आध्यात्मिक रामायण (Spiritual Ramayana)

रामायण का नया रूप - आध्यात्मिक रामायण
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श्री आनन्द किरण "देव"
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आज आध्यात्मिक रामायण लिखने जा रहा हूँ। यह आलेख मेरी पुस्तक रामायण में ब्रह्म विज्ञान के सारांश के रूप में लिखा जा रहा है। रामायण श्रीराम की अयोध्या से लंका तथा लंका से पुनः अयोध्या आगमन का यात्रा वृतांत है। इस यात्रा के 14 वर्ष की अवधि में दिखाया है। आध्यात्मिक जगत में मानष शरीर में सहस्त्राचक्र से मूलाधार तक सात चक्रों का अलेख है। इस प्रकार 7+7 = 14, यदि एक चक्र एक वर्ष कहा जाए तो चौदह वर्ष हो जाते हैं। सहस्त्राचक्र को‌ अयोध्या तथा मूलाधार को लंका माना गया है। अयोध्या का मतलब अ + योध्य + आ है। योध्य का मतलब युद्ध द्वारा जय किया जाने वाला क्षेत्र, आ लगने से स्त्रिलिंग शब्द नगरी हो जाता है। अर्थात अयोध्या का मतलब वह नगरी जिसे साधना समर‌ द्वारा जयी नहीं किया जा सकता है। वह सहस्त्राचक्र है, जो साधना  द्वारा नहीं तारक ब्रह्म की कृपा से नियंत्रित होता है। आज्ञा चक्र पंचवटी है, जो पांचों तत्व का नियंत्रक बिन्दु है। विशुद्ध चक्र शब्द तंमात्रा वहन करने वाले आकाश तत्व का धारक है, जो शबरी का प्रतीक है। अनाहत चक्र पवन का प्रतीक हनुमान, अग्नि ऊर्जा का वाहक मणिपुर चक्र बालि सुग्रीव की नगरी किष्किन्धा, रामसेतू जल तत्व का धारक स्वाधिष्ठान चक्र  तथा सोने की लं से लंका मूलाधार वाला पृथ्वी तत्व है। हमारे शरीर के यह सप्तचक्र है। इसके अलावा नासिक अर्थात नासिका में स्थित ललना चक्र चित्रकूट एवं भरत मिलाप स्थली गुरुचक्र है। इन दोनों को सप्तचक्र की गिनती से पृथक रखा गया है। यद्यपि इन दोनों का साधना में महत्व है। निषादराज का क्षेत्र अयोध्या की परिधि में है। 

अब श्रीराम की अयोध्या से लंका तक की यात्रा रामायण का प्रथम पहलू वनवास कहलाता है। इसमें श्रीराम दक्षिण दिशा में अर्थात शरीर के निम्न भाग में गमन करते हैं। वन का अर्थ पेड़ पौधों का झुरमुट है। अर्थात चैतन्य से दूर की प्रदेश है। श्रीराम सकल धनात्मक शिव भाव  तथा सीता सकल ऋणात्मक जीव भाव कुल कुंडलीनी शक्ति है। लक्ष्मण सदैव लक्ष्य में मन रखने वाला सदैव लक्ष्य के साथ संयुक्त रहने वाला भक्त मन है। दशरथ तथा तीनों रानियाँ त्रिगुण युक्त प्रकृति एवं साक्षी पुरुष का प्रतीक है। भरत व शत्रुघ्न भी विशेष प्रकार के साधकों के प्रतीक है। वशिष्ठ आध्यात्मिक गुरु हैं, जो सदगुरु का प्रतीक है। रावण अंधकार का प्रतीक है। मेधनाथ, कुंभकर्ण इत्यादि रात सदृश्य रावण की शक्तियां है। विभीषण का अर्थ बुराई को सतपथ की राय देने वाले न्याय धर्म का साथी घर का भेदी अर्थात शरीर मन प्रदेश के रहस्य का ज्ञाता है। 

लंका से अयोध्या की यात्रा का साथी पुष्पक विमान साधना है। स्वास प्रवास पुष्पक विमान का पायलट हनुमान है। यह सैद्धांतिक पक्ष नहीं होने के कारण अधिक वर्णन नहीं मिलता है। व्यवहारिक पक्ष होने के कारण गुरु के अधिकार क्षेत्र में है। 
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