अग्निपथ योजना को ऐसे बनाया जा सकता अद्वितीय

ऐसे अद्वितीय बनाया जा सकता है, अग्निपथ योजना को 
भारत सरकार की अग्निपथ योजना पर देश जल रहा है। मैं हिंसा, तोडफोड एवं आग लगाने का हिमायती नहीं हूँ तथा इसका समर्थन एवं सहयोग भी नहीं करता हूँ। मैं सरकार के फैसले को अंधा होकर स्वीकार करने का भी पक्षधर नहीं हूँ। हर योजना के पक्ष एवं विपक्ष में राय रखने, विरोध व समर्थन करने के लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करता हूँ। इसलिए असंवैधानिक पथ को छोड़कर संवैधानिक विरोध के तरीके की ओर असंतुष्टों को बढ़ने की अपील करता हूँ। मैं मीडिया के उस विचार का भी विरोध करता हूँ कि प्रदर्शनकारियों को भडकाया जा रहा है। यदि मीडिया का भड़काने वाले तथ्य समर्थन किया जाए तो सरकार इसके लिए सबसे पहले जिम्मेदार है। अत: योजना पर मंथन करना चाहिए। 

सैन्य ट्रेनिंग देकर युवाओं समाज सेवा मूलक कार्यों की ओर अग्रसर करना संभवतया अग्निपथ योजना सकारात्मक उद्देश्य हो सकता है। प्रत्येक नागरिक कम से कम इतना तो सक्षम होना ही चाहिए कि वह अपनी तथा अपनों की रक्षा कर सकें। इसलिए प्रत्येक स्वस्थ नागरिक को सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए। सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति को शतप्रतिशत रोजगार की गारंटी मिलने पर ही यह सुन्दर एवं स्वच्छ समाज का निर्माण करेंगे। इसके अभाव में शक्ति तथा सैन्य कौशल प्राप्त व्यक्ति कुपथ का भी वरण कर सकता है, जो कदाचित नहीं हो कि राष्ट्र एवं समाज की सुरक्षा के सामने चुनौती बनकर खड़ा हो जाए। 

 (१) अग्निपथ को अद्वितीय बनाने के प्रथम शर्त अग्निवीरों को शतप्रतिशत रोजगार की गारंटी मिले - अग्निपथ को शतप्रतिशत रोजगारोन्मुखी होना आवश्यक है। अग्निवीरों के लिए सेना, अर्द्धसैनिक बल, सीमा सुरक्षा बल, पुलिस तथा सुरक्षा कार्य की नौकरियां शतप्रतिशत आरक्षित कर देनी चाहिए। इसके साथ सरकारी सेवा में रत सभी अधिकारियों, कर्मचारी तथा सहायकों अग्निवीर होना आवश्यक कर देना चाहिए। इससे अग्निवीर चार वर्ष बाद दरदर की ठोकर खाता नजर नहीं आएगा तथा सत्ता एवं शासन की बदनामी भी नहीं होगी। 

(२) नेतृत्ववृदों को अग्निवीर के रुप में सेवा देना आवश्यक करना चाहिए - राजनेताओं व समाज नेताओं को अनिवार्य रुप अग्निपथ में अपने सेवा देनी होगी। दूसरे शब्दों में चार वर्ष तक अग्निवीर की सेवा करने वाला ही नेता बन सकता है। 

(३) राजकीय कर्मचारी, अग्निवीर के रास्ते से ही जाए - सुरक्षा संबंधित सेवा के अतिरिक्त सभी प्रकार शासकीय सेवा वाले अग्निवीरों के रुप में सेवा देने वालों में से ही लेने चाहिए। उन्हीं को उनकी रुचि एवं योग्यता के आधार पर अन्य प्रशिक्षण देकर राजकीय सेवा में लेना चाहिए। 

(४) अराजकीय क्षेत्र में भी अग्निवीरों का होना श्रेयस्कर है - अराजकीय क्षेत्र में भी अग्निवीरों का होना आवश्यक है, लेकिन यह विषय राष्ट्र की क्षमता से जुड़ा हुआ है। इसलिए अनिवार्य बनाये रखने का सुझाव नहीं दिया जा सकता है। फिर भी सभी नागरिकों का अग्निवीर बनकर समाज में आना एक अनुशासित समाज के लिए आवश्यक है। 

(५) अग्निवीरों से अस्वस्थ एवं दिव्यांगों मुक्त रखे लेकिन वे अपना ख्याल रख सके उतना सक्षम अवश्य बनाना चाहिए। उन्हें दिव्य वीर शब्द से विभूषित करें। 

(६) जो अग्निवीर सैन्य कार्य से मुक्त होने के बाद किन्हीं कारणों रोजगार प्राप्त करने की दौड़ से पीछे रह जाए तो उन्हें आजीवन पेंशन, मेडिकल सुविधा पाने का नैतिक अधिकार है। पेंशन न्यूनतम आवश्यकता पूर्ण कर सके, उतनी तो होनी चाहिए। 

उपरोक्त प्रावधान कर अग्निपथ योजना को अद्वितीय बनाया जा सकता है। 
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करण सिंह शिवतलाव
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