मेरा भारत महान ( MERA BHARAT MAHAN)

🌻 भारतवर्ष महान कैसे?  🌻
मनुष्य का दर्शन कहता है कि विश्व का समस्त धरातल पवित्र पूण्य एवं आदरणीय है। इसको लेकर किसी भी प्रकार शुभ अशुभ का भाव सृजित करना अमान्य है। मनुष्य का जन्म जिस धरातल पर होता है, उसके प्रति प्रेम रहना स्वाभाविक है। लेकिन इसको लेकर कोई कल्ट तैयार करना अथवा उसी में बद्ध रहकर अपने मानसिक विकास को रोकना न्याय चित्त नहीं है। मैं मानव के इस महान आदर्श से परिचित हूँ तथा इसको जीता भी हूँ‌। इसलिए सम्पूर्ण धरती माता को प्रणाम कर मेरी मातृभूमि भारतवर्ष पर पनपने वाली महान विचारधारा को विश्व को समर्पित करता हूँ। मेरा देश भारतवर्ष महान है पर चर्चा करूँगा। 

महान शब्द का अर्थ है सामान्य से बहुत उपर होना है, जिसकी कल्पना भी असंभव प्रतीक हो। इस दृष्टि से व्यक्ति एवं समाज दोनों ही महान हो सकता है। किसी सामाजिक आर्थिक एवं राजनैतिक सांस्कृतिक भूभाग के परिक्षेत्र में कुछ असामान्य मूल्यों का निर्माण होना, उस भूभाग को महानता की परिधि में रख लेता है। इसी के संदर्भ भारतवर्ष की महानता को नमन करते हैं। 

भारतवर्ष की महानता को समझने की यात्रा में हमें उन आयामों पर दृष्टिपात करेंगे, जो सारे जाहन से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा कहलाता है। 

(१) राष्ट्र का प्राणधर्म- भारतवर्ष को महानता का खिताब पहनाने वाला प्रथम तथ्य भारतवर्ष का प्राणधर्म आध्यात्मिकता होना है। अर्थात यहाँ जनगणमन के जीवन उद्देश्य पूर्णत्व प्राप्ति है। जिसमें ईश्वर तत्व, सृष्टि एवं जीवन रहस्य को समझना तथा नर से नारायण बनना है। यहाँ नर शब्द का अर्थ नर, मादा एवं तृतीय लिंग सबके लिए है। भारतवर्ष के ऋषि मुनि एवं देवगण ने इस दुर्लभ कार्य को किया है तथा यहाँ के साधु संत लोगों को मुक्ति के पथ पर ले चले है। इसलिए महान कहलाए तथा उसके कारण यह देश महान कहलाता है। 

(२) राष्ट्र का पथ - भारतवर्ष का पथ साधना, सेवा एवं त्याग का है। भारतवर्ष पर जन्म लेने वाले शिशु को पालने में ही माताएँ साधना, सेवा एवं त्याग का पाठ पढ़ाया जाता था। यहाँ समाजनीति, अर्थनीति एवं राजनैतिक को इस सूत्र पर कसकर रखा जाता था। इसलिए भारतवर्ष को महान होने खिताब दिलाने वाला दूसरा तथ्य यह था। जीवन का हर कार्य ईश्वर का मानकर करना साधना का पथ दिखलाता है, निजी स्वार्थ से पहले समाज व परहित रखना सेवा को परिभाषित करता है तथा समाज व परहित में निजी हित त्यागने सबसे अग्रणीय रहना त्याग को दर्शाता है। यह भारतवर्ष की अपनी पहचान है। 

(३) राष्ट्र का मत - भारतवर्ष का मत सर्वेभवंतु सुखिनः सर्वेसन्तु निरामय है। इसलिए भारतवर्ष को महान बनने से कोई नहीं रोक पाया था। वसुधैव कुटुबकं, विश्व बंधुत्व तथा विश्व शांति के आदर्श भारतवासियों के दिलोदिमाग में स्वजन बचपन से ही बैठा देते थे। भारतवर्ष को महान कहने का तीसरा तथ्य यह है। 

(४) राष्ट्र का आचरण - भारतवर्ष अपने नागरिकों के लिए एक आचरण संहिता देता था। जिसका मूल आध्यात्मिक नैतिकता होता था। इसके साथ व्यक्ति के पास जितना बड़ा दायित्व होता था उतनी प्रबल आचरण संहिता होती थी। इसलिए तो इस भूमि मानव को देव बनाया था। हमारे राष्ट्रीय आंदोलन में सत्य, अहिंसा इत्यादि आदर्श का संगठन हुआ था तथा व्यक्ति से आध्यात्मिक की ओर चलने की आश की थी लेकिन नैतिकता का संगठन आध्यात्मिक पर आधारित नहीं होने के कारण शीघ्र ही नेतृत्व राष्ट्र निर्माण के मूल को भूल गया। अतः भारतवर्ष की महानता का चौथा सूत्र आध्यात्मिक नैतिकता युक्त आचरण संहिता है। 

(५) राष्ट्र का चिन्तन - भारतवर्ष के महान होने का प्रमुख कारण अर्थव्यवस्था के संगठन में प्रगतिशील उपयोग तत्व, समाज में भेद रहित एकत्व तथा राजनैतिक में आदर्श मूल्य होना निहित है। यदि हम राष्ट्र को भेद रहित समाज, प्रगतिशील उपयोग तत्व मूलक अर्थव्यवस्था तथा आदर्श मूल्यों से विभूषित नहीं कर सकते हैं तो महानता का यह पांचव तथ्य छोड़ देते हैं।

(६) राष्ट्र की सोच - मेरा भारतवर्ष महान मत बनने में छठा तथ्य भारतवर्ष की सोच में नव्य मानवतावाद का‌ दर्शन होना है। जातिगत, साम्प्रदायिक, क्षेत्रवाद एवं गुटवादी सोच भारतवर्ष की अपनी कदापि नहीं है। यह प्रदूषण भारतवर्ष में आना शोध का विषय है। अतः इस प्रकार के सामाजिक प्रदूषण से मुक्त भारतवर्ष ही महान है। 

(७) राष्ट्र की अवधारणा - भारतवर्ष के महान का अन्तिम एवं प्रथम सूत्र राष्ट्र अवधारणा का आनन्द मार्ग ही होना है। यहाँ के नागरिक आनन्द मार्ग पर चलते थे, कार्य को पूजा मानकर आनन्द के साथ करते थे तथा उसमें अनन्त देखने का आनन्द लेते थे। इससे बड़ा लक्षण भारतवर्ष के प्रत्येक जन का मार्ग सत्यम् शिवम् सुन्दरम् था। सत्य से आना, शिवत्व में रहना तथा सुन्दर बन जाना था। यही तो आनन्द मार्ग है जो कहता आनन्द से आये हो क्यों आनन्द ही सत्य है, आनन्द में विचरण करना तथा आनन्द में विलिन होना है। आनन्द मार्ग को कसकर पकड़ो भारत महान मिलेगा। 

आओ भारत महान बनाते हैं। एक अखंड अविभाज्य वैश्विक मानव समाज बनाते हैं। 
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श्री आनन्द किरण "देव"
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