आओ मिलकर प्रभात संगीत गाते है

आओ मिलकर प्रभात संगीत गाते है। 
फिर से नये युग का निर्माण करते हैं।। 

जातपात की तस्वीर को ही मिटा देते हैं। 
एक मानव समाज की स्थापना करते हैं।। 
अमीरी गरीबी के भेद को समूल नष्ट करते हैं।। 
प्रउत अर्थव्यवस्था का बीजारोपण करते हैं। 
आओ मिलकर प्रभात संगीत गाते है। 
फिर से नये युग का निर्माण करते हैं।। 

आध्यात्मिक नैतिकता की ज्योति जलाते हैं। 
यम नियम में प्रतिष्ठित इंसान का निर्माण करते हैं।। 
नव्य मानवतावाद की अलख जगाते है। 
साम्प्रदायिकता के  रोग को दूर भगाते है।। 
आओ मिलकर प्रभात संगीत गाते है। 
फिर से नये युग का निर्माण करते हैं।। 

साधना, सेवा एवं त्याग को आदर्श बनाते हैं। 
आनन्द मार्ग पर चले ऐसा जीवन बनाते हैं।। 
षोडश विधि में दृढ़ सच्चे सेनानी बनाते हैं।
पंचदश शील को हमारा जीवन व्रत बनाते हैं।। 
आओ मिलकर प्रभात संगीत गाते है। 
फिर से नये युग का निर्माण करते हैं।। 

गाँव-ढाणी-नगर में खुशहाली फैले ऐसा समाज बनाते हैं। 
रोटी के लिए गाँव न त्यागना पड़े ऐसा संसार बनाते है।। 
समाज को लहूलुहान करने वाली कुव्यवस्था मिटाते है। 
सर्वजन हित सर्वजन सुख की
सुव्यवस्था लाते हैं। 
आओ मिलकर प्रभात संगीत गाते है। 
फिर से नये युग का निर्माण करते हैं।। 

नव चेतना के नूतन सवेरे का आगाज करते हैं। 
अच्छे एवं सच्चे दिन का नित दिदार करते हैं।। 
सर्वेभवंतु सुखिनः की वाणी का अनवरत श्रवण करते हैं। 
सम्पूर्ण धरती को आनन्दधाम बनाने का काम करते हैं।। 
आओ मिलकर प्रभात संगीत गाते है। 
फिर से नये युग का निर्माण करते हैं।। 

आनन्द युग का आह्वान करते हैं। 
हर जीवन आनन्द रेखा बने ऐसा एहसास करते हैं।। 
आनन्द किरण का अवतरण करते हैं। 
आनन्द ज्योति को हर दिल में जलाते हैं।। 
आओ मिलकर प्रभात संगीत गाते है। 
फिर से नये युग का निर्माण करते हैं।। 
कविराज - श्री आनन्द किरण "देव"
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