करने का संकल्प पत्र लिखते हैं।
आपका प्रियज
[श्री] आनन्द किरण "देव"
0 Comments: