(59 समाज का एक प्रोजेक्ट)
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आज हम सर्व समाज समिति (भारतवर्ष) के संदर्भ में चर्चा करेंगे। भारतवर्ष 59 समाज का एक सांस्कृतिक संघ है। जिसमें भारत के 35 समाज, भारत के साथ पडौसी देश के 9 समाज, नेपाल के 9 समाज, पाकिस्तान के 2 समाज, पीओके के 2 समाज, भूटान का 1 समाज एवं श्रीलंका का 1 समाज उक्त राष्ट्रीय सरकारों के राजनैतिक नियंत्रण में है। भारतीय सीमाओं के भीतर स्थित अधिकांश समाज एकाधिक राज्यों की प्रशासनिक सीमाओं में है। ठीक यही दृश्य पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका में भी देखा जा सकता है कि एक प्रांत में एकाधिक, समाज के क्षेत्र है। मैं आशा करता हूँ कि राज्यों एवं देशों की सीमा के राजनैतिक समीकरण संतुलित होंगे तथा भारतवर्ष की 59 सामाजिक आर्थिक इकाइयों का एक सयुंक्त राजनैतिक हस्ताक्षर कहलाएगा। यद्यपि भारतवर्ष विभिन्न संस्कृतियओं का एक साझा स्वरुप है तथापि भारतीय संस्कृति के कुछ उभयनिष्ठ पहलू सभी 59 समाज में दिखाई देते है। सांस्कृतिक दृष्टि से एकिकृत भारतवर्ष के समग्र व चहुंमुखी विकास के लिए 59 सामाजिक आर्थिक इकाई की योजना प्रगतिशील समाज के सूचक है। विश्व के संतुलित विकास के लिए बनाई सामाजिक आर्थिक इकाई(जोन), समाज विज्ञान की एक नई खोज है, जो एक अखंड व अविभाज्य मानव की रचना में सहायक है। की 59 आत्मनिर्भर सामाजिक आर्थिक इकाइयां, एक सशक्त, विकसित एवं गौरवशाली राष्ट्र के निर्माण करने में मददगार साबित होगी।
59 समाज इकाइयों का वर्गीकरण - इन समाज इकाइयों को दो वर्ग में रखकर अध्ययन पत्र को आगे बढ़ाया जाता है।
(A) भारतीय राजनैतिक क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक इकाइयां - वर्तमान में भारतीय समाज को 44 सामाजिक आर्थिक इकाइयों में रखा गया है। इनका वर्गीकरण इस प्रकार है।
(१) एक प्रांत क्षेत्र में फैली समाज इकाइयां - भारतवर्ष की 44 समाज इकाइयों में से 20 समाज इकाइयों को इस वर्ग में रखा गया है। जिसका विस्तार भारतवर्ष के किसी एक प्रान्त की प्रशासनिक सीमा में है। निम्न समाज भारत वर्ष किसी एक प्रान्त के एक अथवा दो अथवा इससे अधिक जिलों में फैला हुआ है।
*उत्तर क्षेत्र में* - इस क्षेत्र 7 समाज एक राजनैतिक प्रान्त की सीमा है।
*लद्दाख प्रांत से*
1. लद्दाख़ी समाज
*हिमाचल प्रदेश से*
2. सिरमौर समाज
3. किन्नौरी समाज
4. पहाड़ी समाज
*उत्तराखंड प्रान्त से*
5. गढ़वाल समाज
6. कुमाऊँ समाज
*उत्तर प्रदेश से*
7. अवधी समाज
*पूर्वी क्षेत्र में* - इस क्षेत्र में 3 समाज ऐसे है, जिसका विस्तार श्रएक राज्य के सीमा क्षेत्र में है।
*झारखंड प्रान्त से*
8. नागपुरी समाज
*सिक्किम प्रान्त से*
9. लिप्सा समाज/ भूटिया समाज/ सिक्कमेसे समाज
*ओडिशा प्रान्त से*
10. उत्कल समाज
*दक्षिण क्षेत्र में* इस क्षेत्र में 5 समाज इकाई का विस्तार एक राज्य की सीमा में है।
*आंध्र प्रदेश से*
11. रायलसीमा समाज
*कर्नाटक प्रान्त से*
12. कन्नड़ समाज
13. कोडागू समाज
14. तुलु समाज
*पश्चिम क्षेत्र में* - इस क्षेत्र में 6 समाज का विस्तार मात्र एक राज्य में है।
*महाराष्ट्र प्रांत में*
15. सह्याद्रि समाज
16. विदर्भ समाज
*मध्य प्रदेश में*
17. मालवा समाज
*गुजरात प्रान्त में*
18. कच्छी समाज
*राजस्थान प्रान्त में*
19. हाड़ौती समाज
20. मेवाड़ी समाज
(२) अन्तर्प्रांतिय विस्तार वाले(एक से अधिक राज्यों में फैले) समाज - भारतवर्ष 44 में से 15 समाज का विस्तार एक से अधिक राज्यों में है।
*उत्तर क्षेत्र में* - इस क्षेत्र के 2 समाज का विस्तार भारतवर्ष दो या उससे अधिक राज्य में है। जो किसी अन्य राष्ट्र की राजनैतिक सीमा में नहीं है।
*1. हरियाणवी समाज* - हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में फैला हुआ है। शायद उत्तराखण्ड का हरिद्वार क्षेत्र भी इसमें है।
*2. ब्रज समाज* - उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान व हरियाणा में फैला हुआ है।
*पूर्वी क्षेत्र में* - इस क्षेत्र में 3 समाज का फैलाव एकाधिक राज्यों में है।
*3. मगही समाज* - इस समाज का बिहार, झारखंड व छत्तीसगढ़ तक विस्तार है।
*4. बोडो समाज* - इस समाज असम व अरुणाचल प्रदेश नाम दो राज्य में विस्तार है।
*5. असमीया समाज/ असम उन्नयन समाज* - यह समाज असम, अरुणाचल प्रदेश फैला हुआ है।
*6. कोशल समाज* - ओडिशा व छत्तीसगढ़ में सीमाएँ है।
*दक्षिण क्षेत्र में* - इस क्षेत्र के 2 समाज की सीमाएँ एकाधिक क्षेत्र से लगती है।
*7. नव्या मलियाली समाज* - केरल, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, तमिलनाडु व कर्नाटक राज्य में इस का विस्तार है।
*8.तेलंगाना समाज* - तेलंगाना व छत्तीसगढ़ राज्यों की सीमाओं में फैला तेलंगाना समाज है।
*9. आंध्रा/श्रीकार समाज* - आंध्रप्रदेश व पुडुचेरी में फैला हुआ है। पुडुचेरी के जिले के कारण अन्तर्प्रांतिय समाज की गणना में आया है।
*पश्चिम क्षेत्र में* - इस क्षेत्र के 6 समाज एकाधिक राज्यों में फैले हुए हैं।
*10. कोंकणी समाज* - महाराष्ट्र, गोवा तथा कर्नाटक में फैला कोंकणी समाज है।
*11. काठियावाड़ी समाज* - गुजरात व द्वीव में फैला एक समाज है।
*12. गुजर समाज* - गुजरात, दमन व दादरा नगर हवेली का समाज है।
*13. बुंदेलखंड समाज* - मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश का समाज है।
*14. बघेलखंड समाज* - मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश का समाज है।
*15. छत्तीसगढ़ी समाज* - छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व तेलंगाना में छत्तीसगढ़ का प्रभुत्व है।
*(३) अन्तर्राष्ट्रीय विस्तार वाले ( एक से अधिक देशों में फैले) समाज* - भारत देश की सीमा से लगे देशों में जिन समाज इकाई की समान भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विस्तार के कारण एक साथ रहकर आत्म निर्भर समाज इकाई के रूप विकसित किया जाना अधिक युक्ति संगत उन्हें इस श्रेणी में रखा गया है। इन इकाइयों का विस्तार अन्तर्प्रांतिय भी है। बारीक विश्लेषण के ऐसी 9 समाज इकाइयों को चिन्हित की गई है।
