गणेश एवं शिव परिवार (Ganesh and Shiva family)

   
भारतवर्ष में भाद्र शुक्ल चतुर्थ को गणेशोत्सव मनाया जाता है। जिनकी भी इस पर्व आस्था एवं विश्वास है। मैं उनको शुभकामना देता हूँ। गणेश शब्द का अर्थ गण के ईश्वर है अथवा गण के अधिपति गणपति है। अन्य अर्थ में विशेष नायक इति विनायक भी कहा जाता है। 

गण व्यवस्था भगवान सदाशिव द्वारा प्रतिपादित एक सामाजिक आर्थिक प्रशासनिक व्यवस्था थी। संभवतया यह विश्व की प्रथम विस्तृत एवं सुव्यवस्थित प्रशासनिक व्यवस्था थी। भगवान सदाशिव ने धर्म प्रचार एवं समाज संगठन के लिए इस व्यवस्था का सूत्रपात किया था। उन्होंने तात्कालिक पृथ्वी को विभिन्न गणों में विभाजित किया था। 

उनके अधिपति अथवा प्रमुख को गणपति कहा जाता था। यह व्यवस्था शिव केन्द्रित तथा शिव प्रदत्त होने के कारण इनके गणपति शिव के मानस पुत्र के नाम ख्याति प्राप्त किया। एक शोध के अनुसार भारतवर्ष में एक सामाजिक ऋषि गोत्र व्यवस्था भी थी। इस व्यवस्था में जनगोष्ठी का दूसरी जनगोष्ठी से कोई सीधा संबंध नहीं था। यह आपस में लड़ते रहते थे। भगवान सदाशिव ने प्रथम बार इन जनगोष्ठियों को एकता के सूत्र में पिरोने का बीड़ा उठाया था। उनके इस महान अभियान में साथ देने वाले टीम शिव के गण के नाम से जानी जाती थी। इस सृष्टि पर मानव जाति को एकता के सूत्र में पिरोने वाली प्रथम व्यवस्था का नाम ही गण व्यवस्था था। सदाशिव के जाने के बाद काफी समय तक यह व्यवस्था चलती रही। लेकिन सुदृढ़ केन्द्रीय व्यवस्था के अभाव में यह गण व्यवस्था भारतवर्ष को एकता के सूत्र में स्थायी बांधकर नहीं रख पाई। अतः अपने क्षेत्र में सामाजिक आर्थिक गणराज्य काम करते दिखाई देते थे। इस प्रकार विश्रृंखलित भारतवर्ष को एकता के सूत्र में पिरोने के नये अभियान राजतांत्रिक व्यवस्था कहा गया। जहाँ गणतंत्र में लोकतांत्रिक सामूहिक नेतृत्व था, वही राजतंत्र में वंशानुगत एकल नेतृत्व था। इस प्रकार गण व्यवस्था फिकी पड़ गई तथा उसके स्थान पर राजतांत्रिक व्यवस्था मजबूत हो गई। राजतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना के बाद भी लोगों के मनोमस्तिष्क में गण व्यवस्था के आदर्श स्थापित थे। वे आशा लगाए हुए थे कि एक दिन गण व्यवस्था पुनः स्थापित होगी। इस प्रकार सामाजिक आर्थिक व्यवस्था को मनुष्य ने धार्मिक व्यवस्था मानकर गणपति की पूजा प्रचलित की। इस प्रकार एक पथ्थर के गणपति की स्थापना कर अपनी खैरियत एवं रिद्धि सिद्धि की कामना करते थे। धीरे धीरे गणपति को लेकर कथा कहानियों का प्रचलन हुआ तथा गणपति एक धार्मिक देवता बन गए। यहाँ एक बात स्मरण रखनी होगी कि गण व्यवस्था के जो अवशेष बसे थे। वे जंगलों में कबीलों के रूप में थे। यह लोग हाथी पकड़ने तथा पालन का कार्य करते थे। छोटे बड़े राज्यों को हाथियों की आपूर्ति यह लोग ही करते थे। उड़ीसा में तो राजा को गजपति भी कहते थे। इस प्रकार गणपति को गजमुख वाले देवता के रूप में चित्रित किया गया। कालांतर में जब मूर्तिकला एवं चित्रकला का विकास हुआ तब गणेश के चित्र हाथी मुख वाले देवता के रूप में मूर्ति व चित्र बनने लगे। 

गण व्यवस्था - गण व्यवस्था में एक संगठित राज्य को गण कहा जाता था। उसका अधिपति गणपति कहलाता था। कालांतर यह गजपति अथवा मुखिया भी कहलाने लगा। इन गणराज्यों को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया जाता था। वहाँ प्रशासक को क्षेत्रप अथवा क्षेत्रपाल कहा जाता था। आधुनिक व्यवस्था से तुलना करे तो गणपति राष्ट्रपति तथा क्षेत्रपाल राज्यपाल के सदृश्य थे। इस बाद भुक्ति, जनपद, पंचायत एवं ग्राम में व्यवस्था विभाजित थी। 

शिव परिवार - भगवान सदाशिव मानव सृष्टि के आदि पिता है। इसलिए सारा जहान शिव का परिवार सभी लोग शिव के पुत्र पुत्रियाँ है। फिर भी लौकिक दृष्टि से नमो शिवाय शांताय बताती है कि शिव ने तीन शादियाँ की थी। शिव की प्रथम शादी आर्य कन्या पार्वती से हुई थी। जिससे भैरव नामक पुत्र का जन्म हुआ था। द्वितीय शादी आस्ट्रिक कन्या काली से हुई, जिससे भैरवी नाम पुत्री उत्पन्न हुई थी। शिव की तृतीय पत्नी का नाम मंगोल कन्या गंगा था। उनके पुत्र का नाम कार्तिकेय था। इस प्रकार शिव, उनकी तीनों पत्नियाँ क्रमशः पार्वती, काली एवं गंगा तथा उनकी संतान भैरव, भैरवी तथा कार्तिकेय शिव परिवार था। उनका वाहन यार्क नंदी तथा उनके गण भी शिव के वृहद परिवार के सदस्य ही थे। इनके पालक पिता सदाशिव ही थे। इस प्रकार गणपति शिव के पुत्र कहलाए। 
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       श्री आनन्द किरण "देव"
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पाठक विषय को गंभीरता से समझना चाहता है तो भगवान श्री श्री आनन्दमूर्ति जी कृत पुस्तक नमो शिवाय शांताय पढ़े तथा शिव, शिव से संबंधित जानकारी, देवी देवताओं की जानकारी एवं शिव के अवदान से परिचित हो। 

एक बार फिर गणेश जी प्रति आस्थावान परिवार को गणपति बप्पा के उत्सव की शुभकामनाएं। 
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