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करण सिंह की कलम से
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नरेंद्र मोदी युग अब उत्तरायण को है। उनका आगमन एक रॉक स्टार की तरह हुआ था। उन्हें भारत के उद्धारक के रुप में पेश किया था तथा उनके हाथों में गुजरात का विकास मॉडल था। भारतीय जनता ने उन्हें अपना मसीहा मानकर भरपूर समर्थन दिया एवं राजनीति के सभी धुरंधरों को चारो खाने चित्त करके उन्हें भारत के राज सिंहासन पर बिठाया। उनके राजगद्दी पर आता देख बताया गया कि चीन की फौजें पीछे हट गई। यह संयोग था अथवा प्रायोजित ईवेंट, यह तो शोधकर्ताओं के खोज की विषय वस्तु है। भव्य शपथ ग्रहण समारोह, पीएमओ की विजिट तथा संसद भवन को नतमस्तक आदि ईवेंट भारतीय जनमानस पर अमिट छाप छोड़ रहे थे। मीडिया, विचारक एवं कवियों ने भी उनके कसीदे पढ़ना आरंभ कर दिया। विरोध का जो स्वर राजनैतिक मंचों से आ रहे थे, वे भी इस तथाकथित महायोद्धा के समक्ष निस्तेज हो रहे थे। राज्यों की सरकारें ऐसे बदल रही थीं मानो सूर्य के आने पर रात्रि दिन में बदल जाती है। राजनैतिक जगत में हाहाकार मचा हुआ था कि मोदी के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा कौन रोकेगा? किसी को कुछ भी सूझ नहीं रहा था। लोकसभा चुनाव से पूर्व मानसिंह के हाथी पर चेतक लेकर केजरीवाल महाराणा प्रताप बनकर चढ़ते हुए गुजरात विकास मॉडल देखने गांधीनगर के राजभवन कूच कर दिया। सारी राजनैतिक कलाबाज़ी के बावजूद दिल्ली के लोकसभा की सातों की सातों सीट भाजपा के खाते में चली गई। केजरीवाल घायल होकर रणभूमि पर पड़े नज़र आ रहे थे। लेकिन इस योद्धा ने मानो अश्वमेघ का विजयी घोड़ा पकड़ने की ठान ही ली थी। 2014 में प्रचंड बहुमत से दिल्ली की गद्दी पर सवार हुये मोदी के रथ को दिल्ली विधानसभा के 2015 के मध्यावधि चुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों को धूल चटाकर मोदी का विजय रथ रोकने में पहली बार कामयाबी मिली। इस प्रकार मोदी युग धीरे धीरे आगे बढ़ता गया है। अब वह समय नजदीक आ गया है कि मोदी युग उत्तरायण की ओर बढ़ता सा दिख रहा है। इसलिए मोदी सरकार की रिपोर्ट कार्ड तैयार करने की एक कोशिश की है।
विश्व शक्ति की ओर बढ़ता भारत एवं मोदी की भूमिका
भारत नेहरू युग से ही अपना प्रभाव विश्व मंच पर दिखाता आया है। धीरे धीरे यह पकड़ मजबूत होती गई। भारत ने सयुंक्त राष्ट्र संघ की स्थायी सदस्यता की दावेदारी कर, विश्व शक्ति बनने की ओर बढ़ रहे भारत की नब्ज पकड़ कर मोदी ने अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश की। भाजपा के प्रचार तंत्र एवं मीडिया मैनेजमेंट के बल पर मोदी को विश्व के ताकतवर नेता के रुप में भारतीय राजनीति में स्थापित करने का प्रयास किया गया।
आर्थिक ताकत के रूप में भारत एवं मोदी युग की भूमिका
नेहरू ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दिलाने के लिए औद्योगिक विकास प्रधान अर्थव्यवस्था का स्वरूप दिया जो मिश्रित अर्थव्यवस्था के रुप में समाजवाद एवं पूंजीवाद को साथ लेते हुए लोककल्याण राज्य की ओर बढ़ती गई। मनमोहन सिंह के प्रयास और आर्थिक खुलेपन की नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था में नई चेतना का संचार किया। मोदी ने उदारीकरण के नब्ज को पकड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था का पूर्ण पूंजीवादीकरण कर दिया। भारत में निवेशकों तथा अन्य राष्ट्रों में भारतीय निवेशकों की साझेदारी के बल पर भारत को जी 20 की अध्यक्षता मिल गई। मोदीजी का प्रचार तंत्र एवं मीडिया उन्हें विश्व सम्राट की तरह पेश कर मोदी को भारत का भाग्य निर्माता बनाने की कोशिश की।
राष्ट्रीय सुरक्षा एवं मोदी युग
राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भारत सदैव सतर्क रहा है। कभी कठोर तो कभी उदारवादी रुख वाली रक्षा नीति चल रही थी। मोदी ने इसमें कठोरता को चुनकर अपने को भारत का चौकीदार घोषित कर दिया। चीन, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान इत्यादि देशों के रुख में कोई खास परिवर्तन नहीं दिखाई दे रहा है। न ही ये राष्ट्र भारतीय खौफ से भयभीत नजर आ रहे हैं। लेकिन प्रचार तंत्र ने यह माहौल अवश्य बना रखा है कि देश सुरक्षित हाथों में है।
सकल घरेलू उत्पाद एवं मोदी युग
मोदी युग का सबसे कमज़ोर पहलू यह क्षेत्र रहा है। इसमें गिरावट देश को कर्जदार बनाती ही जा रही है। इसको लेकर मोदी जी को लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
रोजगार क्षेत्र एवं मोदी युग
यह क्षेत्र दयनीय स्थिति में है। मोदी युग में इस क्षेत्र में भंयकर कमी देखने को मिल रही है। मोदी का प्रचार तंत्र लगातार विकास का ढोल पीट रहा है लेकिन सभी आंकड़े और आर्थिक विशेषज्ञ इस तथाकथित विकास को 'जाबलेस ग्रोथ' घोषित लिया हुआ है। कम होते सरकारी नौकरी के अवसर एवं स्वरोजगार की धीमी गति, युवाओं को जबरन निजी क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर कर रहा है।
सामाजिक विषमता, समता एवं मोदी युग
भारत के आजादी के बाद मोदी युग सबसे अधिक सामाजिक कटुता एवं टकराव का युग रहा है। समाज विभिन्न ध्रुवों में बंटता जा रहा है। एक वर्ग, दूसरे वर्ग को अपना शत्रु मानकर एक दूसरे के प्राण लेने पर आमादा है।
धार्मिक क्षेत्र एवं मोदी युग
इससे क्षेत्र में धर्म निरपेक्षता अब धीरे धीरे हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ रही है। अन्य मजहबों के प्रति भरा जा रहा जहर विस्फोट बनता है अथवा अधीनता में बांधता है, यह आने वाला समय ही बताएगा।
मोदी युग की उपलब्धियां एवं मूल्यांकन
मोदी युग में कश्मीर में धारा 370 हटाना, राम मन्दिर का फैसला, GST एवं नोटबंदी इत्यादि बहुत चर्चित निर्णय रहे हैं। इनमें से सबसे अधिक तारीफ कश्मीर समस्या पर कठोर रुख की की जा सकती है। राम मन्दिर का फैसला सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से आया है, इसलिए सराहनीय ही है। समीक्षा के प्रश्न विचार मात्र है। GST एवं नोटबंदी भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती नहीं दे पा रहे हैं।
आत्मनिर्भर भारत एवं मोदी युग
भारतीय इतिहास की यह अब तक की सबसे अच्छी परिकल्पना है, इसलिए तारीफ की जा सकती है। लेकिन इस परिकल्पना की आत्मा बहुत कमज़ोर है, जो भटकती आत्मा बनती जा रही है। आत्मनिर्भर भारत की आत्मा विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था है लेकिन यह केन्द्रीकरण एवं पूंजीवाद पर सवार होकर अर्थव्यवस्था के भारतीयकरण की कल्पना को शर्मिंदा कर रही है।
लोकतंत्र एवं मोदी युग
भयमुक्त देश लोकतंत्र का संदेश है। संवैधानिक संस्थायें डर या नियंत्रण के आगोश में है। विपक्ष भयभीत है। जनता भी भयमुक्त नहीं महसूस कर रही है। विचार स्वतंत्र से निकल ओटे लेते घूम रहे है। सत्ता पक्ष के सांसद एवं मंत्रियों के कार्य मोदी के प्रभाव अदृश्य हैं। इनके हर भाषण में देश एवं संसदीय क्षेत्र कम मोदी अधिक आते हैं। इसे कमज़ोर लोकतंत्र कहा जाए अथवा मजबूत, यह तो लोकतंत्र के प्रहरी ही बता सकते हैं।
उपसंहार
मोदी युग सबसे अच्छा दिखाया जा है लेकिन वास्तविकता में यह उसी लकीर का फकीर हैं, जिस पर नेहरू जी भारत को ले गए थे। उसमें परिवर्तन हिन्दू मुस्लिम की राजनीति की खाईं मजबूत हो रही है। सर्वें भवन्तु सुखिनः भारत की थीम लिखने में कमज़ोर पदचाप ही है। विश्व गुरु एवं महान भारत का स्वपन अब तक दिवास्वप्न ही लग रहा है।
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