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🌻[श्री] आनन्द किरण "देव"🌻
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राजनैतिक लोकतंत्र अपने आखिर पड़ाव पर है। जनता इस लोकतंत्र की दीवारें फांदकर नूतन सूर्योदय की प्रतीक्षा में है। जन आकांक्षा की नवीन एवं आधुनिक व्यवस्था का नाम आर्थिक लोकतंत्र दिया गया है। जिसे सम्पूर्ण क्रांति के नाम समझा गया है।
क्रांति शब्द आते ही लहू की नदियों का चित्र उरेखित होता है। लेकिन क्रांति के प्रति यह धारणा दकियानूसी है। क्रांति का अर्थ है आमूलचूल परिवर्तन जहाँ पुरातन कंकाल लेशमात्र ही नहीं रहे। यह सत्य है कि क्रांति में लहू बहने से को परहेज नहीं है लेकिन यह भी सत्य है कि रक्तधारा क्रांति की मंशा नहीं है। अतः हमें क्रांति की दकियानूसी धारणा से उपर उठकर सम्पूर्ण परिवर्तन का शंखनाद चाहिए।
सम्पूर्ण क्रांति का स्वरूप - व्यष्टि एवं समष्टि जीवन के सम्पूर्ण क्षेत्र में परिवर्तन ही सम्पूर्ण क्रांति शब्द का अर्थ है। समाजशास्त्रियों एवं स्मृतिकारों ने अनुसंधानकर पाया है कि व्यष्टि एवं समष्टि जगत के सम्पूर्ण क्षेत्र के मोटे रुप से तीन वर्ग भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक है। अतः सम्पूर्ण क्रांति प्रारंभिक एवं निर्णायक क्षेत्राधिकार इन तीनों क्षेत्रों में ही समाविष्ट रहता है। संस्कृत में इन्हें स्थूल, सूक्ष्म एवं कारण जगत कहा गया है। अतः सम्पूर्ण क्रांति का स्वरूप त्रिस्तरीय क्रांति है।
(१) भौतिक क्षेत्र में सम्पूर्ण क्रांति - अन्न, वस्त्र, आवास, चिकित्सा एवं शिक्षा के संबंधित विषय को भौतिक क्षेत्र कहा गया है। इस क्षेत्र में एक में क्रांति कैसे?
(i) खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर समाज - मनुष्य का जहाँ तक सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र है। वहाँ तक उसको पौष्टिक एवं सुसंतुलित आहर मिल जाए यह समष्टिगत खाद्य के क्षेत्र में क्रांति। व्यष्टि को अन्न की गारंटी देना तथा उस गारंटी की सिद्धि हो जाए ऐसी व्यवस्था देना खाद्यान्न की समग्र क्रांति है। खाद्यान्न में खाद्यपेय भी समाविष्ट है। पानी एवं अन्न की समस्या का स्थायी समाधान ही पहली क्रांति है।
(ii) वस्त्र एवं परिधान का समाधान भी एक क्रांति है - कपड़ा एवं परिधान की तृप्त की ओर व्यष्टि एवं समष्टि को ले जाना सम्पूर्ण क्रांति का दूसरा कदम है।
(iii) आवास की उपलब्धता एवं न्याय सम्पूर्ण क्रांति का तीसरा कदम - प्रत्येक व्यष्टि को समाज में रहने के योग्य वस्त्र उपलब्ध कराना आवास के क्षेत्र में क्रांति है।
(iv) चिकित्सा के क्षेत्र क्रांति - निशुल्क चिकित्सा व्यष्टि का अधिकार है। इसे उपलब्ध कराना ही सम्पूर्ण क्रांति चौथा कदम है।
(v) शिक्षा का क्षेत्र एवं भौतिक क्रांति - भौतिक जगत की समृद्धि का अंतिम कदम शिक्षा है। निशुल्क शिक्षा एवं समाज के प्रति उत्तरदायी बनाने वाली शिक्षा सम्पूर्ण क्रांति पांचवा कदम है।
भौतिक जगत में यातायात, रोजगार एवं सामाजिक सुरक्षा जैसा कोई क्षेत्र अछूता नजर आ रहा है। यह उक्त पांच क्षेत्र में गारंटी की साथ स्वत: निर्मित होने वाली व्यवस्था है। जैसे अन्न, वस्त्र शतप्रतिशत रोजगार की लक्ष्य देता है।
(२). मानसिक क्षेत्र में सम्पूर्ण क्रांति - मनुष्य के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक एवं मनोरंजन के क्षेत्र में शुचिता बनाना मानसिक अथवा बौद्धिक क्रांति का अंग है।
(i) सामाजिक क्रांति - सामाजिक कुरीतियों एवं भेदभाव जनित व्यवस्था का उन्मूलन ही सामाजिक क्रांति है। एक अखंड अविभाज्य स्वस्थ मानव समाज का निर्माण करना सामाजिक क्रांति की सम्पूर्ण रुपरेखा है। इसमें सामाजिक शोषण का स्थान नहीं है।
(ii) आर्थिक क्रांति - शतप्रतिशत रोजगार प्राप्त करना, आर्थिक शोषण से मुक्ति तथा रोटी के लिए गाँव शहर एवं घरों से पलायन को रोकना आर्थिक क्रांति का अंग है।
(iii) राजनैतिक क्षेत्र में क्रांति - सड़ी गली दूषित राजनैतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था से मुक्त होकर सुशासन की स्थापना करना ही राजनैतिक क्रांति है।
(iv) धार्मिक क्रांति - सम्प्रदाय, मजहब एवं रिलिजन की ओट में खोए समाज को सत्य, न्याय एवं आध्यात्मिक नैतिकता पर स्थापित करना धार्मिक क्रांति है।
(v) सांस्कृतिक क्रांति - कला, संगीत, नृत्य, नाट्य,काव्य, लेखन एवं भाषा में फूहड़ता, असभ्यता एवं अवांछित से मुक्त होना सांस्कृतिक क्रांति का पहला पहलू है तथा जीवन निर्माण एवं प्रगति में सहायक सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना सांस्कृतिक क्रांति द्वितीय कदम है।
(vi) बौद्धिक क्रांति - बुद्धि को सभी प्रकार की भाव प्रवणता से मुक्त कर नव्य मानवतावाद की ओर ले चलना बौद्धिक क्रांति है।
(vii) मनोरंजन क्रांति - मन को प्रगति एवं शुचिता के पथ पर ले चलना ही मनोरंजन क्रांति है। मनोरंजन के नाम अश्लीलता, व्याभिचारीता तथा अयुक्तिकर व्यवस्था को फैलाने में मुक्ति को मनोरंजन क्रांति का अवयव माना जाता है।
(३) आध्यात्मिक क्रांति - समग्र क्रांति की समृद्धि भौतिक क्रांति, ऋद्धि मानसिक क्रांति एवं सिद्धि आध्यात्मिक क्रांति है। आध्यात्मिक क्रांति का अर्थ पूर्णत्व प्राप्ति की वैज्ञानिक पद्धति पर चलना। आस्था, विश्वास एवं श्रद्धा के नाम पर विज्ञान छोड़कर अंधविश्वास में विचरण करने वाले पथ की ओर नहीं चलना आध्यात्मिक जागरुकता है तथा ब्रह्म सम्प्राप्ति व्यवहारिक पद्धति का अनुसरण करना क्रांति है।
प्रउत एवं सम्पूर्ण क्रांति विषय का सार सम्पूर्ण क्रांति में प्रउत बिठाना है। क्योंकि प्रउत ही सुव्यवस्था है तथा सुव्यवस्था ही सम्पूर्ण क्रांति है।
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