*उत्तर क्षेत्र में* - भारतवर्ष के नार्थ एरिया के 4 समाज इस श्रेणी में है।
*1. असी पंजाबी समाज* - भारतवर्ष के पंजाब के साथ पाकिस्तान के पंजाब के पंजाबी भाषी क्षेत्र असी पंजाबी समाज के नाम से आत्मनिर्भर इकाई बनाई जा सकती है।
*2. असी डोगरी समाज* - हिमाचल प्रदेश, जम्मू तथा पाकिस्तान के पंजाब के कुछ डोगरी भाषा बोलते है, यहाँ की संस्कृति एवं अर्थशास्त्र समान है, इसलिए इसे एक आत्मनिर्भर समाज इकाई में रखा गया है।
*3. अस्य कशियारी समाज* - भारतीय कश्मीर व पाक अधिकृत कश्मीर एक आत्मनिर्भर समाज इकाई है। वस्तुतः स्वीकृति मानचित्र के अनुसार यह भारतवर्ष में ही है।
*4. प्रगतिशील भोजपुरी समाज* - नेपाल की भोजपुरी भाषी भुक्तियाँ इस सामाजिक आर्थिक इकाई के संग मिलाने के कारण यह समाज इस श्रेणी में गण्य है। इसमें उत्तर प्रदेश व बिहार क्षेत्र है। छत्तीसगढ़ राज्य में भी विस्तार बताया जाता है।
*पूर्व क्षेत्र में* - भारतवर्ष के ईस्ट एरिया के 3 समाज इस श्रेणी में है।
*5. मिथिला समाज* - भारत तथा नेपाल का मिथिला अंचल एक आत्मनिर्भर समाज इकाई के रूप में विकसित किया जा सकता है।
*6. अंगिका समाज* - नेपाल का कुछ अंचल अंगिका समाज इकाई साथ लग जाने के कारण इस श्रेणी में रखा गया है। इसमें बिहार व झारखंड क्षेत्र भी है।
*7. आमरा बंगाली* - नेपाल, भारत, बाग्लादेश व म्यांमार नामक चार देशों में बंगाली सभ्यता एवं संस्कृति का प्रभुत्व है तथा समान आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक तथा सांस्कृतिक परिस्थितियाँ है। इसलिए यह विस्तृत क्षेत्र एक आत्मनिर्भर समाज इकाई बनाया जाना चाहिए। भारत में बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय सहित पूर्वोत्तर के अधिकांश अंग आमरा बंगाली समाज में सांख्यिकीय दृष्टि से देखा जा सकता है।
*दक्षिण क्षेत्र में* - भारतवर्ष के साऊथ एरिया का 1 समाज इस श्रेणी में है।
*8. तमिल समाज* श्रीलंका के तमिल भाषी क्षेत्र व भारत के तमिलनाडु राज्य में संगम साहित्य, सभ्यता व संस्कृति का आलोक है। अत: इनको एक आत्मनिर्भर इकाई के रूप विकसित करने पर जातीय संघर्ष खत्म हो जाएगा तथा विकास की गंगा बहेगी।
*पश्चिम क्षेत्र* - भारतवर्ष के वेस्ट एरिया के 1 समाज इस श्रेणी में है।
*9. मारवाड़ी समाज* - पाकिस्तान की एक भुक्ति मारवाड़ी सामाजिक आर्थिक इकाई में आने के कारण इस श्रेणी में रखा गया है।
(B) नेपाल राजनैतिक क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक इकाइयां -
१. एक प्रांत क्षेत्र में विस्तृत समाज - इस श्रेणी में 4 नेपाली समाज है।
*1. लिम्बु समाज* - प्रांत नंबर -01
*2. शेरपा समाज* - प्रांत नंबर -01
*3. नेवारी समाज* - प्रांत नंबर -03
*4. गुरुंग समाज* - प्रांत नंबर -04
*२. एक प्रांत क्षेत्र में विस्तृत समाज* - इस श्रेणी में 5 नेपाली समाज है।
