प्रश्न स्वतंत्रता किसने दिलाई?
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Karan Singh
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भारतवर्ष की स्वाधीनता की लड़ाई पराधीनता के साथ ही शुरू हो गई थी। हमने दासता मन से स्वीकार नहीं की थी। ताकत के आगे अपनी राजनैतिक स्थिति बचाने के कतिपय राजवंशों ने एक आवश्यक बुराई के रूप में स्वीकार की थी। आज हम स्वाधीनता आंदोलन के विभिन्न पहलूओं पर दृष्टिपात करेंगे तथा स्वतंत्रता किसने दिलाई प्रश्न का भी उत्तर खोजेंगे।
हम गुलामी की बेडियों में सन् 1193 ईस्वी तराइन के मैदान में द्वितीय युद्ध पराजित होने के साथ ही हो गए थे। इससे पूर्व 712 ईस्वी में पराधीनता के इतिहास की पृष्ठभूमि लिखी जा चुकी थी। अतः पराधीनता का एक लम्बा इतिहास है। अतः इसकी जड़े भी उतनी ही लंबी है। राजा दाहिर, पृथ्वी राज चौहान एवं आक्रांताओं को रोकने वाले अन्य राजा अवश्य ही आदरणीय है। उन्होंने मातृभूमि की रक्षार्थ अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। इन आक्रांताओं को नोचने के सतत अनगिनत प्रयास हुए उन सभी स्वतंत्रता प्रिय सेनानियों को नमन है। महाराणा प्रताप व वीर शिवाजी के स्वतंत्रता संग्राम से तो हम सभी परिचित है। हम यदि अंग्रेजों विरूद्ध ही स्वतंत्रता के अंकुरण का अध्ययन करें तो फतेहशाही विद्रोह, देवी सिन्हा विद्रोह, बिशनपुर विद्रोह, पलय्यकारों का विरोध, विजीराजे विद्रोह, पारचे राजे विद्रोह, सन्यासी विद्रोह, कोल विद्रोह, भूमिज विद्रोह, मोपला विद्रोह, संथाल विद्रोह, वहाबी विद्रोह तथा फैरोजी विद्रोह इत्यादि अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध भारतीयों के प्रतिकार की आवाजें थी। 1857 का विद्रोह तो प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन बनकर हमारे सामने आया। इसकी तस्वीर तो एक जीवित चित्र बनकर हमारे सामने उभर रही है।
हम स्वतंत्रता के दूसरे संग्राम अथवा राष्ट्रीय आंदोलन की चर्चा करें इसके विभिन्न 7 मुख्य ध्रुव थे।
(१) उदारवादी ध्रुव - यह ध्रुव 1885 ईस्वी में कांग्रेस नामक संगठन के रूप में प्रकाश में आया।इन्होंने स्वाधीनता की इस लड़ाई की अलख जगाई थी। यह आजादी नहीं अंग्रेजों से न्यायप्रियता की आश रखते थे। अतः यह अंग्रेजों के पास प्रार्थना पत्र, शिष्टमंडल एवं प्रस्ताव भेजकर सुधार की मांग करते थे।
(२) उग्रवादी ध्रुव - यह ध्रुव 1905 में लाल, पाल एवं बाल के रूप में प्रकाश में आया।दूसरा ध्रुव उग्र साधनों में विश्वास रखने वाला उभर कर सामने आया। यह अंग्रेजों की न्यायप्रियता पर विश्वास नहीं रखते थे। उनके विरुद्ध अपने शक्ति प्रदर्शन में विश्वास रखते थे। यही से भारत स्वराज शब्द मिला था।
(३) अहिंसावादी ध्रव - यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी युग के रूप में 1916 में प्रकाश में आया। यह उदारवाद एवं उग्रवाद के संगम रूप में दिखाई देता था। लेकिन यह आजादी के लिए सत्य एवं अहिंसा नामक पवित्र साधन में विश्वास रखते थे। भारतीय स्वाधीनता के इतिहास में इसे सफल ध्रुव कहा जाता है।
(४) क्रांतिकारी ध्रुव - अंहिसा नीति से असमर्थ युवाओं का यह दल सशस्त्र क्रान्ति के बल पर अंग्रेजों को खदेड़ने में विश्वास रखता था। इसका उदभव लगभग अहिंसा आंदोलन के साथ ही हुआ। यह क्रांतिकारी कहलाकर सम्मान प्राप्त करते हैं। इसमें प्रमुख योगदान हिन्दूस्तान सोसियलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन का योगदान था। दूसरा योगदान अभिनव भारत नामक संगठन का था। इसके अतिरिक्त मित्र मेला, अनुशीलन समिति तथा युगांतर संगठन का भी योगदान था।
(५) सुभाषचंद्र बोस - भारतीय स्वाधीनता पांचवा ध्रुव सुभाषचंद्र बोस थे। यह कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। इन्होंने अंग्रेजों को खदेड़ने की एक अदभुत शैली का प्रयोग किया तथा इसने उन्हें सभी अलग पहचान दिलाई। सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व में उदारवाद, उग्रवाद, अहिंसावाद तथा क्रांतिकारी तीनों के गुणों का समावेश था। इन्हें अपने अभिनय में मुख्य सहयोग रासबिहारी बोस का मिला जिन्होंने इंडियन इंडिपेंडेस लीग, गदर पार्टी एवं आज हिन्द फौज की स्थापना की थी। उनके सफल नेतृत्व एक ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी गई।
(६) मुस्लिम लीग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दरमियान साम्प्रदायिक राजनीतिक का अंकुरण मुस्लिम लीग के रूप में हुआ।
(७) हिन्दू महासभा - कांग्रेस के मुस्लमानों के प्रति सकारात्मक भाव तथा उन्हें साथ रखने की नीति ने एएक ध्रुव हिन्दू महासभा को जन्म दिया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मुस्लिम लीग को मुसलमान की हिमायती तथा हिन्दू महासभा हिन्दूओ की हिमायती मानी जाती थी। यद्यपि कांग्रेस के प्रभाव के चलते हिन्दू महासभा ज्यादा लोकप्रिय नहीं हुए। मुस्लिम लीग एक प्रभावशाली साम्प्रदायिक ध्रुव बनकर उठा इनका स्वतंत्रता संग्राम से अधिक अपने वर्ग की हिमायत करती थी।
प्रश्न स्वतंत्रता किसने दिलाई?
भारतीय स्वतंत्रता के संगठित प्रयास में सभी भूमिका थी। किसी की भूमिका को कम करके नहीं आका जा सकता है। अतः सही उत्तर उपयुक्त सभी देकर सभी का जनप्रिय बन सकता हूँ। लेकिन सफल सुनियोजित, सुसंगठित तथा सुव्यवस्थित प्रयास कहा जाए तो कांग्रेस का प्रयास था। इसका अर्थ यह नहीं की स्वतंत्रता का समस्त श्रेय कांग्रेस को दे दिया जाए। उपरोक्त 7 ध्रुव कांग्रेस का किस न किसी रुप में सहयोग दिया था। अतः सबका सहयोग सबका योगदान सही उत्तर पर मोहर लगा दी जाती है।
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