राजनीति‌ : सेवा‌‌ अथवा कॅरिअर(Politics: Service or Career)

 

राजनीति शब्द का अर्थ‌ - "जिस नीति से राज्य की‌ व्यवस्था चलती‌ है, उसे राजनीति कहते हैं।" वर्तमान युग में राज्य संचालन की सर्वोत्तम व्यवस्था लोकतंत्र है। लोकतंत्र शाब्दिक तौर पर‌ जनता का, जनता‌ के लिए एवं जनता के द्वारा चलाया जाने वाला शासन है। वास्तव में लोकतंत्र को जनता का शासन कहना कुछ संदेहास्पद है। जहाँ जनता बेहाल तथा जन प्रतिनिधि मालामाल हो, उस शासन व्यवस्था को जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए कहना हास्यास्पद है। इस बेहाल लोकतंत्र में राजनीति अपने मूल अर्थ से हटकर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का स्वरूप बनकर रह गई है। इसलिए आज के परिपेक्ष्य में राजनीति‌ सेवा अथवा कॅरिअर (career) विषय मुझे सबसे अधिक प्रासंगिक लगता है। 

सेवा शब्द निष्काम भाव से परहित के लिए किये गये कार्य के रुप में परिभाषित किया जाता है। जबकि कॅरिअर (career) शब्द सकाम भाव जीवन जीने का पथ है। राज्य अथवा राष्ट्र की व्यवस्था चलाने के लिए राजनीति कुछ प्रशासनिक व्यवस्था देता है। उस व्यवस्था के लिए लोकतंत्र अपने प्रतिभागी‌ को अधिक मत प्राप्त व्यक्ति‌ के रूप में चुनती है। यद्यपि शासन की बागडोर के लिए बहुमत शब्द का उल्लेख होता है लेकिन प्रतिनिधि के लिए विद्यमान प्रतिभागियों में सर्वाधिक मत‌‌‌‌‌ से है, जो कभी कभी 50% +1 से कम‌‌‌ भी हो सकता है। अत: जनप्रतिनिधि को जनमत कहना सर्वथा अनुचित है। यदि प्रथम दृष्टि में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सांसद व‌ विधायक बनना व्यक्ति का कॅरिअर (career) है। इसे सेवा कहना सर्वथा अनुचित है। 

आज की राजनीति व्यक्ति के लिए कॅरिअर (career) तथा राज्य के लिए एक व्यवस्था है। कॅरिअर (career) शब्द को आजीविका व जीविका के अर्थ में लिया जाता है। आजीविका शब्द का अर्थ व्यक्ति के द्वारा जीवन निर्वाह के लिए किया गया कार्य है, जिसमें स्वरोजगार, नौकरी एवं मजदूरी है। वहीं जीविका का अर्थ जीवन निर्वाह के साथ आर्थिक क्षेत्र में उन्नति‌ भी है। लेकिन कॅरिअर (career) शब्द व्यक्ति भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति में निहित है। अत: राजनीति को व्यक्ति का कॅरिअर (career)‌ कहने की बजाए आजीविका एवं जीविका कहना अधिक उचित है। यहाँ व्यक्ति को आजीविका मिलती है तथा भौतिक उन्नति होती है। अत: राजनीति राजनेता की जीविका है। राजनीति में रहकर व्यक्ति की भौतिक उन्नति के साथ थोड़ी मानसिक समझ विकसित कर लेता है लेकिन मानसिक उन्नति अथवा आध्यात्मिक उन्नति का कोई प्रावधान नहीं है। अब प्रमाणित होता है। अत: वस्तुतः राजनीति न सेवा है तथा न ही कॅरिअर (career)‌ है। राजनीति राजनेता के लिए जीविका मात्र बनकर रह गई है। वास्तव में राजनीति राजनेता की जीविका ही नहीं उनका व्यवसाय है। 

व्यवसाय शब्द का अर्थ‌ है - व्यक्ति द्वारा लाभ के प्रयोजन के लिये किया गया कार्य है। राजनेता राजनीति को अपने हित का साधन मानते हैं, उनके द्वारा जनसेवा, जनसमस्या का निवारण के लिए किया गया कार्य मात्र अपनी व्यक्तिगत आकांक्षा की पूर्ति है। अत: राजनीति राजनेता का व्यवसाय है। अत: राजनेताओं के लिए राजनीतिजीवि शब्द‌ का प्रयोग करना अधिक उचित है। राजनीतिजीवि एक व्यष्टि राजनैतिक व्यवसाय के लिए जीता है। उसका हर कार्यकलाप में राजनैतिक व्यवसाय निहित होता है। 

आजकल राजनीति व्यवसाय का घृणित स्वरूप कमीशन खाेरी, रिश्वतखोरी एवं भ्रष्टाचार हो गया है। जो व्यवसाय शब्द को भी पीछे छोड़ देता है। अनुचित एवं अवांछित मार्ग से स्वयं का हित साधने का नाम कदाचित राजनीति रह गया है। यद्यपि ज्ञात रुप इसे कोई स्वीकार नहीं करता है परन्तु अज्ञात रुप से निजी हित साधने का साधन राजनीति रह गया है। यह सर्वथा राजनीति का गलत अर्थ है। राजनीतिजीवियों का यह कृत्य निंदनीय है। 

राजनीति सेवा के नाम पर की जाती है कॅरिअर (career) निर्माण की ओर बढ़ते हुए आजीविका व जीविका में होती हुई व्यवसाय बन जाती‌‌ है तथा अवांछित रास्ते पर बढ़ जाती है। अत: राजनीति को सेवा के रूप में दिखाना जनमानस के साथ किया गया छल है।

राजनीति : सेवा अथवा कॅरिअर (career) दोनों ही नहीं रह गया है। राजनीति गंदगी की ओर चली गई है। इसलिए जनमानस राजनीति को गंदी राजनीति कहता है। राजनेता को समाज एवं राष्ट्र हित में कुपथ छोड़कर सुपथ‌‌ की ओर चलना चाहिए। राजनीति को सेवा एवं कॅरिअर (career) दोनों ही बनाना चाहिए।
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करण‌‌‌ सिंह की कलम से
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