पत्रकार एवं पत्रकारिता(Journalist and Journalism)



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✒️करण सिंह शिवतलाव की कलम से
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पत्र का लेखनकर्ता पत्रकार कहलाता है तथा इसको एक आजीविका के रूप में ग्रहण करना पत्रकारिता कहलाता है। यहाँ पत्र शब्द का अर्थ - वह पत्र जो सबके लिए लिखा जाता है। इसको समाचार पत्र अथवा खबरनामा भी नाम दिया गया है, लेकिन यह पत्रकार शब्द के मूल अर्थ से मेल नहीं खाता है। समाचार लेखनकर्ता एवं पत्रकार में बहुत अन्तर है। समाचार लेखनकर्ता प्रसंग एवं घटना को यथावत पेश करता है, अपनी ओर से कुछ भी नहीं पेश नहीं करता है, जबकि पत्रकार इसका सम्पूर्ण विश्लेषण पेश करता है। अतः समाचार लेखनकर्ता से एक पत्रकार ज्यादा जिम्मेदार एवं प्रासंगिक है। इसलिए आज हम पत्रकार एवं पत्रकारिता को समझने की कोशिश करेंगे।

सार्वजनिक पत्र अथवा जन-जन के लिए खुला पत्र लिखने का काम पत्रकार करता है;  इसके बदले में जो भी चाहत है, वह पत्रकारिता है। पत्रकार एक निष्काम भावी होता है। वह अपने कार्य का प्रतिफल की चाहत नहीं रखता है जबकि पत्रकारिता सकाम भावना है। जिसको हर कार्य का प्रतिफल चाहिए होता है। अतः पत्रकार एवं पत्रकारिता में एक विभेदात्मक बिन्दु होता है। वह है चाहत का। मैं पत्रकारिता की निंदा नहीं करता हूँ अपितु पत्रकार को उसकी पहचान याद दिलाने के लिए आलेख लेकर आया हूँ।

विश्व में अपने विचार को लिपिबद्ध करने वाले को लेखक कहते तथा उसमें काव्यात्मक रस भरने वाले को कवि कहते हैं। साहित्य की यह विधाएँ भी सबके लिए खुला पत्र ही है। लेकिन यह एक मात्र अपना दृष्टिकोण समाज के समक्ष रखते हैं जबकि पत्रकार युग, समाज एवं अपना दृष्टिकोण भी अपने पत्र में रखता है। यद्यपि लेखक भी समालोचना करता है लेकिन उसकी समालोचना में अपना ही दृष्टिकोण प्रधान रहता है, जबकि पत्रकार की लेखन विधा में स्वयं सुप्त रहकर भी सत्य को प्रधानता दी जाती है। अतः एक पत्रकार लेखक होते हुए भी सबसे जिम्मेदार एवं प्रासंगिक व्यक्तित्व है।

पत्रकार को कभी कभी पत्र को आकार देने वाला भी कहते हैं। जिसमें एक प्रसंग अथवा घटना को आकार दिया जाता है। अतः पत्रकार को ज्यादा जिम्मेदार एवं प्रासंगिक होना रहता है। अतः कह सकते हैं कि लेखक, कवि, साहित्यकार एवं विचारक इत्यादि से अधिक पत्रकार जिम्मेदार एवं प्रासंगिक है। उपर्युक्त पात्र तो समय के आउट डेट हो जाते हैं लेकिन पत्रकार कभी भी किसी भी परिस्थिति में आउट डेट  नहीं होता है। वह सदैव अपडेट रहता है। पत्रकार को यदि कोई विधा आउट डेटड कर सकती है तो वह पत्रकारिता है। जो उसे सत्य को प्रकाशित करने के मजबूर कर देते हैं। ऐसे पत्रकार के लिए भारतवर्ष में आजकल सर्वाधिक प्रचलित शब्द गोदी मीडिया है। मेरा किसी भी राजनैतिक विचारधारा से लगाव अथवा वैमनस्य नहीं है फिर भी मुझे मजबूरी में गोदी मीडिया शब्द लेना पड़ा। क्योंकि आज के युग पत्रकार को आउट डेटड करने वाले कार्य के लिए इससे अच्छा कोई शब्द नहीं था। यद्यपि गोदी मीडिया शब्द का अर्थ सत्ता की चापलूसी करने वाला है तथापि इससे अर्थ से मेरा कोई लेना देना नहीं है। पुनः विषय की ओर चलते हैं। पत्रकार वही है जो सदैव अपडेट रहता है;  उस कभी भी परिस्थिति में सत्य से नहीं डिगना चाहिए।

पत्रकार का पत्र सम्पूर्ण मानव समाज का मुखपत्र होता है। यह किसी सम्प्रदाय, जाति, संस्था अथवा संगठन का मुखपत्र बन जाता है तब पत्रकार बौना हो जाता है। इतिहास ऐसे पत्रकार को हासिये में धकेल देते हैं अथवा कुपात्र के रूप में रेखांकित करते हैं अर्थात एक अपवाद दे देते हैं। अतः पत्रकार को कभी भी किसी सेन्टिमेंट (sentiment - भाव प्रवणता) में नहीं बहना चाहिए। उसका सदैव एक ही पक्ष होता है। सत्य, सत्य एवं सत्य। अतः साहित्य के सभी विधाकारों में पत्रकार का कार्य उज्वलमणि होता है। लेखक अथवा विचार के विचार समाज में पहुचने में वक्त ले सकते हैं लेकिन पत्रकार का कार्य सदैव वर्तमान रहता है। इसलिए एक पत्र को सदैव जागृत रहने वाला कहते हैं। पत्र कभी भी नहीं सोता है इसलिए पत्रकार को भी कभी भी सुप्त इंसान नहीं मानना चाहिए।

पत्रकार के लिएअंग्रेजी में Journalist एवं Reporter शब्द विद्यमान है। Journalist शब्द का अर्थ दैनिक अथवा नित्य है। जो प्रतिदिन आता है अथवा नित्य आता अथवा रहता है। इस अर्थ पत्रकार को सदैव सजग रहना पड़ता है। उसकी सजगता अथवा सतर्कता हटी तो पत्रकार के Journalist रुप में सेंधमारी हो जाती है। अतः पत्रकार को सदैव सावधान रहना होता है। अब दूसरे अर्थ Reporter पर ध्यान आकृष्ट करते हैं। रिपोर्ट देने वाला रिपोर्टर कहलता है। किसी प्रसंग अथवा घटना की सत्यता पेश करने वाला स्वभाव पत्रकार का होता है। इसलिए पत्रकार को कभी माया के आंचल में छिपना नहीं होता है। रावण की काल एवं राम के प्रेम में समदृष्टा तथा निर्भय रहना होता है। जो झुक गया अथवा मतलब में बह गया, वह पत्रकार धर्म के साथ दगा कर गया। दगा के संदर्भ हमारे पूर्व पुरुष कह गए हैं कि दगा किसी का सगा नहीं, उसका फल आज नहीं तो कल निश्चित।

अन्त: में सभी निष्ठावान एवं आदर्श पत्रकारों को नमन करते हुए लिखता हूँ कि पत्रकार को सलाम आपका पत्रकार स्वभाव किसी भी पत्रकारिता की मजबूरी के आगे झुका नहीं, रुका नहीं एवं बिका नहीं। इसलिए आप चिरकाल के लिए पत्रकार बनकर जिये तथा सबके प्रेरणा स्रोत बने। मैं अपने पत्रकार स्वभाव को बनाकर रख पाऊँ यह मेरे लेखन का उद्देश्य है।

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