बचपन में पंचतंत्र की एक कहानी पढ़ी थी कि एक सियार किसी रंग भरे पात्र में गिर जाने के कारण जंगल के सभी जानवरों को अजीब जानवर दिखाई दिया। जिसके चलते एक अजीबोगरीब लहर चल पड़ी एवं रंगा सियार को जानवरों ने अपना राजा बना दिया। चारों ओर रंगा सियार के काल्पनिक किस्से कहानियों चल पड़ी। उनके दल वालों ने तो उसे भगवान, चमत्कारी पुरुष न जाने किन किन उपाधियों से अलंकृत कर दिया। रंगा सियार जहाँ भी जाता था उसके नाम हूटींग होती थी। यह अधिकांश प्रायोजित होती थी, कभी कभार स्वाभाविक भी होती थी। एक दिन जंगल के सभी सियार चिल्लाने लगे, अपनी बिरादरी की आवाज सुनकर रंगा सियार अपने मूल स्वभाव में आ गया तथा अपने तख्त पर बैठा बैठा ही रंगा सियार चिल्लाने लग गया। उसकी आवाज सुनकर जानवरों ने उसे पहचान लिया तथा एक विद्रोह हुआ। विद्रोही ही हूँकार के आगे ही रंगा सियार डुमडबाकर भाग गया। उन दिनों यह कहानी मनोरंजनात्मक लग रही थी लेकिन लोकतंत्र में सत्ता के गिरगिटों को देखकर लगता है कि आज भी रंगा सियार जिन्दें है तथा हजारों योग्यों पर एक बहुरुपिया अयोग्य राज कर देता है। जिसको राजनीति का र, अर्थव्यवस्था का अ, समाजशास्त्र का स तथा धर्म का ध नहीं आता वह भी बड़े भाषण देकर अपनी माया में जनता को लपेट लेता है। आखिर लोकतंत्र में यह क्या होता है?
"योग्यता उपवास करती है तथा अयोग्यता को दावत दी जाती है।"
आजकल तो नेताओं का फेस मेकिंग होता है राज नेताओं को कुछ नहीं करना पड़ता है। कैमरे के पीछे बैठा इवेंट मैनेजमेंट पुरी स्क्रिप्ट लिख देता है। नेता मात्र उस स्क्रिप्ट को पढ़कर हवाई नेता बन जाते हैं। पुराणों में पढ़ा है कि देवता, दैत्य एवं वानर इत्यादि पात्र उड़ना जानते थे लेकिन मनुष्य उड़ान नहीं जानता था इसलिए कोई मसिहा आकर मनुष्य धर्म के नाम पर मजहब, सम्प्रदाय एवं रिलिजन थमाकर चला जाता है। अनुयायी इनकी काल्पनिक बातों धर्म के नाम लड़कर शैतान बन जाते है। आज मुझे अचानक मेरे बचपन के साथी ने रंगा सियार की कहानी याद दिला दी। यह लेखक मन रंगा सियार में लोकतंत्र की राजनीति का खेल देखने निकल पड़ा।
रंगा सियार कहानी का एक पात्र है। सियार पशुओं की एक प्रजाति है। मैं जातिवाद को नहीं मानता हूँ इसलिए जातिगत भेद पर आधारित अथवा जन्मगत परिस्थितियों के कारण किसी को रंगा सियार की उपाधि देने पक्ष में नहीं हूँ। यह रंगा सियार नामक शब्द अयोग्य, अनजान एवं नादान की राजनीति का प्रतीक चिन्ह है। मंत्री वह है - जिसमें मंत्रणा करने की ताकत है तथा भाषा, विचार एवं व्यवहार में शालीनता हो। उनका हर कर्म सर्वजन हित एवं सुख में समर्पित हो।
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करण सिंह
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