एक प्राउटिस्ट का व्यक्तित्व कैसा होना चाहिए?
( इस विषय को एक प्राउटिस्ट के गुण समझते हुए स्वयं को इस तराजू में तौलना है कि मैं स्वयं को प्राउटिस्ट कह सकता हूँ अथवा नहीं।)
मेरा मानना है कि इस विषय को भलीभाँति समझे बिना हम प्रउत पर कार्य नहीं कर सकते हैं। मैं उक्त विषय को थोड़ा समझने की कोशिश करता हूँ। मेरी कोशिश कदापि किसी को समझाने की नहीं है।
प्रउत प्रणेता ने प्रउत को सदविप्र के हाथ में दिया है तथा सदविप्र के निर्माण की व्यवहारिक कार्य पद्धति षोडश विधि प्रदान की है। अत: एक प्राउटिस्ट का व्यक्तित्व प्रासंगिक विषय है। हमारे गुरुदेव ने हमें व्यवहारिक बनने का आदेश दिया है तथा यह भी बताया है कि तुम्हारे व्यवहार से लोग मुझे जानेंगे। यह सभी एक प्राउटिस्ट के व्यक्तित्व परिचय करने की मांग कर रही है। हम दुनिया को समझाने को निकले है यदि हम स्वयं को नहीं समझे तो हमारी मेहनत व्यर्थ ही जाएगी।
एक महान व्यक्ति का व्यक्तित्व स्पष्ट, सभ्य साफ सुथरा, पारदर्शी, साहसी, विवेकशील, सुलझा हुआ, तपोमूर्ति सदृश्य तथा त्याग का पर्याय होना चाहिए। एक प्राउटिस्ट विश्व को आनन्दमय बनाने के लिए प्रउत लेकर आया है। अत: उसका व्यक्तित्व एक महान व्यक्ति से कम नहीं हो सकता है। जहाँ तक मेरी समझ है वहाँ तक एक प्राउटिस्ट का व्यक्तित्व एक महान व्यक्ति से कुछ बढकर ही होना चाहिए। भविष्य में शायद सदविप्र धरती का देवता कहलाएगा अथवा दैव्य गुणों से संपन्न होगा। एक प्राउटिस्ट सदविप्र बनने की यात्रा कर रहा है। इसलिए उससे कुछ विलक्षण गुणों को धारण करके चलना चाहिए। प्राउटिस्ट के व्यक्तित्व को समझते समय एक बात हमें अवश्य ही रेखांकित करनी होगी कि सभी प्राउटिस्ट सदविप्र नहीं है जबकि सभी सदविप्र प्राउटिस्ट है। इससे एक संकेत मिलता है कि प्राउटिस्टों में से सदविप्र का निर्माण होता है। अतः एक प्राउटिस्ट का व्यक्तित्व अवश्य ही आदरणीय, सम्मानीय एवं सबके लिए आदर्श होना चाहिए।
आनन्द मार्ग के आदर्श में कहा गया है कि एक सदविप्र का निर्माण षोडश विधि से होता है। अतः हमें सदविप्र अथवा प्राउटिस्ट के व्यक्तित्व को षोडश विधि में देखना चाहिए। षोडश विधि के अवलोकन से एक सदविप्र अथवा प्राउटिस्ट के व्यक्तित्व में निम्न गुण दिखाई देते हैं।
(१.) शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ एवं सुदृढ़।
(२.) मानसिक दृष्टि से मज़बूत एवं दृढ़ संकल्पित।
(३.) आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर एवं साधना में नियमित।
(४.) यम नियम में पक्का एवं भूमा भाव का साधक।
(६.) व्यवहारिक एवं अपने व्यवहार से दूसरों प्रभावित करने वाला।
(७.) सर्वजन के हित एवं सुख का ख्याल रखने वाला तथा निजी सुख सुविधा से स्वयं को उपर रखने वाला।
(८.) सबको साथ लेकर चलने वाला तथा एक आदर्शमय जीवन जीने वाला।
(१०.) परम पुरुष में दृढ़ विश्वास रखने वाला एवं पांडित्य अहंकार से स्वयं पृथक रखने वाला।
(११.) कर्मनिष्ठ एवं स्वयं को आदर्श के साथ एकिकरण करने वाला।
(१२.) साधना, सेवा एवं त्याग का जीवन जीने वाला।
(१३.) पंचदस शील को मानकर चलने वाला तथा मिशन के लिए जीने एवं मरने वाला।
(१६.) प्रउत के सिद्धांत, प्रउत की शिक्षा, प्रउत की नीति एवं आनन्द मार्ग के आदर्श पर चलने वाला(सिद्धांत में नहीं व्यवहार में)
(१७.) नव्य मानवतावादी चिन्तन में प्रतिष्ठित।
(१८.) सकारात्मक अणुजीवत् को सृजन करने वाला व नकारात्मक अणुजीवत् को निस्तेज करने की क्षमता रखने वाला हो।
(१९.) आध्यात्मिक नैतिकवान व्यक्तित्व।
(२०.) वह आनन्द का मार्गी हो।
(२१.) प्रउत विचारधारा के आधार पर जीने वाला।
(२२.) प्रउत प्रणेता के महात्म्य स्वीकार करने वाला।
(२३.) प्रउत आंदोलन के अनुशासन को मानने वाला।
(२४.) प्रउत दर्शन का ज्ञान रखने वाला।
(२५.) प्रउत को स्थापित करने के लिए दृढ़ संकल्पित।
(२६.) विश्व बंधुत्व में विश्वास रखने वाला।
(२७.) षोडश विधि को कठोरता से मानकर चलने वाला।
एक प्राउटिस्ट के व्यक्तित्व एवं गुणों का अवलोकन करने के बाद अंतिम स्थित रह जाती है कि क्या मैं एक प्राउटिस्ट हूँ अथवा मैं अपने आप को प्राउटिस्ट कह सकता हूँ? इसका उत्तर प्रउत को अपने आदर्श के रुप में स्वीकार एवं अंगीकार करने वाले व्यष्टि तथा समष्टि के पास है। प्रत्येक को इस परिपेक्ष्य में रखकर सोचना चाहिए।
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श्री आनन्द किरण@ प्रउत मेरा जीवन मिशन है।
Excellent....
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