*1. राय/किरत/किरंत समाज* - प्रांत नंबर -01 व 03
*2. तमांग समाज* - प्रांत नंबर -02 व 03
*3. मगर समाज* - प्रांत नंबर -04, 05 व 06
*4. थारु समाज* - प्रांत नंबर -05 व 07
*5. गोरखाली समाज* - - प्रांत नंबर -06 व 07
*(C) भूटान राजनैतिक क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक इकाइयां* - एक मात्र समाज भूटान समाज है। यह संपूर्ण राष्ट्र एक समाज इकाई है। यहाँ कोई अन्य देश के समाज तथा इस देश के समाज की सीमा अन्य देश में नहीं है। 22 जिला एक समाज है।
*1. भूटान समाज* - संपूर्ण देश के सभी जिले एक समाज इकाई है।
(D) श्रीलंका राजनैतिक क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक इकाइयां - सिहली समाज जो श्रीलंका के दक्षिण तथा मध्य में है। एक समाज इकाई में विकसित करना उपयुक्त है।
*1. सिहल समाज* - उत्तरी मध्य प्रांत, उत्तर पश्चिमी प्रांत, केन्द्रीय अथवा मध्य प्रांत, उवा प्रांत, पश्चिमी प्रांत, दक्षिणी प्रांत व सबरगमुव प्रांत तक फैला हुआ है।
*(E) पाकिस्तान राजनैतिक क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक इकाइयां* - पाकिस्तान की दो समाज इकाइयाँ मुलतानी व सिन्धी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से ओतप्रोत है।
*1. सिंध समाज* - पाकिस्तान के सिंध प्रान्त क्षेत्र एक आत्मनिर्भर सामाजिक आर्थिक इकाई है, जो भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को संभाल कर रखा है।
*2. मुल्तानी समाज/सिरायकी समाज* - पाकिस्तान के पंजाब का अधिकांश क्षेत्र तथा ख़ैबर पहूंख्वा प्रांत का एक जिला इसमें समाज में है। मुल्तानी समाज इकाई एक आत्मनिर्भर सामाजिक आर्थिक इकाई है। जो भारतवर्ष के संस्कारों से ओतप्रोत है।
(F) POK क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक इकाइयां - इस क्षेत्र दो समाज है, जो स्वीकृति भारतीय मानचित्र के अनुसार भारत राष्ट्र का अंग है। ऐसे दो समाज है।
*1. गिलगित समाज* - गिलगित क्षेत्र एक आत्मनिर्भर सामाजिक आर्थिक इकाई बनने को आतुर है। भारतवर्ष का यह अटूट हिस्सा है।
*2. बाल्तिस्तान समाज* - बाल्तिस्तान क्षेत्र एक आत्मनिर्भर समाज है। जहाँ की संस्कृति भारतीय संस्कार आज भी दिखते है। जो सदैव भारतवर्ष का अभिन्न अंग रहा है।
44 + 09 + 02 + 02 + 01+ 01 का वृहत समाज एक सांस्कृतिक युनिट है, जो इन 59 सांस्कृतिक, सामाजिक व आर्थिक इकाई के आत्मनिर्भर इकाई के रुप में खड़ा करने से विश्व बन्धुत्व की ओर बढ़ता हुआ प्रथम मजबूत कदम होगा। यह मानचित्र बताता है प्रयागराज इस सांस्कृतिक इकाई मुख्यालय तथा संस्कृत यहाँ की समन्वय करने वाली भाषा होगी। प्रत्येक समाज में 59 अपने बैंक होंगे। इस प्रकार आर्थिक शक्ति का विकेन्द्रीकरण तथा एक मजबूत राजनैतिक शक्ति बनेगा। इसलिए सर्व समाज समिति (भारतवर्ष) इस प्रोजेक्ट पर काम करती है।
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श्री आनन्द किरण "देव"
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