एक आदर्श राज्य - रामराज्य (An ideal state‌ - Ramrajya)

रामराज्य क्या एवं कैसे
भारतवर्ष में आदर्श राज्य की परियोजना का नाम 'रामराज्य' दिया गया है। इस परियोजना का निर्माण संभवतया महर्षि वशिष्ठ गुरुकुल के आचार्यों, तात्विकों एवं पुरोधाओं द्वारा किया गया था। जिसमें एक आदर्श व्यक्ति, आदर्श परिवार, आदर्श राज्य एवं आदर्श समाज का चित्रण गया था। उसके आधार पर नव भारतवर्ष का संगठन होना है। आज हम उसी आदर्श व्यवस्था 'रामराज्य' को समझने की कोशिश करेंगे। 

(१) रामराज्य का प्रथम संकल्प आदर्श व्यक्ति का निर्माण :- समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार में सर्वप्रथम व्यक्ति का निर्माण होता है। यद्यपि व्यक्ति की समाज में गुरुत्व भूमिका है तथापि व्यक्ति को समाज छोटी इकाई का दर्जा नहीं मिला है। क्योंकि एक व्यक्ति समाज नहीं होता है। यह भी सत्य है कि व्यक्तियों से मिलकर समाज बनता है। व्यक्ति का निर्माण आदर्श व्यवस्था की प्रथम योजना है। रामराज्य में राम को आदर्श रूप में स्थापित कर व्यक्ति के निर्माण की योजना का विकास किया गया था। यदि हमें नायक की भूमिका में रहना अथवा मिली है तो राम बनो। राम सहजता, प्रेम, मधुरता एवं महानता की प्रतिमूर्ति है। इसके अलावा यदि हमें सह नायक की भूमिका में रहना है तो पिता के रूप दशरथ, माता के रूप में कौशल्या, भाई के रूप भरत तथा पत्नी के रूप सीता के आदर्श को ग्रहण करना चाहिए। इसके अलावा आचार्य के रूप में महर्षि वशिष्ठ, मंत्री के रूप आर्यसुमन, ससूर के रूप में जनक तथा प्रजा के रूप अयोध्यावासी आदर्श नागरिक की भूमिका को आदर्श रूप में चित्रित किया गया है। इस प्रकार रामराज्य नामक परियोजना का प्रथम संकल्प व्यक्ति निर्माण है।  अतः रामराज्य नामक परियोजना कहती है कि हमारा प्रथम अभियान मनुष्य निर्माण होना चाहिए। यदि मनुष्य ही नहीं बना तो परिवार, राष्ट्र एवं समाज किसी का निर्माण नहीं हो सकता है। [Our mission is manav nirman (Man making) mission]

(२) रामराज्य का द्वितीय संकल्प आदर्श परिवार का निर्माण :- व्यक्ति का निर्माण परिवार व समाज में होता है। जबकि परिवार का निर्माण व्यक्ति के व्यक्तित्व से होता है। अतः परिवार के सभी सदस्यों को अपने व्यक्तित्व का ऐसा संगठन करना चाहिए कि परिवार सदैव एक अविभाजित इकाई के रूप में रहे। जिसको जो कर्तव्य मिला है उसे साधना, सेवा एवं त्याग की कसौटी पर रखकर स्वयं अधिक परिवार को महत्व देने की शिक्षा रामराज्य नामक परियोजना से मिलती है। परिवार एक ऐसा संगठन है जिसमें रक्तसंबंध, धर्म का संबध एवं अन्य संबंध के आधार पर अपनत्व, ममत्व तथा दायित्व पालन का स्थायी निर्माण होता है। अतः परिवार की परिभाषा किसी निश्चित शब्दावली में नहीं होती है। इसकी परिभाषा व्यक्ति की सोच एवं समझ में निहित है। किसी एक व्यक्ति के परिवार रक्तसंबंध का समूह, दूसरी के लिए रक्तसंबंध के साथ धर्म संबंध भी जुड़ जाते हैं, तीसरे के लिए परिवार कुछ बड़ा होता जिसमें उसकी आवश्यकता के लिए जो सहयोग देते हैं वह भी उनके परिवार के सदस्य समझता है तथा वृहद मानसिकता के वसुधैव कुटुबं परिवार है। परिवार का जो भी रुप हो उसमें दायित्व का प्रथम गुरुत्व दिया गया है। इसके साथ कभी भी अपनत्व एवं ममत्व को भी नहीं त्यागना है। अतः हमारा कर्तव्य है आदर्श परिवार, कुटुबं एवं गाँव का निर्माण करना। 

(३) रामराज्य में आदर्श राज्य :- रामराज्य का तीसरा संकल्प आदर्श सामाजिक आर्थिक इकाई का निर्माण करना है, जिसे रामराज्य कहा गया है। एक आत्मनिर्भर सामाजिक आर्थिक इकाई ही व्यक्ति को सुख दे सकती है। इसलिए रामराज्य परियोजना के मूल में इसे रखा गया है। यह इकाई समान आर्थिक समस्या, समान आर्थिक संभावना, भावनात्मक एकता एवं नस्लीय समानता नामक चारों स्तंभों पर खड़ी है। अतः रामराज्य की निर्माण की इस मूल को समझकर ही राष्ट्र निर्माण की साधना में लग जाना है। 

(४) रामराज्य से समाज निर्माण का संकल्प पत्र - रामराज्य नामक परियोजना के अंतिम चरण में एक अखंड अविभाज्य मानव समाज का निर्माण करना है। मानव समाज में भौगोलिक, सामाजिक, व्यवसायिक एवं अन्य कोई भी गुटबाजी है तो वह कभी भी स्वस्थ परिवेश का निर्माण नहीं होने देती है। इसलिए विश्व बंधुत्व की भावना लेकर महाविश्व निर्माण करना रामराज्य की असली समझ है। सामाजिक आर्थिक इकाइयाँ अखिल विश्व समाज निर्माण की योजना में सामाजिक आर्थिक न्याय स्थापित करता है। इसे मानवीय न्याय की परिधि में लाने के लिए समाज निर्माण का संकल्प आया है। 

[श्री] आनन्द किरण "देव"
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