✍ श्री आनन्द किरण "देव"
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प्रउत व्यवस्था को स्थापित करने का एकमात्र रास्ता समाज आंदोलन है। इसकी शुरुआत प्रउत प्रणेता ने कर दी थी। उनके इस विराट चिंतन का मंथन ही *समाज आंदोलन का कर्मरथ* के रुप में अभिकल्पित हुआ है।
*कर्मरथ की कार्यप्रणाली*
*1. समाज इकाई का संगठन एवं विस्तार* - समाज आंदोलन का प्रथम कार्य ही है कि समाज इकाई का संगठन करना तथा उसको ग्राम स्तर तक विस्तृत करना। अत: समाज आंदोलन का कर्मरथ प्रथम चरण में इस कार्य को प्राथमिकता से करेगा। इसमें समाज इकाई संवैधानिक व्यवस्था की भी स्थापना होगी तथा समाज आंदोलन के कर्मरथ के आगे बढ़ने में संगठन अस्थिर नहीं हो।
*2. सांस्कृतिक जागरण* - प्रत्येक समाज इकाई का अपना इतिहास है तथा उस इतिहास के गर्भ से एक संस्कृति निकली है। उसके जागरण के बिना भावात्मक एकता का सर्जन नहीं होता है। समाज आंदोलन की पहली ही विशेषता भावनात्मक एकता है। यह सांस्कृतिक जागरण के गर्भ में आध्यात्मिक नैतिक जागरण है। अत: विशुद्ध शब्दों में कहा जाए तो सांस्कृतिक जागरण आध्यात्मिक नैतिक जागरण के लिए ही आह्वान है। अत: समाज आंदोलन का कर्मरथ अपने द्वितीय चरण में सांस्कृतिक जागरण करेगा। इसमें सांस्कृतिक उत्थान रचनात्मक केन्द्र की स्थापना भी आवश्यक है। जिससे समाज आंदोलन का कर्मरथ आगे बढ़ने पर भी सांस्कृतिक जागरण अनवरत चलता रहे।
*3. आर्थिक उत्थान* - समाज आंदोलन के कर्मरथ का तृतीय चरण आर्थिक उन्नयन अथवा आर्थिक उत्थान है। इस चरण में प्रउत अर्थव्यवस्था पर आधारित समाज इकाई का आर्थिक उन्नयन का अध्याय लिखा जाएगा। इसमें समाज इकाई के सदस्यों के आर्थिकता से संबधित सभी क्रियाकलाप प्रउत आधारित होना आवश्यक है।
*4. सामाजिक संगठन* - समाज आंदोलन का कर्मरथ की यात्रा के प्रथम तीन चरणों में समाज की विभिन्न धाराओं से रथी आएंगे। सबकी अपनी अपनी मान्यता एवं धारणा होगी। अत: चतुर्थ चरण में सामाजिक संगठन की आवश्यकता है। जब तक समाज का संगठन नव्य मानवतावादी चिन्तन तथा एक अखंड़ अविभाज्य मानव समाज की आधारशीला पर नहीं होगा तब तक समाज रुपी महल का निर्माण नहीं हो सकता है। अत: समाज आंदोलन का कर्मरथ वैचारिक क्रांति एवं मनुष्य के चिंतन को आनन्द मार्ग के आदर्श पर सिंचित कर उपरोक्त आदर्श में प्रतिष्ठित करेगा। इस चरण में नागरिकों को एक अखंड एवं अविभाज्य मानव समाज की आवश्यकता महसूस कराने की रचनात्मक कार्यपद्धति को अनवरत जारी रखेगा तांकि समाज आंदोलन के कर्मरथ के आगे बढ़ने के साथ समाज तीन तेरह नहीं हो जाए ।
*5. राजनैतिक अभियान* - समाज आंदोलन के कर्मरथ का पंचम चरण का नाम राजनैतिक अभियान दिया गया है। जिसमें समाज आंदोलन का कर्मरथ गाँव, पंचायत, प्रखंड, जिला, प्रांत, देश एवं विश्व स्तर पर राजनैतिक भागदारी सुनिश्चित करेगा। अर्थात दल विहिन आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए स्पष्ट रुप से राजनीति व चुनाव में भाग लेगा। यहाँ हमारी जय में कोई संदेह नहीं रह जाता है।
*6. सदविप्र समाज एवं राज की स्थापना* - समाज आंदोलन का कर्मरथ प्रउत व्यवस्था लक्ष्य की ओर इस चरण में बढ़ेगा। सदविप्र समाज एव सदविप्र राज की स्थापना करके ही दम लेगा ।
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